‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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सजनी तेरे प्यार का, मोल नहीं संसार में

आज करवा चौथ पर अपनी अर्धांगिनी के प्रति उद्गार- सजनी तेरे प्यार का, मोल नहीं संसार में ।जिनगी तेरी खप गई, केवल मेरे प्यार में ।।जब से आई ब्याह कर, मुझ पर मरती रह गई।जीवन कष्टों को प्रिये, हॅंसते -हॅंसते सह गई ।।शक्कर जैसे घुल गई, तू मेरे परिवार में ।सजनी तेरे प्यार...

शुभकामना

नित्य निरन्तर ध्येय पथ, पाद त्राण हो आपका । काव्य फलक के सूर्य सम, सम्य मान हो आपका ।। बुद्धि प्रखर अरु स्वस्थ हो, राष्ट्र प्रेम पीयूष से । काया कल्पित स्वस्थ हो, मनोभाव सह तूष से ।। (तूष-संतोष) प्रेम जगत का प्राप्य हो, प्रेम सुवासित बाँट कर । शान्ति नित्य शाश्वत रहे, तन-मन पीड़ा छाँट कर ।। सुयश अमर हो आपका, चेतन होवे लेखनी । वर्ण शब्द अरु भाव...

//ममता स्मृति क्लब नवागढ, जिला बेमेतरा//

(उल्लाला छंद) ममता स्मृति क्लब अति पुनित, ममता का ही मर्म है । प्रेम स्नेह ही बांटना, इसका पावन धर्म है ।। डॉक्टर अजीत प्रेम से, घुले मिले थे गांव में । डॉक्टर हो वह दक्ष थे, कई खेल के दांव में ।। प्यारी सुता अजीत की, प्यारी थी इस गांव को । सात वर्ष की आयु में, जो तज दी जग ठांव को ।। उस ममता की स्मृति में, ग्रामीणों का कर्म है । जाति धर्म अंतर...

पीपल औघड़ देव सम

पीपल औघड़ देव सम, मिल जाते हर ठौर पर । प्राण वायु को बांटते, हर प्राणी पर गौर कर ।। आंगन छत दीवार पर, नन्हा पीपल झांकता । धरे जहां वह भीम रूप, अम्बर को ही मापता । कांव कांव कौआ करे, नीड़ बुने उस डाल पर । स्नेह पूर्ण छाया मिले, पीपल के जिस छाल पर ।। छाया पीपल पेड़ का, ज्ञान शांति दे आत्म का । बोधि दिये सिद्धार्थ को, संज्ञा बौद्ध परमात्म...

यही देश अभिमान है

आजादी का पर्व यह, सब पर्वो से है बड़ा । बलिदान के नींव पर, देश हमारा है खड़ा ।। अंग्रेजो से जो लड़े, बांध शीष पर वह कफन । किये मजबूर छोड़ने, सह कर उनके हर दमन ।। रहे लक्ष्य अंग्रेज तब, निकालना था देश से । अभी लक्ष्य अंग्रेजियत, निकालना दिल वेश से। आजादी तो आपसे, सद्चरित्र है चाहता । छोड़ो भ्रष्टाचार को, विकास पथ यह काटता ।। काम नही सरकार का, गढ़ना चरित्र...

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