‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।

चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।हाथ से हाथ जोड़, गीत सब मिलकर गायेंं । उनके हाथ कुदाल, और है टसला रापा । मिले सयाने चार, ढेर पर मारे छापा ।।करते नव आव्हान, चलो अब देश बनायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें । ऐसे ऐसे लोग, दिखे हैं कमर झुकाये ।जो जाने ना काम, काम ओ आज दिखाये ।बोल रहे वे बोल, चलो सब हाथ बटायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर...

झूला-गीत

बांधे अमुवा डार, लिये रेशम की डोरी । झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।। श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन । डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।। अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन । सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।। झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।। रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये । हवा चले झकझोर, बदन...

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