1.गणेश वंदना
विघ्न विनाश्ाक गणराज हे, बारम्बार प्रणाम ।
प्रथम पूज्य तो आप हैं, गणपति तेरो नाम ।।
गणपति तेरो नाम, उमा शिव के प्रिय नंदन ।
सकल चराचर मान, किये माँ-पितु का वंदन ।।
चरणन पड़ा ‘रमेश’, मान कर मन का शासक ।
मेटें मेरे कष्ट, भाग्य जो विघ्न विनाशक ।।
2. सरस्वती वंदना
वीणा की झंकार से, भरें राग उल्लास ।
अज्ञानता को नाश कर, देवें ज्ञान उजास ।।
देवें ज्ञान उजास, शारदे तुझे मनाऊँ ।
ले श्रद्धा विश्वास, चरण में भेट चढ़ाऊँ ।।
चरणन पड़ा ‘रमेश‘, दया कर मातु प्रवीणा ।
दूर करें अज्ञान, छेड़ कर अपनी वीणा।।
3. मंजिल
मंजिल छूना दूर कब, चल चलिए उस राह ।
काम कठिन कैसे भला, जब करने की चाह ।
जब करने की चाह, गहन कंटक पथ आवे ।
करे कौन परवाह, कर्मगति मनवा भावे।।
कह ‘रमेश‘ समझाय, बनो सब बिधि तुम काबिल ।
जीवन में कर कर्म,, कर्म पहुंचाए मंजिल ।।
4. हिन्दी
हिन्दी बेटी हिन्द की, ढूंढ रही सम्मान ।
शहर नगर हर गाँ में, धिक् धिक् हिन्दुस्तान ।
धिक् धिक् हिन्दुस्तान, दासता छोड़े कैसे ।
सामंती पहचान, बेड़ियाँ तोड़े कैसे।।
कह ‘रमेश‘ समझाय, बना माथे की बिन्दी ।
बन जा धरतीपुत्र, बड़ी ममतामय हिन्दी ।।
5.दादा पोता
दादा पोता हैं चले, मन से मन को जोर ।
सांझ एक ढलता हुआ, दूजा नवीन भोर ।।
दूजा नवीन भोर, उमंगे नई जगावे ।
ढलता वह तो सांझ, धूप का स्वाद बतावे ।।
मध्य निशा घनघोर, डरावन होते ज्यादा ।
भेदे कैसे रात, राज खोले हैं दादा ।।
6. महंगाई
बढ़े महंगाई यहां, धर सुरसा परिधान।
परख रहे हमको खरा , कौन बने हनुमान ।।
कौन बने हनुमान, सेतु डालर जो लांघे ।
क्यों रूपया कमजोर, इसे तो कोई बांधे ।।
सुझता नही ‘रमेश्ा‘, जिंदगी कैसे गढें।
दाल भात का भाव, यहां जब ऐसे बढ़े ।।
विघ्न विनाश्ाक गणराज हे, बारम्बार प्रणाम ।
प्रथम पूज्य तो आप हैं, गणपति तेरो नाम ।।
गणपति तेरो नाम, उमा शिव के प्रिय नंदन ।
सकल चराचर मान, किये माँ-पितु का वंदन ।।
चरणन पड़ा ‘रमेश’, मान कर मन का शासक ।
मेटें मेरे कष्ट, भाग्य जो विघ्न विनाशक ।।
2. सरस्वती वंदना
वीणा की झंकार से, भरें राग उल्लास ।
अज्ञानता को नाश कर, देवें ज्ञान उजास ।।
देवें ज्ञान उजास, शारदे तुझे मनाऊँ ।
ले श्रद्धा विश्वास, चरण में भेट चढ़ाऊँ ।।
चरणन पड़ा ‘रमेश‘, दया कर मातु प्रवीणा ।
दूर करें अज्ञान, छेड़ कर अपनी वीणा।।
3. मंजिल
मंजिल छूना दूर कब, चल चलिए उस राह ।
काम कठिन कैसे भला, जब करने की चाह ।
जब करने की चाह, गहन कंटक पथ आवे ।
करे कौन परवाह, कर्मगति मनवा भावे।।
कह ‘रमेश‘ समझाय, बनो सब बिधि तुम काबिल ।
जीवन में कर कर्म,, कर्म पहुंचाए मंजिल ।।
4. हिन्दी
हिन्दी बेटी हिन्द की, ढूंढ रही सम्मान ।
शहर नगर हर गाँ में, धिक् धिक् हिन्दुस्तान ।
धिक् धिक् हिन्दुस्तान, दासता छोड़े कैसे ।
सामंती पहचान, बेड़ियाँ तोड़े कैसे।।
कह ‘रमेश‘ समझाय, बना माथे की बिन्दी ।
बन जा धरतीपुत्र, बड़ी ममतामय हिन्दी ।।
5.दादा पोता
दादा पोता हैं चले, मन से मन को जोर ।
सांझ एक ढलता हुआ, दूजा नवीन भोर ।।
दूजा नवीन भोर, उमंगे नई जगावे ।
ढलता वह तो सांझ, धूप का स्वाद बतावे ।।
मध्य निशा घनघोर, डरावन होते ज्यादा ।
भेदे कैसे रात, राज खोले हैं दादा ।।
6. महंगाई
बढ़े महंगाई यहां, धर सुरसा परिधान।
परख रहे हमको खरा , कौन बने हनुमान ।।
कौन बने हनुमान, सेतु डालर जो लांघे ।
क्यों रूपया कमजोर, इसे तो कोई बांधे ।।
सुझता नही ‘रमेश्ा‘, जिंदगी कैसे गढें।
दाल भात का भाव, यहां जब ऐसे बढ़े ।।