‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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चिंतन के दोहे

शांत हुई ज्योति घट में, रहा न दीपक नाम ।अमर तत्व निज पथ चला, अमर तत्व से काम ।।धर्म कर्म धर्म, कर्म का सार है, कर्म धर्म का सार ।करें मृत्‍यु पर्यन्‍त जग, धर्म-कर्म से प्‍यार ।।दुनिया भर के ज्ञान से, मिलें नहीं संस्‍कार ।अपने भीतर से जगे, मानवता उपकार ।।डाली वह जिस पेड़ की, उससे उसकी बैर ।लहरायेगी कब तलक, कबतक उसकी खैर ।जाति मिटाने देश में, अजब विरोधाभास...

रस छंद अलंकार

/रस/पढ़न श्रवण या दरश से, मिलते जो आनंद ।नाम उसी का रस कहे, काव्य मनीषी चंद ।।/छंद/यति गति तुक जिस काव्य में, अरु हो मात्रा भार ।अथवा मात्रा भार हो, बनते छंद विचार ।/अलंकार/आभूषण जो काव्य का, अलंकार है नाम ।वर्ण शब्द अरु अर्थ से, काव्य सजाना काम ।।-रमेश चौ...

दोहे

पेड़ मूल को छोड़कर , जीवित रह न पाय । जुड़कर अपनी मूल से, लहर-लहर लहराय ।। अमरबेल जो चूसता, अन्य पेड़ का रक्त . । जितना चाहे फैल ले, पर हो सके न सख्त ।। बड़े हुए नाखून को, ज्यों काटे हो आप । बुरी सोच भी काटिये, जो वैचारिक ताप ।। रूप सजाने आप ज्यों, करते लाख उपाय । सोच सजाने भी करें, कछुक जतन मन भाय ।...

दोहे- सुबह सवेरे जागिए

सुबह सवेरे जागिए, जब जागे हैं भोर । समय अमृतवेला मानिए, जिसके लाभ न थोर ।। जब पुरवाही बह रही, शीतल मंद सुगंध । निश्चित ही अनमोल है, रहिए ना मतिमंद ।। दिनकर की पहली किरण, रखता तुझे निरोग । सूर्य दरश तो कीजिए, तज कर बिस्तर भोग ।। दीर्घ आयु यह बांटता,  काया रखे निरोग । जागो जागो मित्रवर, तज कर मन की छोभ ।...

चौहान के दोहे

समय बड़ा बलवान है,  भाग्य समय का खेल ।बुरे समय में धैर्य से, होवे सुख से मेल ।।दुनिया प्यासी प्रेम का, प्रेम सुधा तू बाॅट ।थोथा थोथा फेक दे, ठोस बीज ले छाॅट ।।कर्म बड़ा है भाग्य से,  करें कर्म का मोल ।ढोलक बोले थाप से,  बोल सके न खोल...

पहेलियां -बूझों तो जानें

1- पीछा करता कौन वह, जब हों आप प्रकाश । तम से जो भय खात है, आय न तुहरे पास ।। 2- श्वेत बदन अरु शंकु सा, हरे रंग की पूंछ । सेहत रक्षक शाक है, सखा पहेली बूझ । 3- काष्ठ नहीं पर पेड़ हूँ, बूझो मेरा नाम । मेरे फल पत्ते सभी, आते पूजन काम ।। 4- बाहर से मैं सख्त हूँ, अंतः मुलायम खोल । फल मैं ऊँचे पेड़ का, खोलो मेरी पोल ।। 5- कान पकड़ कर...

कोरोना महामारी पर दोहे

देख महामारी कहर, सारी दुनिया दंग । कहना सबका एक है, रहना घर में बंद । समय परिस्थिति देख कर, करता है जो काम । अजर अमर इतिहास में, अंकित करता नाम । आंधी अंधा होत है, कर सके न पहचान । कौन दीन अरु है धनी, कौन निरिह बलवान ।। -रमेश चौह...

