प्रेमी पागल एक सा, जैसे होते भक्त ।
होकर जगत निशक्त वह, प्रेमी पर आसक्त ।।
चंदन तरु सम प्रेम है, जिसका अचल सुगंध ।
गरल विरह की वेदना, सुधा मिलन अनुबंध ।...
उलझ गया है न्याय
मुझ से बढ़कर तंत्र है, सोच रहा है राम ।
बाबर पहले या अवध, किससे मेरा नाम ।।
भारत के इस तंत्र में, उलझ गया है न्याय ।
राम पड़ा तिरपाल पर, झेल रहा अन्याय ।।
...
राष्ट्रवाद
धर्मवाद के फेर में, राष्ट्रवाद है फेल ।
खेलें हैं जब धर्म पर, राजनीति का खेल ।
राजनीति में मान कर, जाति धर्म में भेद ।
मतदाता को बांटना, लोकतंत्र का छेद ।।
आन-बान इस देश का, जो रखते सम्हाल ।
जीते रहते देश पर, लिये मौत का ढाल ।।
राष्ट्रवाद पर प्रश्न क्यों, खड़ा किये हैं लोग ।
जिसके कारण आज तो, दिखे देश में रोग ।।
निज मौलिक कर्तव्य है, राष्ट्रवाद...
करते रहिये काम
देखे कई पड़ाव हम, निज जीवन के राह ।
कितने ढ़ाल चढ़ाव हैं, पाया किसने थाह ।।
लोभ-मोह अरु स्वार्थ का, माया ठगनी नाम ।
प्रीत-प्रेम उपकार ही, रचे जगत सत धाम ।।
बेटा तुझको क्या समझ, पैसों का परिताप ।
खून-पसीना बेच कर, पैसा लाता बाप ।।
मोटर गाड़ी बंगला, और बैंक बैलेंस ।
छोड़ बड़ा संतोष धन, सभी इसी के फैंस ।।
राग द्वेश को छोड़ कर, करते रहिये काम ।
कर्म हस्तगत...
आज की शिक्षा नीति
शिक्षा माध्यम ज्ञान का, नहीं स्वयं यह ज्ञान ।
ज्ञान ललक की है उपज, धर्म मर्म विज्ञान ।।
धर्म मर्म विज्ञान, सरल करते जीवन पथ ।
शिक्षा आज व्यपार, चले कैसे जीवन रथ ।।
करे कैरियर खोज, आज फैशन में शिक्षा ।
मृत लगते संस्कार, आज मिलते जो शिक्षा ।।
-रमेश चौहान...
ईश प्रार्थना
ईश्वर से कुछ मांगना, प्रश्न बनाता एक ।
जग व्यापक सर्वज्ञ है ? या हम किये कुटेक ??
(कुटेक=अनुचित मांग)
क्या मांगू प्रभु आप से, जब रहते हो साथ ।
चिंता मैं क्यों कर करूं, जो पकड़े हो हाथ ।।
मेरे अनभल बात को चित्त धरें ना नाथ ।
मेरा मन तो स्वार्थ में, करे बात अकराथ ।।
सुख में विस्मृत कर गया, दुख में रहा न आस ।
कसे कसौटी आप जब, भूल गया यह दास ।।
श्रद्धा...
सुबह-सुबह का सैर
सुबह-सुबह का सैर तो, औषध हैअनमोल ।
रक्तचाप अरु शर्करा, नियत रखें बेमोल ।।
नियत रखें बेमोल, देह के भारीपन को ।
काया दिखे सुडौल, रिझाये जो निज जन को ।
प्रतिदिन उठो "रमेश", नींद तज सुबह-सुबह का ।
औषध है अनमोल, सैर तो सुबह-सुबह का ।।
-रमेश चौह...
शुभकामना
नित्य निरन्तर ध्येय पथ, पाद त्राण हो आपका ।
काव्य फलक के सूर्य सम, सम्य मान हो आपका ।।
बुद्धि प्रखर अरु स्वस्थ हो, राष्ट्र प्रेम पीयूष से ।
काया कल्पित स्वस्थ हो, मनोभाव सह तूष से ।।
(तूष-संतोष)
प्रेम जगत का प्राप्य हो, प्रेम सुवासित बाँट कर ।
शान्ति नित्य शाश्वत रहे, तन-मन पीड़ा छाँट कर ।।
सुयश अमर हो आपका, चेतन होवे लेखनी ।
वर्ण शब्द अरु भाव...
