नारी का बहू रूप
नारी नाना रूप में, बहू रूप में सार । मां तो बस संतान की, पत्नी का पति प्यार । पत्नी का पति प्यार, मात्र पति को घर जाने । बेटी पन का भाव, मायका बस को माने ।। सास-ससुर परिवार, बहू करती रखवारी । बहू मूल आधार, समझ लो हर नर नारी ।।
Ramesh Kumar Chauhan
विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।
Manwata kaha hai ?
AAPNI AAKHO SE DEKHO
MAI DESH KA ..
नारी का बहू रूप
नारी नाना रूप में, बहू रूप में सार । मां तो बस संतान की, पत्नी का पति प्यार । पत्नी का पति प्यार, मात्र पति को घर जाने । बेटी पन का भाव, मायका बस को माने ।। सास-ससुर परिवार, बहू करती रखवारी । बहू मूल आधार, समझ लो हर नर नारी ।।
वाह करते
वाह करते है लोग
नेताओं पर
जब कटाक्ष होवे
व्यवस्थाओं की
कलाई खोली जाए
वही जनता
बंद कर लेते हैं
आँख, कान व मुॅंह
अपनी गलती में
क्या ऐ जनता
व्यवस्था का अंग है?
लोकतंत्र में
नेताओं का जनक?
खुद सुधरेंगे
व्यवस्था सुधरेगी
खुद से प्रश्न
पूछिए भला आप
भ्रष्टाचार लौ
धधकाया नहीं है
आहुति डाल
नियम खूंटी टांग
काम नहीं किए हो
सेंध लगाए
सरकारी योजना
नहीं डकारे
सकरी गली
किसके कारण हैं
नदी-नालों का
डगर कौन रोके
कुॅंआ-बावली
घासभूमि तालब
कहां लुप्त है
जंगल और खेत
किसके घर
लाख उपाय ढूँढ़े
टैक्स बचाने
कमर कस कर
तैयार कौन?
व्यवस्था को हराने
अकेले नेता?
केवल कर्मचारी??
जनता जनार्दन !
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...