जनता मेरे देश का, दिखे विवश लाचार ।अँकुश व्यपारी पर नहीं, सौ का लिए हजार ।।सौ का लिए हजार, सभी लघु दीर्घ व्यपारी ।लाभ नीति हो एक, देश में अब सरकारी ।।कितना लागत मूल्य, बिक्री का कितना तेरे ।ध्यान रखें सरकार, विवश हैं जनता मेरे ।।&nb...
कुण्डलियां लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कुण्डलियां लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नारी का बहू रूप
नारी का बहू रूपनारी नाना रूप में, बहू रूप में सार ।
मां तो बस संतान की, पत्नी का पति प्यार ।
पत्नी का पति प्यार, मात्र पति को घर जाने ।
बेटी पन का भाव, मायका बस को माने ।।
सास-ससुर परिवार, बहू करती रखवारी ।
बहू मूल आधार, समझ लो हर नर नारी ।।नर के सारे काम में, दक्ष हुई अब नार ।नारी के हर काम को, करने नर तैयार ।।करने नर तैयार, काम में अंतर कैसे...
कोराेना का रोना

कोरोना का रोना(कुण्डलियॉं)कोरोना का है कहर , कंपित कुंठित लोग ।सामाजिकता दांव पर, ऐसे व्यापे रोग ।ऐसे व्यापे रोग, लोग कैदी निज घर में ।मन में पले तनाव, आज हर नारी नर में ।।सुन लो कहे रमेश, चार दिन का यह रोना ।धरो धीर विश्वास, नष्ट होगा कोरोना ।तन से दूरी राखिये, मन से...
सोच रखिये चिर-नूतन (नववर्ष की शुभकामना)
सोच रखिये चिर-नूतन(कुण्डलियॉं)
नववर्ष की शुभकामना नित नव नूतन नवकिरण, दिनकर का उपहार ।भीनी-भीनी भोर से, जाग उठा संसार ।।जाग उठा संसार, खुशी नूतन मन भरने ।नयन नयापन नाप, करे उद्यम दुख हरने ।।सुन लो कहे ‘रमेश’, सोच रखिये चिर-नूतन ।वही धरा नभ सूर्य, नहीं कुछ नित नव नूतन...
दीप पर्व की शुभकामनाएं

धनतेरस (कुण्डलियां छंद)
आयुष प्रभु धनवंतरी, हमें दीजिए स्वास्थ्य ।आज जन्मदिन आपका, दिवस परम परमार्थ ।।दिवस परम परमार्थ, पर्व यह धनतेरस का ।असली धन स्वास्थ्य, दीजिए वर सेहत का ।।धन से बड़ा "रमेश", स्वास्थ्य पावन पीयुष ।आयुर्वेद का पर्व, आज बांटे हैं आयुष...
कुण्डलियाँ यूँ बोलती है
-कुण्डलियाँ यूँ बोलती है-
1. बेटा-बेटी एक सम, सौ प्रतिशत है सत्य ।बेटा अब कमतर लगे, यह भी है कटु तथ्य ।।यह भी है कटु तथ्य, उच्च शिक्षा वह छोड़े ।अपने आप हताश, नशा से नाता जोड़े ।सुन लो कहे ‘रमेश’, हुआ वह अब सप्रेटा ।बेटी के समकक्ष, लगे कमतर अब बेटा ।।(सप्रेटा-मक्खन रहित दूध)
2. दादा-दादी माँ-पिता, भैया-भाभी संग ।चाचा-चाची और हैं, ज्यों फूलों...
अपनी आँखों से दिखे,
अपनी आँखों से दिखे, दुनिया भर का चित्र ।निज मुख दिखता है नहीं, तुम्ही कहो हे! मित्र ।तुम्हीं कहो हे! मित्र, चेहरा मेरा कैसा ।दुनिया से है भिन्न, या कि वैसा का वैसा ।।बंधा पड़ा "रमेश", स्याह मन के काँखों से।कैसे अंतस देह, पढ़े अपनी आँखों से ।।
-रमेश चौहन...
आरक्षण सौ प्रतिशत करें
छोड़ बहत्तर सौ करें, आरक्षण है नेक ।
संविधान में है नहीं, मानव-मानव एक ।।
मानव-मानव एक, कभी होने मत देना ।
बना रहे कुछ भेद, स्वर्ण से बदला लेना ।।
घुट-घुट मरे "रमेश", होय तब हाल बदत्तर ।
मात्र स्वर्ण को छोड़, करें सौ छोड़ बहत्तर ...
वेद
श्रीमुख से है जो निसृत, कहलाता श्रुति वेद ।
मानव-तन में भेद क्या, नहीं जीव में भेद ।।
नहीं जीव में भेद, सभी उसके उपजाये ।
भिन्न-भिन्न रहवास, भिन्न भोजन सिरजाये ।।
सबका तारणहार, मुक्त करते हर दुख से ।
उसकी कृति है वेद, निसृत उनके श्रीमुख से ।।
-रमेश चौह...