भूमि अतिक्रमण का मार

नदियों पर ही बस गये, कुछ स्वार्थी इंसान । नदियां बस्ती में बही, रखने निज सम्मान ।। जल संकट के मूल में, केवल हैं इंसान । जल के सारे स्रोत को, निगल रहे नादान ।। कहीं बाढ़ सूखा कहीं, कारण केवल एक । अतिक्रमण तो भूमि पर, लगते हमको नेक ।। गोचर गलियां गुम हुई, चोरी भय जल स्रोत । चोर पुलिस जब एक हो, कौन लगावे रोक ।। जंगल नदियों से हम सभी, छिन रहे पहचान को...

चुनावी दोहा

देश होत है लोग से, होत देश से लोग । देश भक्ति निर्लिप्त है, नहीँ चुनावी भोग ।। गर्व जिसे ना देश पर, करते खड़ा सवाल । जिसके बल पर देश में , दिखते नित्य बवाल ।। वक्त यही बदलाव का, बनना चौकीदार । नंगे-लुच्चे इस समय, पहुँचे मत दरबार ।। लोकतंत्र में मतदाता ही, असली चौकीदार । स्वार्थी लोभी नेताओं को, करे बेरोजगार ।। देख घोषणा पत्र यह, रिश्वत से ना भिन्न...

चिंतन के दोहे

मंगलमय हो दिन आपका, कृपा करे तौ ईष्ट । सकल मनोरथ पूर्ण हो, जो हो हृदय अभिष्ट ।। जीवन दुश्कर मृत्यु से, फिर भी जीवन श्रेष्ठ । अटल मृत्यु को मान कर, जीना हमें यथेष्ठ ।। एक ध्येय पथ एक हो, एक राष्ट्र निर्माण । एक धर्म अरु कर्म के, धारें तीर कमान ।। कर्म आज का होत है, कल का तेरा भाग्य । निश्चित होता कर्म फल, गढ़ ले निज सौभाग्य ।। दिवस निशा बिन होत...

कुछ दोहे चिंतन के

तीन तरह के लोग हैं, एक कमाता दाम । एक चाहता दाम है, एक कमाता नाम । जला पेट के आग में, कविता का हर शब्द । रोजी रोटी के हेतु, कलम हुई नि:शब्द । जिसकी जैसी सोच हो, करते रहते काम । हार-जीत के बीच में, रहे सोच का नाम ।। सुबह बचत यदि कर लिये, सुखद रहेगी शाम । खुद की खुद ही कर मदद, तभी चलेगा काम । मन तन से तो है बड़ा, मन को रखिये ठीक । छोड़ निराशा कर्म...

आजादी रण शेष है

आजादी रण शेष है, हैं हम अभी गुलाम । आंग्ल मुगल के सोच से, करे प्रशासन काम ।। मुगलों की भाषा लिखे, पटवारी तहसील । आंग्लों की भाषा रटे, अफसर सब तफसील ।। लोकतंत्र में देश का, अपना क्या है काम । भाषा अरू ये कायदे, सभी शत्रु के नाम ।। ना अपनी भाषा लिये, ना ही अपनी सोच । आक्रांताओं के जुठन, रखे यथा आलोच ।। लाओं क्रांति विचार में,  बनकर तुम फौलाद...

गुरु (दोहे)

पाप रूप कलिकाल में, छद्म वेश में लोग । गुरुजी बन कर लोग कुछ, बांट रहे हैं रोग ।। चरित्र जिसके दीप्त हो, ज्यों तारों में चांद । गुरुवर उसको जान कर, बैठे उनके मांद ।। मन का तम अज्ञान है, ज्योति रूप है ज्ञान । तम मिटते गुरु ज्योति से, कहते सकल जहान ।। भूल भुलैया है जगत, भटके लोग मतंग । पथ केवल वह पात है, गुरुवर जिनके संग ।। जीवन के हर राह पर, आते रहते...

केवल ईश्वर एक है

कोटि कोटि है देवता,  कोटि कोटि है संत । केवल ईश्वर एक है, जिसका आदि न अंत ।। पंथ प्रदर्शक गुरु सभी, कोई ईश्वर तुल्य । फिर भी ईश्वर भिन्न है, भिन्न भिन्न है मूल्य ।। आँख मूंद कर बैठ जा, नही दिखेगा दीप । अर्थ नही इसका कभी, बूझ गया है दीप ।। बालक एक अबोध जब,  नही जानता आग । क्या वह इससे पालता, द्वेष या अनुराग ।। मीठे के हर स्वाद में, निराकार...

