नारी का बहू रूप
नारी नाना रूप में, बहू रूप में सार । मां तो बस संतान की, पत्नी का पति प्यार । पत्नी का पति प्यार, मात्र पति को घर जाने । बेटी पन का भाव, मायका बस को माने ।। सास-ससुर परिवार, बहू करती रखवारी । बहू मूल आधार, समझ लो हर नर नारी ।।
नर के सारे काम में, दक्ष हुई अब नार ।
नारी के हर काम को, करने नर तैयार ।।
करने नर तैयार, काम में अंतर कैसे ।
गढ़ना घर परिवार, पुरुष ना नारी जैसे ।
सुन लो कहे 'रमेश', सभी नारी घर के ।
महिला से परिवार, नहीं हो सकता नर के ।।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें