‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

मुक्तक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मुक्तक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

दो मुक्तक

फूलों की महक घड़ी दो घड़ी हीओठों की चहक घड़ी दो घड़ी हीअक्षय रहता श्वेद, सूख कर भीश्रम में तू दहक घड़ी दो घड़ी ही किसी को नाम से वास्ता हैकिसी को काम से वास्ता हैयहां मैं मस्त हूँ मस्ती मेंमुझे तो जाम से वास्ता ...

मदिरा पीना क्या पीना है

मदिरा पीना भी क्या पीना है ऐसा  जीना भी क्या जीना है पीना है तो दुख पीकर देखो फिर कहना चौड़ा यह सीना ...

अस्तित्व पीतल का भी होता है

मैं चाहता हूँ अपने जैसे ही होनाक्यों मढ़ते हो आदर्शो का सोनाअस्तित्व पीतल का भी होता है जग मेंक्यों देख कर मुझको आता है रो...

पल छिन सुख-दुख

मेरे मुँह पर जो कालिख लगा है, वह मेरा है नही तेरे मुँह पर जो लाली दिखे है, वह तेरा है नही यह तो दुनिया का दस्तूर है, हमसब हैं जानते पल छिन सुख-दुख जग में हमेशा, अंधेरा है न...

क्यों तुम अब मजबूर हो

तुम समझते हो तुम मुझ से दूर हो । जाकर वहां अपने में ही चूर हो ।। तुम ये लिखे हो कैसे पाती मुझे, समझा रहे क्यों तुम अब मजबूर हो ।। ...

लफंगे

काया कपड़े विहीन नंगे होते हैं । झगड़ा कारण रहीत दंगे होते हैं।। जिनके हो सोच विचार ओछे दैत्यों सा ऐसे इंसा ही तो लफंगे होते हैं ।। ...

पौन हो तुम

कहो ना कहो ना मुझे कौन हो तुम , सता कर  सता कर  मुझे मौन हो तुम । कभी भी कहीं का किसी का न छोड़े, करे लोग काना फुसी पौन हो तुम ।। (पौन-प्राण ) ...

साये नजर आते नहीं

क्रोध में जो कापता, कोई उसे भाते नही । हो नदी ऊफान पर, कोई निकट जाते नही । कौन अच्छा औ बुरा को जांच पाये होश खो हो घनेरी रात तो साये नजर आते नहीं। ...

एक नूतन सबेरा आयेगा

अंधियारा को चीर, एक नूतन सबेरा आयेगा । राह बुनता चल तो सही तू, तेरा बसेरा आयेगा ।। हौसला के ले पर, उडान जो तू भरेगा नीले नभ । देख लेना कदमो तले वही नभ जठेरा आयेगा । ...

हाथ में रंग आयेगा

पीसो जो मेंहदी तो, हाथ में रंग आयेगा । बोये जो धान खतपतवार तो संग आयेगा । है दस्तुर इस जहां में सिक्के के होते दो पहलू दुख सहने से तुम्हे तो जीने का ढंग आयेगा ।। ...

चार मुक्तक

1.बड़े बड़े महल अटारी और मोटर गाड़ी उसके पास यहां वहां दुकान दारी  और खेती बाड़ी उसके पास । बिछा सके कही बिछौना इतना पैसा गिनते अपने हाथ, नही कही सुकुन हथेली, चिंता कुल्हाड़ी उसके पास ।। 2.तुझे जाना कहां है जानता भी है । चरण रख तू डगर को मापता भी है ।। वहां बैठे हुये क्यों बुन रहे सपने, निकल कर ख्वाब से तू जागता भी है । 3.कोई सुने ना सुने राग...

Blog Archive

Popular Posts

Categories