दोहे-कानून और आदमी
कानून और आदमी, खेल रहे हैं खेल ।
कभी आदमी शीर्ष है, कभी शीर्ष है जेल ।।
कानून न्याय से बड़ा, दोनों में मतभेद ।
न्याय देखता रह गया, उन पर उभरे छेद ।।
न्याय काल के गाल में, चढ़ा हुआ है भेट ।
आखेटक कानून है, दुर्बल जन आखेट ।।
केवल झूठे वाद में, फँसे पड़े कुछ लोग ।
कुछ अपराधी घूमकर, फाँके छप्पन भोग ।।
कानून और न्याय द्वै, नपे एक ही तौल ।
मोटी-मोटी...
रखते क्यों नाखून (कुण्डलियां)
मानव होकर लोग क्यों, रखते हैं नाखून ।
पशुता का परिचय जिसे, कहता है मजमून ।।
कहता है मजमून, बुद्धि जीवी है मानव ।
होते विचार शून्य, जानवर या फिर दानव ।।बनते भेड़ "रमेश", आज फैशन में खोकर ।
रखते हैं नाखून, लोग क्यों मानव होकर ।।...
पहनावा (कुण्डलियां)
पहनावा ही बोलता, लोगों का व्यक्तित्व ।
वस्त्रों के हर तंतु में, है वैचारिक स्वरितत्व ।।
है वैचारिक स्वरितत्व, भेद मन का जो खोले ।
नग्न रहे जब सोच, देह का लज्जा बोले ।
फैशन का यह फेर, नग्नता का है लावा ।
आजादी के नाम, युवा पहने पहनावा ।...
शिक्षा तंत्र पर दोहे
शिक्षाविद अरु सरकार से, चाही एक जवाब ।
गढ़े निठ्ठले लोग क्यो, शिक्षा तंत्र जनाब ।।
रोजगार गारंटी देते, श्रमिकों को सरकार ।
काम देश में मांग रहे अब, पढ़े लिखे बेगार ।
बेगारी की बात पर, विचार करे समाज ।
पढ़े लिखे ही लोग क्यों, बेबस लगते आज ।।
अक्षर पर निर्भर नहीं, जग का कोई ज्ञान ।
अक्षर साधन मात्र है, लक्ष्य ज्ञान को जान ।।
विद्या शिक्षा...
सूरज (त्रिभंगी छंद)
जागृत परमात्मा, जग की आत्मा, ज्योति रूप में, रचे बसे ।
अंतरिक्ष शासक, निश्श विनाशक, दिनकर भास्कर, कहे जिसे ।।
अविचल पथ गामी, आभा स्वामी, जीवन लक्षण, नित्य रचे ।
जग जीवन दाता, सृष्टि विधाता, गतिवत शाश्वत, सूर्य जचे ।।
विज्ञानी कहते, सूरज रहते, सभी ग्रहों के, मध्य अड़े ।
सूर्य एक है तारा, हर ग्रह को प्यारा, जो सबको है, दीप्त करे ।।
नाभी पर जिनके, हिलियम...
अस्तित्व पीतल का भी होता है
मैं चाहता हूँ अपने जैसे ही होनाक्यों मढ़ते हो आदर्शो का सोनाअस्तित्व पीतल का भी होता है जग मेंक्यों देख कर मुझको आता है रो...
पल छिन सुख-दुख
मेरे मुँह पर जो कालिख लगा है, वह मेरा है नही
तेरे मुँह पर जो लाली दिखे है, वह तेरा है नही
यह तो दुनिया का दस्तूर है, हमसब हैं जानते
पल छिन सुख-दुख जग में हमेशा, अंधेरा है न...
बनें हर कोई दर्पण
दर्पण सुनता देखता, जग का केवल सत्य ।
आँख-कान से वह रहित, परखे है अमरत्व ।।
परखे है अमरत्व, सत्य को जो है माने ।
सत्य रूप भगवान, सत्य को ही जो जाने ।।
सुनलो कहे ‘रमेश‘, करें सच को सच अर्पण ।
आँख-कान मन खोल, बनें हर कोई दर्पण ।।
...
नामी कामी संत
गुंडा को भाई कहे, पाखण्ड़ी को संत ।
करे पंथ के नाम पर, मानवता का अंत ।।
मानवता का अंत, करे होकर उन्मादी ।
नामी कामी संत, हुये भाई सा बादी ।।
अंधभक्त जब साथ, रहे होकर के मुंडा ।
पाखण्ड़ी वह संत, बने ना कैसे गुंडा ।।
...
राजनीति का खेल
बात-बात में जो करे, संविधान की बात ।
संविधान के मान को, देते क्यों हैं मात ।।
संविधान की सभा में, जिसने किया स्वीकार ।
राष्ट्रगीत का आज फिर, करते क्यों प्रतिकार ।।
हिन्द पाक दो खण्ड़ में, बांट चुके हैं देश ।
मुद्दा जीवित फिर वही, बचा रखे क्यो शेष ।।
छद्म धर्म निरपेक्ष है, राष्ट्रवाद भी छद्म ।
छद्म छद्म के द्वन्द से, उपजे पीड़ा पद्म ।।
हिन्दू मुस्लिम...
