‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

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होली

1.
ये
रंग
बदन
रंगा नही
श्वेत हैं वस्त्र
रंग गया मन
प्रीत के रंग लिये ।

2.मैं
होली
उमंग
शरारत
मेरे दामन हैं
बांटने आई हूॅ
हॅसी, खुशी, एकता ।

लड़ना है मुझको


मैं
नही
चाहता
बिना लड़े
शहिद होना
युद्ध चाहता हूॅ
शत्रुओं को मारने ।।1।।

मैं
नहीं
कायर
शत्रुओं सा
बुजदिल भी
आमने-सामने
लड़ना है मुझको ।।2।।
-रमेश चौहान

सहमे आतंक से


ये
आग
बुझाये
कौन ? कैसे ?
फैल रहा है
आतंक ! आतंक !
जेहादी जुनून से।।1।।


या
मौला
या रब
कौन करे ?
फतवा जारी
मौला बैठे मौन
सहमे आतंक से  ।।2।।

कट्टरता

रे
इंसा
कट्टर
बनकर
क्यों लगाते हो
घोसलों में आग
जहां तेरा घरौंदा।।

वर्ण पिरामिड-2

  ये
   मन
  चंचल
 है चाहता
तन छोड़ना
जैसे पत्ते डाल,
छोड़ कर भागता ।

वर्ण पिरामिड -1

          जो
 पत्ते
बिखरे
डाल छोड़े
हवा उड़ाये
     बरखा भिगाये
   धूल मिट्टी सड़ाये ।।

हे मनमोहना

ले
मुख
बासुरी
हो सम्मुख
मनमोहना
देकर सुख
हर लीजिये दुख ।।
..........................
हो
तुम
हमारे
सर्वस्व ही
अर्पण तुम्हें
तन मन धन
गुण अवगुण सारे ।।

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