सास बहू साथ में, करतीं मिलकर काम ।
काम खेत में कर रहें, लखन संग तो राम ।
राम राज परिवार में, कुटिया लागे स्वर्ग ।
स्वर्ग शांति का नाम है, मिले जगत निसर्ग ।।
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सज्जन
नम्र अमीरी में रहें, जैसे रहते दीन ।धनी दीनता में रखें, उदारता शालीन ।रूख हवा का देख कर, बदले ना जो राह ।सज्जन उसको जानिये, निश्चित चिरकालीन ।।
-रमेश चौहान...
दोहा मुक्तक
फसी हुई है जाल में, हिन्दी भाषा आज ।
अॅग्रेजी में रौब है, हिन्दी में है लाज ।।
लोकतंत्र के तंत्र सब, अंग्रेजी के दास ।
अपनी भाषा में यहां, करे न कोई काज ।।
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//दोहा मुक्तक-अधीरता//
व्याकुल होकर मन मुकुर, ढूंढ़ रहा है प्यार ।
प्यार प्राण आधार है, इस बिन जग बेकार ।।
जग बेकार कहे सभी, जब मन होय अधीर ।
अधीरता ही पीर है, तजे इसे संसार ।...
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