‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

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कैसे कह दें

कैसे कह दें झूठ में, हमें न तुमसे प्यार ।
मन अहलादित है मगर, करते कुछ तकरार ।
करते कुछ तकरार प्यार में, खुद को अजमाते ।
कितना गहरा, हृदय समुन्दर, गोता खाते ।।
ढूंढ रहा हूँ, माणिक मोती, यूँ ही ऐसे ।
मिला नही कुछ, झूठा बनने, कह दें कैसे ।।

करे नहीं नीलाम

विश्व एक बाजार है, क्रय करलें सामान ।
किन्तु आत्म सम्मान को, करें नहीं नीलाम ।
करें नहीं नीलाम कभी पुरखों की थाती ।
इनके विचार, और ज्ञान की, लेकर बाती ।
दीप जलाओ, लेकर अपने, आत्म बल नेक ।
खुद को जानों, फिर ये मानों, है विश्व एक ।

चलो चलें हम

चलो चलें हम साथ में, देशप्रेम  की  राह  ।
डगर कठिन कोई नही, जब मन में हो चाह ।
जब मन में, चाह जगे तब, नभ झुक जाये ।
पथ कंटक को, चुन-चुन छांटें,जो दुख ढाये । ।
भरकर हुँकार, शत्रु को मार, बढ़े चलें हम ।
देशप्रेम की, गाथा गढने, चलो चलें हम ।।

बचे न कोई एक

मारो मारो घेर कर, बचे न कोई एक ।
जितने आतंकी खड़े, मारो सबको छेक ।।
मारो सबको, छेक-छेक कर, बचे न कोई ।
बचे न कोई, ये आतंकी, इज्जत खोई ।
इज्जत खोई, हुये शहीद हैं,  कितनों यारोंं  ।
खोज-खोज कर, अब चुन-चुन कर, सबको मारो ।।

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