नारी पच्चीसा
नारी! देवी तुल्य हो, सर्जक पालक काल ।
ब्रह्माणी लक्ष्मी उमा, देवों का भी भाल ।।
देवों का भी भाल, सनातन से है माना ।
विविध रूप में आज, शक्ति हमने पहचाना ।।
सैन्य, प्रशासन, खेल, सभी क्षेत्रों में भारी ।
राजनीति में दक्ष, उद्यमी भी है नारी ।।1।।
नारी का पुरुषार्थ तो, नर का है अभिमान ।
नारी करती आज है, कारज पुरुष समान ।।
कारज पुरुष समान, अकेली...
बढ़ो तुम देखा-देखी
देखा-देखी से जगत, आगे बढ़ते लोग ।
अगल-बगल को देखकर, बढ़े जलन का रोग ।
बढ़े जलन का रोग, करे मन ऐसा करना ।
करके वैसा काम, सफलता का पथ गढ़ना ।
सुन लो कहे रमेश, छोड़ कर अपनी सेखी ।
करलो खुद कुछ काम, बढ़ो तुम देखा-देखी ।...
नेता देते चोट
देश विरोधी बात पर, करे कौन है वोट ।
जिसे रिझाने देश को, नेता देते चोट ।।
नेता देते चोट, शत्रु को बाँहें डाले ।
व्यर्थ-व्यर्थ के प्रश्न, देश में खूब उझाले ।।
रोये देख "रमेश ", लोग कुछ हैं अवरोधी ।
देना उसको चोट, बचे ना देश विरोधी ...
सबसे गंदा खेल है, राजनीति का खेल
ऐसा कैसे हो रहा, जो मन रहे उदास ।
धर्म सनातन सत्य है, नहीं अंधविश्वास ।।
नहीं अंधविश्वास, राम का जग में होना ।
मुगल आंग्ल का खेल, किये जो जादू-टोना ।।
खड़ा किये जो प्रश्न, धर्म आस्था है कैसा ।
ज्यों काया में प्राण, धर्म आस्था है ऐसा ।।
सबसे गंदा खेल है, राजनीति का खेल ।
करने देते हैं नहीं, इक-दूजे को मेल ।।
इक-दूजे को मेल, नहीं क्यों करने देते ।
करों...
सोच रहा हूँ क्या लिखूँ
सोच रहा हूँ क्या लिखूँ, लिये कलम मैं हाथ ।
कथ्य कथानक शिल्प अरू, नहीं विषय का साथ ।।
नहीं विषय का साथ, भावहिन मुझको लगते ।
उमड़-घुमड़ कर भाव, मेघ जलहिन सा ठगते ।।
दशा देश का देख, कलम को नोच रहा हूँ ।
कहाँ मढ़ू मैं दोष, कलम ले सोच रहा हूँ ।।
आगे पढ़े.....
कहते पिता रमेश
दुनियाभर की हर खुशी, तुझे मिले लोकेश ।
सुत ! सपनों का आस हो, कहते पिता रमेश ।।
कहते पिता रमेश, आदमी पहले बनना ।
धैर्य शौर्य रख साथ, संकटों पर तुम तनना ।।
देश और परिवार, प्रेम पावन अंतस भर ।
करके काम विशेष, नाम करना दुनियाभर ...
छोड़ दक्षता आज, चाहिये शिक्षा हमको ??
शिक्षा हमको चाहिये, इसमें ना मतभेद ।शिक्षा के उद्देश्य से, मुझको होता खेद ।मुझको होता खेद, देख कर डिग्रीधारी ।कागज में उत्तीर्ण, ,दक्षता पीड़ाकारी ।।सुनलों कहे "रमेश", नौकरी चाही सबको ।छोड़ दक्षता आज, चाहिये शिक्षा हमको ...
टाॅपर बच्चे
टाॅपर बच्चे स्कूल के, नौकर हैं अधिकांश ।
पहले पुस्तक दास थे, अब मालिक के दास।।
अब मालिक के दास, शान शौकत दिखलाता ।
खुद का क्या पहचान, रौब अपना बतलाता ।।
मालिक बना रमेश, लिये शिक्षा जो सच्चे ।
सफल दिखे अधिकांश, नहीं है टाॅपर बच्चे ।।
-रमेश चौह...
माँ
माँ, माँ ही रहती सदा, पूत रहे ना पूत ।
नन्हे बालक जब बढ़े, माँ को समझे छूत ।।
माँ को समझे छूत, जवानी ज्यों-ज्यों आये ।
प्रेम-प्यार के नाम, प्यार माँ का बिसराये ।।
माने बात ‘रमेश‘, पत्नि जो जो अब कहती ।
बचपन जैसे कहाँ, आज माँ, माँ ही रहती ।।
...
