‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

आज की शिक्षा नीति

शिक्षा माध्यम ज्ञान का, नहीं स्वयं  यह ज्ञान ।
ज्ञान ललक की है उपज, धर्म मर्म विज्ञान ।।
धर्म मर्म विज्ञान, सरल करते जीवन पथ ।
शिक्षा आज व्यपार, चले कैसे जीवन रथ ।।
करे कैरियर खोज, आज फैशन में शिक्षा ।
मृत लगते संस्कार, आज मिलते जो शिक्षा ।।
-रमेश चौहान

ईश प्रार्थना

ईश्वर से कुछ मांगना, प्रश्न बनाता एक ।
जग व्यापक सर्वज्ञ है ? या हम किये कुटेक ??
(कुटेक=अनुचित मांग)

क्या मांगू प्रभु आप से, जब रहते हो साथ ।
चिंता मैं क्यों कर करूं, जो पकड़े हो हाथ ।।

मेरे अनभल बात को चित्त धरें ना नाथ ।
मेरा मन तो स्वार्थ में, करे बात अकराथ ।।

सुख में विस्मृत कर गया, दुख में रहा न आस ।
कसे कसौटी आप जब, भूल गया यह दास ।।

श्रद्धा अरु विश्वास के, लिये सुमन प्रभु हाथ ।
अर्पण करुँ मैं आपको, मुझको करें सनाथ ।।

सुबह-सुबह का सैर

सुबह-सुबह का सैर तो, औषध हैअनमोल ।
रक्तचाप अरु शर्करा, नियत रखें बेमोल ।।
नियत रखें बेमोल, देह के भारीपन को ।
काया दिखे सुडौल, रिझाये जो निज जन को ।
प्रतिदिन उठो "रमेश", नींद  तज सुबह-सुबह का ।
औषध है अनमोल,  सैर तो सुबह-सुबह का ।।
-रमेश चौहान

Blog Archive

Popular Posts

Categories