कैसे पढ़ा-लिखा खुद को बतलाऊँ(चौपाई छंद)पढ़-लिख कर मैंने क्या पाया ।
डिग्री ले खुद को भरमाया ।।काम-धाम मुझको ना आया ।केवल दर-दर भटका खाया ।। फेल हुये थे जो सहपाठी ।
आज धनिक हैं धन की थाती ।
सेठ बने हैं बने चहेता ।
अनपढ़ भी है देखो नेता ।।श्रम करने जिसको है आता ।
दुनिया केवल उसको भाता ।।
बचपन से मैं बस्ता ढोया ।
काम हुुुुनर मैं हाथ न बोया ।।ढ़ूढ़...
चौपाई छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चौपाई छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
घोर-घोर रानी (चौपाई छंद)
काली-काली बरखा आई । हरी-हरी हरियाली लाई
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी । नम पुरवाही चले सुहानी
बितत बिते पतझड़ दुखदायी । पुष्प-पत्र पल्लव हर्षाई
वन उपवन अब लगे मुस्काने । खग-मृग मानव गाये गाने
इंद्रधनुश नभ पर बन आये । देख-देख बच्चे हर्षाये
रंग बै जा नी ह पी ना ला । बच्चे पढ़े थे पाठशाला
तडि़त जब लाल आॅंख दिखाये । बादल भी नगाड़ा बजाये
रण-भेरी को...
बंधन
मृत्युलोक माया मोह अमर । मोह पास ही जग लगे समर
लोग कहे यह मेरा अपना । संत कहे जगत एक सपना
जीते जो जग में यह माया । मिट्टी समझे अपनी काया
स्वार्थ के सब रिश्ते नाते । स्नेही जीवन अनमोल बनाते
आसक्ति प्रीत में भेद करें । कमल पत्र सा निर्लिप्त रहे
है अनमोल प्रीत का बंधन । रहे सुवासित जैसे चं...
बरखा रानी
मानसून ढूंढे पथ अपना । कृषक बुने जीवन का सपना पलक पावड़े बिछाय पथ पर । सभी निहारे अपलक नभ पर बरखा रानी क्यो रूठी है । धरती अब तक तो सूखी है आशाढ़ मास बितने को है । कृषक नैन अब रिसने को है आने को है अब तो सावन । यह जो अब मत लगे डरावन हे बरखा अब झलक दिखाओ । हमें और ना अधिक सताओ उमड़ घुमड़ के अब तो आओ । धरती के तुम प्यास बुझाओ छप्प छप्प खेलेंगे...
गणेश स्तुति
गणेश वंदना
दोहा -
जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास ।
सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।।
चौपाई
हे गौरा गौरी के लाला । हे लंबोदर दीन दयाला । ।
सबसे पहले तेरा सुमरन । करते हैं हम वंदन पूजन ।।1।।
हे प्रभु प्रतिभा विद्या दाता । भक्तों के तुम भाग्य विधाता
वेद पुराण सभी गुण गाये। तेरी महिमा अगम बताये ।।2।।
पिता...
जय हो जय हो भारत माता (छंदबद्व रचना)
दोहा ‘
भारत माता है भली, भली स्वर्ग से जान ।
नमन करते शिश झुका, देव मनुज भगवान् ।।
चैपाई -
लहर लहर झंडा लहराता । सूरज पहले शीश झुकाता ।
जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव जग विख्याता ।।
उत्तर मुकुट हिमालय साजे । उच्च शिखर रक्षक बन छाजे ।।
गंगा यमुना निकली पावन । चार-धाम हैं पाप नशावन ।।
दक्षिण सागर चरण पखारे । गर्जन करते बन रखवारे
सेतुबंध...
Popular Posts
-
मानवता हो पंगु जब, करे कौन आचार । नैतिकता हो सुप्त जब, जागे भ्रष्टाचार ।। प्रथा कमीशन घूस हैे, छूट करे सरकार । नैतिकता के पाठ का,...
-
जिसे भाता ना हो, छल कपट देखो जगत में । वही धोखा देते, खुद फिर रहे हैं फकत में ।। कभी तो आयेगा, तल पर परिंदा गगन से । उड़े चाहे ऊॅचे, मन...
-
चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज । शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।। गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते । पढ़ना-लिखना छ...
-
गणेश वंदना दोहा - जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास । सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे ल...
-
योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार । भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।। गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय । अपने ही इस...
-
लोकतंत्र के राज में, जनता ही भगवान । पाॅंच साल तक मौन रह, देते जो फरमान । द्वार द्वार नेता फिरे, जोड़े दोनो हाथ । दास कहे खुद को सदा, म...
-
25.10.16 एक मंत्र है तंत्र का, खटमल बनकर चूस। झोली बोरी छोड़कर, बोरा भरकर ठूस ।। दंग हुआ यह देख कर, रंगे उनके हाथ । मूक बधिर बन आप ही, ...
-
प्रेम का मै हू पुजारी, प्रेम मेरा आन है । प्रेम का भूखा खुदा भी, प्रेम ही भगवान है ।। वासना से तो परे यह, शुद्ध पावन गंग है । जीव में जी...
-
चीं-चीं चिड़िया चहकती, मुर्गा देता बाँग । शीतल पवन सुगंध बन, महकाती सर्वांग ।। पुष्पकली पुष्पित हुई, निज पँखुडियाँ प्रसार । उद...
-
मदिरापान कैसा है, इस देश समाज में । अमरबेल सा मानो, फैला जो हर साख में ।। पीने के सौ बहाने हैं, खुशी व गम साथ में । जड़ है नाश का दार...
Categories
- अतुकांत (15)
- अध्यात्म (1)
- अनुष्टुप छंद (1)
- अमृत ध्वनि (4)
- आल्हा छंद (4)
- उल्लाल छंद (2)
- उल्लाला छंद (5)
- कहमुकरियां छंद (3)
- कुंडलियां (4)
- कुकुभ छंद (5)
- कुण्डलियां (105)
- गंगोदक सवैया (1)
- गजल (6)
- गीत (4)
- गीतिका छंद (8)
- घनाक्षरी (3)
- घनाक्षरी छंद (9)
- चवपैया छंद (2)
- चिंतन (4)
- चोका (16)
- चौपाई (4)
- चौपाई गीत (1)
- चौपाई छंद (6)
- चौबोला (1)
- छंद माला (1)
- छंदमाला (1)
- छन्न पकैया छंद (3)
- छप्पय छंद (5)
- तांका (7)
- तुकबंदी (2)
- तुकांत (20)
- त्रिभंगी छंद (7)
- त्रिवेणी (1)
- त्रिष्टुप छंद (1)
- दुर्मिल सवैया (1)
- देशभक्ति (10)
- दोहा (6)
- दोहा मुक्तक (4)
- दोहा-गीत (12)
- दोहे (99)
- नवगीत (11)
- नारी (1)
- पद (1)
- भजन (5)
- माहिया (1)
- मुक्तक (11)
- राजनैतिक समस्या (3)
- राधिका छंद (1)
- रूपमाला छंद (2)
- रोला छंद (4)
- रोला-गीत (2)
- वर्ण पिरामिड (7)
- विविध (1)
- शक्ति छंद (3)
- शब्दभेदी बाण (3)
- शिखरिणी छंद (1)
- शोभन (3)
- श्रृंगार (2)
- सजल (1)
- सरसी छंद (7)
- सवैया (1)
- सामाजिक समस्या (12)
- सार छंद (16)
- सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक (6)
- हरिगीतिका (1)
- हाइकू (4)
- mp3 (6)