ऐसी शिक्षा नीति
हमको तो अब चाहिये, ऐसी शिक्षा नीति ।राष्ट्र प्रेम संस्कार का, जो समझे हर रीति ।।जो समझे हर रीति, आत्म बल कैसे देते ।कैसे शिक्षित लोग, सफल जीवन कर लेते ।शिक्षा का आधार, हरे जीवन के गम को ।कागज लिखे प्रमाण, चाहिये ना अब हमको ...
मन में एक सवाल है
मन में एक सवाल है, उत्तर की दरकार ।आखिर कब से देश में, पनपा भ्रष्टाचार ।।पनपा भ्रष्टाचार, किये नेता अधिकारी ।एक अँगूठा छाप, दिखे क्या भ्रष्टाचारी ।।शिक्षित लोग "रमेश", इसे फैलाये जन में ।कैसी शिक्षा नीति, सोच कर देखें मन में ...
Popular Posts
-
मानवता हो पंगु जब, करे कौन आचार । नैतिकता हो सुप्त जब, जागे भ्रष्टाचार ।। प्रथा कमीशन घूस हैे, छूट करे सरकार । नैतिकता के पाठ का,...
-
जिसे भाता ना हो, छल कपट देखो जगत में । वही धोखा देते, खुद फिर रहे हैं फकत में ।। कभी तो आयेगा, तल पर परिंदा गगन से । उड़े चाहे ऊॅचे, मन...
-
चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज । शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।। गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते । पढ़ना-लिखना छ...
-
गणेश वंदना दोहा - जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास । सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे ल...
-
योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार । भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।। गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय । अपने ही इस...
-
लोकतंत्र के राज में, जनता ही भगवान । पाॅंच साल तक मौन रह, देते जो फरमान । द्वार द्वार नेता फिरे, जोड़े दोनो हाथ । दास कहे खुद को सदा, म...
-
25.10.16 एक मंत्र है तंत्र का, खटमल बनकर चूस। झोली बोरी छोड़कर, बोरा भरकर ठूस ।। दंग हुआ यह देख कर, रंगे उनके हाथ । मूक बधिर बन आप ही, ...
-
प्रेम का मै हू पुजारी, प्रेम मेरा आन है । प्रेम का भूखा खुदा भी, प्रेम ही भगवान है ।। वासना से तो परे यह, शुद्ध पावन गंग है । जीव में जी...
-
चीं-चीं चिड़िया चहकती, मुर्गा देता बाँग । शीतल पवन सुगंध बन, महकाती सर्वांग ।। पुष्पकली पुष्पित हुई, निज पँखुडियाँ प्रसार । उद...
-
मदिरापान कैसा है, इस देश समाज में । अमरबेल सा मानो, फैला जो हर साख में ।। पीने के सौ बहाने हैं, खुशी व गम साथ में । जड़ है नाश का दार...
Categories
- अतुकांत (15)
- अध्यात्म (1)
- अनुष्टुप छंद (1)
- अमृत ध्वनि (4)
- आल्हा छंद (4)
- उल्लाल छंद (2)
- उल्लाला छंद (5)
- कहमुकरियां छंद (3)
- कुंडलियां (4)
- कुकुभ छंद (5)
- कुण्डलियां (105)
- गंगोदक सवैया (1)
- गजल (6)
- गीत (4)
- गीतिका छंद (8)
- घनाक्षरी (3)
- घनाक्षरी छंद (9)
- चवपैया छंद (2)
- चिंतन (4)
- चोका (16)
- चौपाई (4)
- चौपाई गीत (1)
- चौपाई छंद (6)
- चौबोला (1)
- छंद माला (1)
- छंदमाला (1)
- छन्न पकैया छंद (3)
- छप्पय छंद (5)
- तांका (7)
- तुकबंदी (2)
- तुकांत (20)
- त्रिभंगी छंद (7)
- त्रिवेणी (1)
- त्रिष्टुप छंद (1)
- दुर्मिल सवैया (1)
- देशभक्ति (10)
- दोहा (6)
- दोहा मुक्तक (4)
- दोहा-गीत (12)
- दोहे (99)
- नवगीत (11)
- नारी (1)
- पद (1)
- भजन (5)
- माहिया (1)
- मुक्तक (11)
- राजनैतिक समस्या (3)
- राधिका छंद (1)
- रूपमाला छंद (2)
- रोला छंद (4)
- रोला-गीत (2)
- वर्ण पिरामिड (7)
- विविध (1)
- शक्ति छंद (3)
- शब्दभेदी बाण (3)
- शिखरिणी छंद (1)
- शोभन (3)
- श्रृंगार (2)
- सजल (1)
- सरसी छंद (7)
- सवैया (1)
- सामाजिक समस्या (12)
- सार छंद (16)
- सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक (6)
- हरिगीतिका (1)
- हाइकू (4)
- mp3 (6)