देश धर्म
धारण करने योग्य जो, कहलाता है धर्म ।
सबसे पहले देश है, समझें इसका मर्म ।।
जिसको अपने देश पर, होता ना अभिमान ।
कैसे उसको हम कहें, एक सजग इंसान ।।
हांड मांस के देह को, केवल मिट्टी जान ।
जन्म भूमि के धूल को, जीवन अपना मान ।।
...
देश है सबसे पहले
पहले मेरा धर्म है, पाछे मेरा देश ।
कहते ऐसे लोग जो, रोप रहे विद्वेश ।
रोप रहे विद्वेश, देश को करने खण्डित ।
राजनीति के नाम, किये अपने को मण्डित ।।
सुनलो कहे ‘रमेश‘, चलो तुम अहले गहले ।
राजनीति को छोड़, देश है सबसे पहले ।।
...
भौतिक युग
भौतिक युग विस्तार में, नातों का दुश्काल ।
माँ सुत के पथ जोहती, हुई आज कंकाल ।।
हुई आज कंकाल, हमारी संस्कृति प्यारी ।
अर्थ तंत्र का अर्थ, हुये जब सब पर भारी ।।
सुन लो कहे ‘रमेश‘, सोच यह केवल पौतिक ।
तोड़ रहे परिवार, फाँस बनकर युग भौतिक ।।
(पौतिक-सड़ांध युक्त घाव)
...
बैद्यनाथ की कावरिया यात्रा
बाबा की नगरी चल चल रे, बाबा के द्वारे चल-चल ।
पाँव-पाँव चलता चल भक्ता, बन जायेगा तेरा कल ।।
चल चल
बाबा की नगरी चल चल रे, बाबा के द्वारे चल-चल ।
कावर साजो अथवा पिठ्ठुल, साजो पहले निज मन ।
बोल बम्म के नारोंं से, ऊर्जा भरलो अपने तन ।
बैद्यनाथ कामना लिंग है, देंगे तुझको वांक्षित बल ।
चल चल
बाबा की नगरी चल चल रे, बाबा के द्वारे चल-चल ।
उत्तर वाहिनी गंज...
चल चल रे कावड़िया चल चल
कावड़िया चल देवघर, बोल बम्म शिव बम्म ।
बैजनाथ के श्री चरण, भक्त लगा के दम्म ।।
चल चल रे कावड़िया चल चल, बैजनाथ के द्वारे ।
शिव का आया आज बुलावा, जागे भाग हमारे ।।
कांधे कावर गंगा जल धर, मन में श्रद्धा निर्मल ।
नंगे पांव चले चल प्यारे, जैसे नदियां कल-कल ।।
हर हर महादेव हर हर, हर हर शिव ओंकारा ।
बोल बम्म बोल बम्म हर हर, गूंज रहा है नारा ।।
पुनित मास...
ईश्वर अल्ला नाम एक है
ये अल्ला के बंदे सुन लो, सुन लो ईश्वर के संतान ।
ईश्वर अल्ला नाम एक है, सुन लो अपने खोले कान ।।
निराकार साकार रूप तो, कण-कण का होता पहिचान ।
फल का रंग-रूप जगजाहिर, कौन स्वाद का देवे प्रमान ।।
प्रतिरूप फलों का दिखता है, स्वाद रहे जस तन में प्राण ।
स्वाद बिना फल होवे कैसा, फल बिन स्वाद चढ़े परवान ।।
जर्रा-जर्रा अल्ला बसता, कण-कण में होते भगवान ।
सूफी...
शिवशंकर ओम
बोल बम्म के गूंज से, गूंज रहा है व्योम ।
जय जय भोलेनाथ जय, जय शिवशंकर ओम ।
आदि देव ओंकार शिव, सकल सृष्टि के कंत ।
जगत उपेक्षित जीव के, प्रियवर शिव भगवंत ।।
महाकाल अवलंब जग, जीवन शाश्वत सत्य ।
निराकार ओंकार शिव, रूप गूढ़ आनंत्य ।।
जटा सोम गंगा पुनित, आदि शक्ति अर्धांग ।
नील वर्ण ग्रीवा गरल, जग व्यापक धवलांग ।।
कंठ ब्याल अँग भस्म रज, हस्त बिच्छु विष...