प्रकृति और विज्ञान में, पहले आया कौन

प्रकृति और विज्ञान में, पहले आया कौन । खोज विज्ञान कर रहा, सत्य प्रकृति है मौन ।। समय-समय पर रूप को, बदल लेत विज्ञान । कणिका तरंग  जान कर,  मिला द्वैत का ज्ञान ।। सभी खोज का क्रम है, अटल नही है एक । पहले रवि था घूमता, अचर पिण्ड़ अब नेक ।। नौ ग्रह पहले मान कर, कहते हैं अब आठ । रंग बदल गिरगिट सदृश, दिखा रहे हैं ठाठ ।। जीव जन्म लेते यथा, आते...

मूल्य नीति, हमें समझ ना आय

टेक्स हटाओं तेल से, सस्ता कर दो दाम ।जोड़ो टेक्स शराब पर, चले बराबर काम ।। अच्छे दिन के स्वप्न को, ढूंढ रहे हैं लोग ।बढ़े महंगाई कठिन, जैसे कैंसर रोग ।। कभी व्यपारी आंग्ल के, लूट लिये थे देश ।आज व्यपारी देश के, बांट रहे हैं क्लेश ।। तने व्यपारी आन पर, विवश दिखे सरकार ।कल का हो या आज का, सब दल है लाचार ।। मूल्य नीति व्यवसाय की, हमें समझ ना आय ।दस...

कुछ दोहा

सहन करें हम कब तलक, आतंकी बकवास । नष्ट मूल से कीजिये, आये सबको रास ।। राम दूत हनुमान को, बारम्बार प्रणाम । जिसको केवल प्रिय लगे, राम-राम का नाम । अर्पण है हनुमान प्रभु, राम-राम का नाम । संकट मोचन आप हो, सफल करे हर काम।। फसी हुई है जाल में, हिन्दी भाषा आज । अॅग्रेजी में रौब है, हिन्दी में है लाज ।। लोकतंत्र के तंत्र सब, अंग्रेजी के दास...

कुछ दोहे

एक पहेली है जगत, जीवन भर तू बूझ ।सोच सकारात्मक लिये, तुम्हे दिखाना सूझ ।। अपनी भाषा में लिखो, अपने मन की बात ।हिंदी से ही हिंद है, जिसमें प्रेम समात ।। गद्दारों की गद्दारी से , बैरी है मुस्काए ।गद्दारों को मार गिराओ , बैरी खुद मर जाए ।। राधा-माधव प्रेम का, प्रतिक हमारे देश ।फिर भी दिखते आज क्यों, विकृत प्रेम का वेश ।। नहीं चाहिये प्रेम...

चंद दोहे

नारी बिन परिवार का, होय नही अस्तित्व। प्रेम और संस्कार बिन, नारी नही कृतित्व ।। एक पहेली है जगत, जीवन भर तू बूझ । सोच सकारात्मक लिये, तुम्हे दिखाना सूझ ।। कर विरोध सरकार का, लोकतंत्र में छूट । देश हमारी माँ भली, लाज न इसकी लूट ।। बच्चों में हिंसा पनप रहा है, छूट रहा संस्कार । एक अकेले बच्चे कुंठित, करते कई विचार ।। नारी से नर होत है, नर से होते...

जाति सत्य इस देश में

कभी जाट पटेल कभी, कभी और का दांव । करणी सेना बाद अब, देखो कोरेगांव ।। जाति मान अभिमान है, बड़ा जाति अपमान । जाति सत्य इस देश में, देखें देकर ध्यान ।। राजनीति के खेल में, चले जाति का खेल । दंगा दंगा में दिखे, जाति पंथ का मेल ।। केवल प्रेम विवाह में, अंधे होते लोग । जात पात को छोड़कर, भोग रहे हैं भोग ।।...

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