घृणित विचारो से घिरे, जैसे मेढक कूप ।
कूप भरे निज सोच से, छाय कोहरा घूप ।।
घूप छटे कैसे वहां, बंद रखें हैं द्वार ।
द्वार पार कैसे करे, देश प्रेम का धूप ।।
देश द्रोह विष गंध है, अंधकार का रूप ।
रूप बिगाड़े देश का, बना रहे मरू-कूप ।।
कूप पड़ा है बंद क्यो, खोल दीजिये द्वार ।
द्वार खड़ा रवि प्रेम का, देने को निज धूप ।...
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शिक्षा नीति परीख
शिक्षा सबको चाहिये, मिले सभी को सीख ।
सीख रोग से मुक्त हो, बने नही यह बीख ।।
बीख बोय कुछ लोग हैं, घृणा किये निज देश ।
देश प्रेम हो मूल में, शिक्षा नीति परीख ।
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छूट फूट का मूल है
एक पेड़ के डाल सब, कोई नही विशेष ।
विशेषता जड़ की यही, भेदभाव ना शेष ।।
शेष नही है कामना, मिले उसे कुछ छूट ।
छूट फूट का मूल है, पैदा करते क्लेश ।।
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आरक्षण का भूत
सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक
संविधान की बात है, काहे का छुवाछूत ।
छुवाछूत अवरोध है, सब इंसा के पूत ।
पूत सभी इस देश के, कोई नही विशेष ।
विशेषता क्यों चाहिये, आरक्षण का भूत ।।
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यक्ष प्रश्न है आज
किसे देशद्रोही कहें, यक्ष प्रश्न है आज ।
आज हिन्द है पूछता, कौन बचावे लाज ।
लाज लुटाये देश के, राजनीति के स्वार्थ ।
स्वार्थ छोड़ नेता कभी, करें कहां हैं काज ।
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जग का मूल
कर्म ज्ञान है बाटती, विद्यालय की धूल ।
धूल माथ रखना सदा, जाना मत तुम भूल ।
भूल सुधारो आप अब, मानवता हो लक्ष्य ।
लक्ष्य एक है आपका, है जो जग का मूल ।।
-रमेश चौह...
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