हे भारत के भाग्य विधाता
हे भारत के भाग्य विधाता, मतदाता भगवान ।
नेताओं के कर्मों पर भी, देना प्रभु कुछ ध्यान ।।
देश आपका स्वामी आपहि, समरथ सकल सुजान ।
नेता नौकर-चाकर ठहरे, राजा आप महान ।।
देश आपको गढ़ना स्वामी, रख कर इसको एक ।
नौकर-चाकर ऐसे रखिये, वफादार अरु नेक ।।
शक्ति आपके पाकर के जो, केवल करते ऐश ।
निर्धन से जो धनवान हुये, बेच बेच कर देश ।।
जात-पात के खोदे खाई, ऊँच-नीच...
एक-एक की छाती फाड़ों, बचे न अत्याचारी
रोना-धोना छोड़ करें अब, बदले की तैयारी ।
एक-एक की छाती फाड़ों, बचे न अत्याचारी ।
अमरनाथ के भक्तों को जो, घात लगा कर मारे ।
आजादी या जेहादी के, जो लगा रहे नारे ।।
कश्मीर हमारे पुरखों का, नही बाप के उनके ।
धर्म नही है कोई कमतर, हमको समझे तिनके ।।
छुप-छुप कर जो आतंकी बन, करते हैं बमबारी ।
एक-एक की छाती फाड़ों, बचे न अत्याचारी ।।
सरहद के रखवालों को,...
चलो चाल सरकार, बचे ना अब आतंकी
आतंकी करतूत से, दहल रहा कश्मीर ।
पोषित कुलषित सोच से, सींच रहें हैं पीर ।।
सींच रहें हैं पीर, रूप आतंकी धारे ।
जन्नत में शैतान, आदमीयत को मारे ।।
छुप-छुप करते वार, चाल चलते हैं बंकी ।
चलो चाल सरकार, बचे ना अब आतंकी ।।
...
दुष्टों का संघार, करें अब हे शिव भोले
हे शिव भोले नाथ प्रभु, देखें नयन उघार ।
तेरे भक्तों पर हुआ, फिर से अत्याचार ।
फिर से अत्याचार, शत्रु मानव के करते ।
देव विरोधी दैत्य, प्राण भक्तों के हरते ।।
अमरनाथ के नाथ, भक्त हर-हर हर बोले ।
दुष्टों का संघार, करें अब हे शिव भोले ।।
...
रक्तों का प्यासा हुआ, भेड़ों का वह भीड़
रक्तों का प्यासा हुआ, भेड़ों का वह भीड़ ।
अफवाहों में जल रहे, निर्दोषों का नीड़ ।।
निर्दोषों का नीड़, बचे चिंता है किसको ।
जनता बकरी-भेड़, आज लगते हैं जिसको ।
खरी-खरी इक बात, कहें उन अनुशक्तों का ।
फँसे लोभ के फाँस, , हुये प्यासे रक्तों का।
...
नेता सोचे बात को
द्वंद पक्ष-विपक्ष करे, हाथ लिये भ्रम जाल ।
फँसे हुये हैं आमजन, चुरा रहे ये माल ।।
सत्य-सत्य होता सदा, नहीं सत्य में भेद ।
राजनीति के द्वंद से, दिखते इसमें छेद ।।
राष्ट्र हमारा एक है, राष्ट्र धर्म भी एक ।
वैचारिक मतभेद से, नेता बने अनेक ।।
लोकतंत्र के ढाल से, करते रहें विरोध ।
राष्ट्रधर्म के राह पर, रचते क्यों अवरोध ।।
सबका परिचय देश से, देश रहे...
मैं बच्चों का बाप
है बच्चों का लालन-पालन, कानूनी कर्तव्य ।
पर कानूनी अधिकार नही, देवें निज मंतव्य ।।
पाल-पोष कर मैं बड़ा करूं, हूँ बच्चों का बाप ।
मेरे मन का वह कुछ न करे, है कानूनी श्राप ।।
जन्म पूर्व ही बच्चों का मैं, देखा था जो स्वप्न ।
नैतिकता पर कानून बड़ा, रखा इसे अस्वप्न ।।
दशरथ के संकेत समझ तब, राम गये वनवास ...
मेघा बरसो झूम के
काँव-काँव कागा करे, ची.-चीं चहके चिड़िया,
मल्हार छेड़े झिंगुरा, मेघा बरसो झूम के ।
होले-होले पेड़ नाचे, पर पसारे मोरनी,
बेसुध हो मन नाचे, मेघा बरसो झूम के ।।
धरा की धानी आँचल, नदियों की खिली बाँहे
लिख रहीं नवगीत, मेघा बरसो झूम के ।
रज सौंधी सुवासित, जब तन-मन छाये
कली बलखाती गाती, मेघा बरसो झूम के ।।
...
