अभी तो पैरों पर कांटे चुभे है,
पैरों का छिलना बाकी है
जीवन एक दुश्कर पगडंडी
सम्हल-सम्हल कर चलने पर भी
जहां खरोच आना बाकी है
चिकनी सड़क पर हमराही बहुत है
कटिले पथ पर पथ ही साथी
जहां खुद का आना बाकी है
चाहे हँस कर चलें हम
चाहे रो कर चलें हम
चलते-चलते गिरना
गिर-गिर कर सम्हलना
यही जीवन का झांकी...
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एक अकेले
एक अकेले जूझिये, चाहे जो कुछ होय ।
समय बुरा जब होत है, बुरा लगे हर कोय ।
बुरा लगे हर कोय, साथ ना कोई देते ।
तब ईश्वर भी स्वयं, परीक्षा दुश्कर लेते ।।
छोड़ें देना दोष, जगत के सभी झमेले ।
सफल वही तो होय, बढ़े जो एक अकेले ।।
-रमेश चौहा...
सुबह-सुबह का सैर
सुबह-सुबह का सैर तो, औषध हैअनमोल ।
रक्तचाप अरु शर्करा, नियत रखें बेमोल ।।
नियत रखें बेमोल, देह के भारीपन को ।
काया दिखे सुडौल, रिझाये जो निज जन को ।
प्रतिदिन उठो "रमेश", नींद तज सुबह-सुबह का ।
औषध है अनमोल, सैर तो सुबह-सुबह का ।।
-रमेश चौह...
शुभकामना
नित्य निरन्तर ध्येय पथ, पाद त्राण हो आपका ।
काव्य फलक के सूर्य सम, सम्य मान हो आपका ।।
बुद्धि प्रखर अरु स्वस्थ हो, राष्ट्र प्रेम पीयूष से ।
काया कल्पित स्वस्थ हो, मनोभाव सह तूष से ।।
(तूष-संतोष)
प्रेम जगत का प्राप्य हो, प्रेम सुवासित बाँट कर ।
शान्ति नित्य शाश्वत रहे, तन-मन पीड़ा छाँट कर ।।
सुयश अमर हो आपका, चेतन होवे लेखनी ।
वर्ण शब्द अरु भाव...
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