‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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धूप

घृणित विचारो से घिरे, जैसे मेढक कूप । कूप भरे निज सोच से, छाय कोहरा घूप ।। घूप छटे कैसे वहां, बंद रखें हैं द्वार । द्वार पार कैसे करे, देश प्रेम का धूप ।। देश द्रोह विष गंध है, अंधकार का रूप । रूप बिगाड़े देश का, बना रहे मरू-कूप ।। कूप पड़ा है बंद क्यो, खोल दीजिये द्वार । द्वार खड़ा रवि प्रेम का, देने को निज धूप ।...

शिक्षा नीति परीख

शिक्षा सबको चाहिये, मिले सभी को सीख । सीख रोग से मुक्त हो, बने नही यह बीख ।। बीख बोय कुछ लोग हैं, घृणा किये निज देश । देश प्रेम हो मूल में, शिक्षा नीति परीख । ...

छूट फूट का मूल है

एक पेड़ के डाल सब, कोई नही विशेष । विशेषता जड़ की यही, भेदभाव ना शेष ।। शेष नही है कामना, मिले उसे कुछ छूट । छूट फूट का मूल है, पैदा करते क्लेश ।। ...

आरक्षण का भूत

सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक संविधान की बात है, काहे का छुवाछूत । छुवाछूत अवरोध है, सब इंसा के पूत । पूत सभी इस देश के, कोई नही विशेष । विशेषता क्यों चाहिये, आरक्षण का भूत ।। ...

यक्ष प्रश्न है आज

किसे देशद्रोही कहें, यक्ष प्रश्न है आज । आज हिन्द है पूछता, कौन बचावे लाज । लाज लुटाये देश के, राजनीति के स्वार्थ । स्वार्थ छोड़ नेता कभी, करें कहां हैं काज । ...

जग का मूल

कर्म ज्ञान है बाटती, विद्यालय की धूल । धूल माथ रखना सदा, जाना मत तुम भूल । भूल सुधारो आप अब, मानवता हो लक्ष्य । लक्ष्य एक है आपका, है जो जग का मूल ।। -रमेश चौह...

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