प्रतिक दिखे ना हिन्द का
स्वतंत्रता के नाम पर, किया गया षड़यंत्र ।
प्रतिक दिखे ना हिन्द का, रचा गया वह तंत्र ।।
मुगलों का प्राचीर है,, अंग्रेजों का मंत्र ।
रखा गया ना एक भी, हिन्दुस्तानी तंत्र ।।
जगत एक परिवार है, केवल कहता हिन्द ।
एक खेल है चल रहा, बचे न इसके बिन्द ।।
कहते छाती ठोक जो, हम ही किये विकास ।
रंग किये जर्जर भवन,, करके नींव विनाश ।।
हम ही अपने शत्रु...
कठिनाई सर्वत्र है
कठिनाई सर्वत्र है, चलें किसी भी राह ।
बंधन सारे तोड़िये, मन में भरकर चाह ।।
मन में भरकर चाह, बढ़े मंजिल को पाने ।
नहीं कठिन वह लक्ष्य, इसे निश्चित ही जाने ।।
सुनलो कहे रमेश, हौसला है चिकनाई ।
फौलादी संकल्प, तोड़ लेते कठिनाई ।।
...
वर्षो से परतंत्र हैं
वर्षो से परतंत्र है, भारतीय परिवेश ।
मुगलों ने कुचला कभी, देकर भारी क्लेश ।।
देकर भारी क्लेश, कभी आंग्लों ने लूटा ।
देश हुआ आजाद, दमन फिर भी ना छूटा ।।
संस्कृति अरु संस्कार, सुप्त है अपकर्षो से ।
वैचारिक परतंत्र, पड़े हैं हम वर्षो से ।।
-रमेश चौहान...
अपनी रेखा गढ़ लें
हर रेखा बड़ी होती, हर रेखा होती छोटी,
सापेक्षिक निति यह, समझो जी बात को ।
दूसरों को छेड़े बिन, अपनी रेखा गढ़ लें
उद्यम के स्वेद ले, तोड़ काली रात को।।
खीर में शक्कर चाही, शाक में तो नमक रे
सबका अपना कर्द, अपना ही मोल है ।
दूर के ढोल सुहाने, लगते हों जिसको वो
जाकर जी देखो भला, ढोल मे भी पोल है ।।
...
अर्थ स्वच्छता के समझ
कोना-कोना स्वच्छ हो, स्वच्छ बने हर गाँव ।
अर्थ स्वच्छता के समझ, रम्य करें हर ठाँव ।।
रम्य करें हर ठाँव, स्वच्छता को कर धारण।
गगन तले का शौच, नहीं एकाकी कारण ।
कारण भारी एक, कुड़े करकट का होना ।
बदलें निज व्यवहार, स्वच्छ हो कोना-कोना ।।
...
सैनिक की माँ पूछती
सैनिक की माँ पूछती, कब तक मरे जवान ।
लड़े बिना शहीद हुये, बेटा मेरे प्राण ।।
बेटा मेरे प्राण, दूध मेरा पीया है ।
मरा देश के नाम, देश हित ही जीया है ।।
मुझे नही मंजूर, मृत्यु वीरों का दैनिक ।
बिना लड़े इक युद्ध, मरे ना कोई सैनिक ।।
...
साचा साचा बात है
साचा साचा बात है, नही साच को आच ।
राजनीति के आच से, लोग रहे हैं नाच ।।
लोग रहे हैं नाच, थाम कर कोई झंडा ।
करते इनकी बात, जुबा पर लेकर डंडा ।।
साचा कहे रमेश, नही कोई अपवाचा ।
यही सही उपचार, राजनेता हो साचा ।।
...
नष्ट मूल से कीजिये
राजनीति के जाल में, राष्ट्रप्रेम क्यो कैद ।
एक राष्ट्रद्रोही दिखे, दूजा प्रेमी बैद ।।
करें खूब आलोचना, लोकतंत्र के संग ।
द्रोह देष से क्यों करे, राजनीति के रंग ।।
सेलिब्रेटी मान्यजन, रहे नही अब मौन ।
नष्ट मूल से कीजिये, हर आतंकी दौन ।।
(दौन-दमन)
...
राष्ट्र धर्म (दोहे)
साथ खड़े जो शत्रु के, होते नहीं अजीज ।शत्रु वतन के जो दिखे, उनके फाड़ कमीज ।।
राष्ट्रद्रोह के ज्वर से, दहक रहा है देश ।
सुख खोजे निजधर्म में, राष्ट्र धर्म में क्लेष ।।
प्रेम प्रेम ही चाहता, कटुता चाहे बैर ।प्रेम प्रेम ही बाँटकर, देव मनावे खैर ।
अभिव्यक्ति के नाम पर, राष्ट्रद्रोह क्यों मान्य ।
सहिष्णुता छल...
