‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मन की आकांक्षा

मन की आकांक्षा
(चौपाई)



अधिकारों से कर्तव्य बड़ा । जिस पर जड़ चेतन जीव खड़ा

धर्म नहीं हर कर्म अमर है । मौत क्या यह जीवन समर है


जीवन को हम सरल बनायें । चुनौतियों को विरल बनायें

नयनों में क्यों नीर बहायें । दृग को पहरेदार बनाये


देह नहीं मन को दुख होता । नयन नहीं अंतस ही रोता

मन चाहे तो दुख सुख होवे । मन चाहे तो सुख में रोवे


कष्टों से माँ शिशु जनती है । पर मन में तो सुख पलती है

दुखद विदाई बेटी का पर । दृग छलकें खुशियां धर


पीर देह की नहिं मन की गति । मन में यदि चिर-नूतन मति

मन की आकांक्षा वह कारक । मन की मति सुख-दुख धारक


-रमेश चौहान


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