मरे तीन तलाक से
मरे तीन तलाक से कोई, कोई तलाक पाने ।
कोई रखते पत्नी ज्यादा, कोई एक न जाने ।।
कुचली जाती पत्नी कोई, इस तलाक के दम पर ।
गोद पड़े बच्चे बेचारे, जीवित मरते गम पर ।।
कोई पत्नी बैठी मयके, खर्चे पति से लेती ।
पति ले जाने तैयार खड़ा, पर वह भाव न देती ।।
पति से पीड़ित पत्नी कोई, कोई पत्नी पीड़ित ।
सही नही है नियम एक भी, दोनों है सम्पीड़ित ।।
समरसता का नैतिक...
कूड़े करकट सम मैं पड़ा
मैं बिकने को तत्पर खड़ा । केवल प्रेम मोल पर अड़ा
ऐसे क्रेता कोई नही । जिनके बाहर अंदर सही
कोई तो मीठे बोल से । कोई अपने चषचोल से
अपने वश कर ले जो मुझे । एक न ऐसे साथी सुझे
एक मुखौटा मुख पर ढके । मुझे शिकारी जैसे तके
मेरे बढ़ते हर पाद को । सह न सके कुछ आस्वाद को
कैसे झूलूँ उनके बाँह में । कैसे दौडूँ उनके राह में
मोल रहित हो मैं तो खड़ा । कूड़े करकट...
बैरी बाहर है नहीं
बैरी बाहर है नहीं, घर अंदर है चोर ।
मानवता के नाम पर, राष्ट्र द्रोह ना थोर ।।
राष्ट्र द्रोह ना थोर, शत्रु को पनाह देना ।
गढ़कर पत्थरबाज, साथ उनके हो लेना ।।
राजनीति का स्वार्थ, कहां है अब अनगैरी ।
सैनिक का अपमान, मौन हो देखे बैरी ।।
...
मूल्य समय का होता जग में
शादी करने आयु न्यूनतम, निश्चित है इस देश ।
नहीं अधिकतम निर्धारित है, यह भी चिंता क्लेष ।।
अल्प आयु में मिलन देह का, या विवाह संबंध ।
चिंता दोनो ही उपजाते, हो इन पर प्रतिबंध ।।
चढ़े प्रीत का ज्वर है सबको, जब यौवन तन आय ।
सपने में सपने का मिलना, नाजुक मन को भाय ।।
कच्चे मटके कच्चे होते, जाते हैं ये टूट ।
पकने से पहले प्रयोग का, नहीं किसी को छूट ।।
मूल्य...
दिखे राष्ट्र उद्योग
राष्ट्र धर्म जब एक तो, बटे हुये क्यो लोग ।।
निश्चित करें प्रतीक कुछ, दिखे राष्ट्र उद्योग।।
अच्छा को अच्छा कहें, लेकर उसका नाम ।
बुरा बुराई भी कहें, लख कर उसका काम ।।
कट्टरता के नाम पर, धर्म हुआ बदनाम ।
राष्ट्र धर्म भी धर्म है, कहते रहिमा राम ।।
भगवा की धरती हरी, भगवा हीना रंग ।
जो समझे सब एक हैं, बाकी करते तंग ।।
...
उनको कोटि प्रणाम,
आजादी पर हैं किये, जो जीवन बलिदान ।
मातृभूमि के श्री चरण, भेट किये निज प्राण ।।
भेट किये निज प्राण, राष्ट्र सुत आगमजानी ।
राजगुरू सुखदेव, भगत जैसे बलिदानी ।
जिसके कारण देश, लगे हमको अहलादी ।
उनको कोटि प्रणाम, हमें दी जो आजादी ।।
...
राष्ट्र से जोड़े नाता
चलो चले उस राह, चले थे जिस पर बाबा ।
पूजें अपना देश, यही है काशी काबा ।
ओठों पर जय हिन्द, दिलों पर भारत माता ।
राष्ट्रधर्म ही एक, राष्ट्र से जोड़े नाता ।।
...
इतिहास में दबे पड़े हैं काले हीरे मोती
इतिहास में दबे पड़े हैं
काले हीरे मोती
अखण्ड़ भारत का खण्डित होना
किया जिसने स्वीकार
महत्वकांक्षा के ढोल पीट कर
करते रहे प्रचार
आजादी के हम जनक हैं
सत्ता हमारी बापोती
धर्मनिरपेक्षता को संविधान का
जब गढ़ा गया था प्राण
बड़े वस्त्र को काट-काट कर
क्यों बुना फिर परिधान
पैजामा तो हरपल साथ रहा पर
उपेक्षित रह गया धोती
जात-पात, भाषा मजहब में
फहराया गया था...
तुम्हे शादी है करना
करना चाहे बाप जब, मना करे हैं पुत्र ।
समझ सके ना बाप वह, बेटे का यह सूत्र ।।
बेटे का यह सूत्र, अभी करूंगा ना शादी ।
खड़ा नहीं हूॅं पैर, बात समझें बुनियादी ।।
मन में रख संतोष, बात बेटा तू धर ना ।
आयु हुआ अब तीस, तुम्हे शादी है करना।।
-रमेश चौह...
करे खुद बेईमानी
ज्ञानी ध्यानी जन कहे, जात-पात को छोड़ ।
धर्म, लिंग जंजीर को, शक्ति लगा कर तोड़ ।।
शक्ति लगा कर तोड़, डगर में जो हो बाधा ।
मानव मानव एक, मनुजता के हैं ये व्याधा ।
पर क्या देखे रमेश, करे खुद बेईमानी ।
अपना अपना राग, अलापे ज्ञानी ध्यानी ...
कवि सम्मेलन
कवि सम्मेलन जो हुये, जाति लिंग आधार ।
मानवता पथ छोड़ कवि, गढ़े कौन सा राह ।
गढ़े कौन सा राह, बीज अंतर का बो कर ।
जिसके कांधे भार, जागते रहते सो कर ।
समता गढ़ो रमेश, छोड़ जग का अवहेलन ।
सबको करने एक, कीजिये कवि सम्मेलन ...
साचा उत्तर दीजिये
साचा उत्तर दीजिये, क्यों बैठे हो मौन ?
प्यार और संबंध में, पहले आया कौन ??
पहले आया कौन, फूल या फूल सुगंधी ?
रिश्ता से है प्यार, या प्यार से संबंधी ??
पूछे प्रश्न रमेश, नहीं कोई अपवाचा ।
केवल कहिये सत्य, प्रश्न का उत्तर साचा ।।
...
नर-नारी एक समान
नर
बेटा है
प्रेमी है, पति है
दामाद है
पिता है
दादा है
दादी है
विदुर भी है
कि
राष्ट्रपिता है
विवेकानंद भी
और
कालों के काल
महादेव ।
महादेव
अर्धनारीश्वर
बन कर
बतलाया
नर-नारी
एक समान
न नर भारी
न नारी ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहा...
महिलाएं भी इसी पत्रिका से करे निमंत्रण स्वीकार
महिलाएं भी इसी पत्रिका से
करे निमंत्रण स्वीकार
मेरे हाथ पर निमंत्रण कार्ड है
पढ़-पढ़ कर सोच रहा हूॅ
विभाजनकारी रेखा देख
खुद को ही नोच रहा हूॅं
कर्तव्यों की डोर शिथिल पड़ी
अकड़ रहा अधिकार
भाभी के कहे भैया करते
भैया के कहे पर भाभी
घर तो दोनों का एक है
एक घर के दो चाबी
अर्धनारेश्वर आदिदेव हैं
जाने सकल संसार
मेरा-तेरा, तेरा-मेरा
गीत गा रहा है कौन
प्रश्न,...
प्रश्न उठता है तब से
तब से लेकर आज तक, दिखे एक ही हाल ।
मुद्दा यह कश्मीर का, फँसा हूआ किस चाल ।।
फँसा हूआ किस चाल, चीन अक्साई बनकर ।
घेर रखे कश्मीर, पाक तब से अब तनकर ।।
बांट रहें है देश, मिले आजादी जब से ।
भारत के हैं कौन, प्रश्न उठता है तब से ।
...
उपेक्षित रहे न बेटा
बेटा बेटी एक है, इसमें नहीं सवाल ।
पढ़ी लिखीं हर बेटियां, करती नित्य कमाल ।।
करती नित्य कमाल, खुशी देती हैं सबको ।
बेटा क्यों कमजोर, लगे अब दिखने हमको ।।
चिंता करे ‘रमेश‘, बढ़े ना क्यों दुलहेटा ।
जरा दीजिये ध्यान, उपेक्षित रहे न बेटा ।।
(दुलहेटा-दुलारा बेटा)
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कुछ समझ नही पाता
मैं गदहा घोंचू हॅूं
कुछ समझ नही पाता
मैं भारत को आजाद समझता
वे आजादी के लगाते नारे
जिसे मैं बुद्धजीवी कहता
उनसे वे निभाते भाईचारे
अपने वतन को जो गाली देता
राष्ट्र भक्त बन जाता
मैं धरती का सेवक ठहरा
वे कालेज के बच्चे
मेरी सोच सीधी-सादी
वो तो ज्ञानी सच्चे
माँ-बाप को घाव देने वाला
श्रवण कुमार कहलाता
मैं कश्मीर का निष्कासित पंड़ित
वे कश्मीर के करिंदे
मेरे...
एक राष्ट्र हो किस विधि
एक-दूजे के पूरक होकरयथावत रखें संसार
पक्ष-विपक्ष राजनीति मेंजनता के प्रतिनिधिप्रतिवाद छोड़ सोचे जराएक राष्ट्र हो किस विधि
अपने पूँछ को शीश कहतेदिखाते क्यों चमत्कार
हरे रंग का तोता रहताजिसका लाल रंग का चोंचएक कहता बात सत्य हैदूजा लेता खरोच
सत्य को ओढ़ाते कफनसंसद के पहरेदार
सागर से भी चौड़े हो गयेसत्ता के गोताखोरचारदीवारी के पहरेदार हीनिकले...
काम मांगे मतदाता
मतदाता को मान कर, पत्थर सा भगवान ।
नेता नेता भक्त बन, चढ़ा रहे पकवान ।।
चढ़ा रहे पकवान, एक दूजे से बढ़कर ।
रखे मनौती लाख, घोषणा चिठ्ठी गढ़कर ।।
बिना काम का दाम, मुफ्तखोरी कहलाता ।
सुन लो कहे ‘रमेश‘, काम मांगे मतदाता ।।
देना है तो दीजिये, हर हाथों को काम ।
नही चाहिये भीख में, कौड़ी का भी दाम ।।
कौड़ी का भी दाम, नहीं मिल पाते हमको ।
अजगर बनकर तंत्र, निगल...
आज पर्व गणतंत्र का
आज पर्व गणतंत्र का, मना रहा है देश ।लोक कहां है तंत्र में, दिखे नहीं परिवेश ।।
बना हुआ है स्वप्न वह, देखे थे जो आँख ।जन मन की अभिलाष सब, दबा तंत्र के काख ।।
निर्धन निर्धन है बना, धनी हुये धनवान ।हिस्सा है जो तंत्र का, वही बड़ा बलवान ।।
-रमेश चौहा...
कहे विवेकानंद
पाना हो जो लक्ष्य को, हिम्मत करें बुलंद ।
ध्येय वाक्य बस है यही, कहे विवेकानंद ।।
कहे विवेकानंद, रूके बिन चलते रहिये ।
लक्ष्य साधने आप, पीर तो थोड़ा सहिये ।
विनती करे ‘रमेश‘, ध्येय पथ पर ही जाना ।
उलझन सारे छोड़, लक्ष्य को जो हो पाना ।।
...
//ममता स्मृति क्लब नवागढ, जिला बेमेतरा//
(उल्लाला छंद)
ममता स्मृति क्लब अति पुनित, ममता का ही मर्म है ।
प्रेम स्नेह ही बांटना, इसका पावन धर्म है ।।
डॉक्टर अजीत प्रेम से, घुले मिले थे गांव में ।
डॉक्टर हो वह दक्ष थे, कई खेल के दांव में ।।
प्यारी सुता अजीत की, प्यारी थी इस गांव को ।
सात वर्ष की आयु में, जो तज दी जग ठांव को ।।
उस ममता की स्मृति में, ग्रामीणों का कर्म है ।
जाति धर्म अंतर...
गणेशजी की आरती
जय गौरी नंदन, विघ्न निकंदन, जय प्रथम पूज्य, भगवंता ।
जय शिव के लाला, परम दयाला, सुर नर मुनि के, प्रिय कंता ।।
मध्य दिवस सुचिता, भादो पुनिता, शुक्ल चतुर्थी, शुभ बेला ।
प्रकटे गणनायक, मंगल दायक, आदि शक्ति के, बन लेला ।।
तब पिता महेशा, किये गणेशा, करके गजानन, इक दंता ।
जय गौरी नंदन, विघ्न निकंदन, जय प्रथम पूज्य, भगवंता ।।
रिद्धि सिद्धि द्वै, हाथ चवर...
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चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज । शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।। गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते । पढ़ना-लिखना छ...
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गणेश वंदना दोहा - जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास । सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे ल...
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योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार । भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।। गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय । अपने ही इस...
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लोकतंत्र के राज में, जनता ही भगवान । पाॅंच साल तक मौन रह, देते जो फरमान । द्वार द्वार नेता फिरे, जोड़े दोनो हाथ । दास कहे खुद को सदा, म...
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25.10.16 एक मंत्र है तंत्र का, खटमल बनकर चूस। झोली बोरी छोड़कर, बोरा भरकर ठूस ।। दंग हुआ यह देख कर, रंगे उनके हाथ । मूक बधिर बन आप ही, ...
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