‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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जय-जय जय गणपति

जय-जय जय गणपति, जय-जय जगपति, प्रथम पूज्य भगवंता । हे विद्यादाता, भाग्य विधाता, रिद्धि-सिद्धि सुखकंता।। जय-जय गणनायक, जय वरदायक, चरण गहे सुर संता । भक्तन हितकारी, दण्डकधारी, , हे मद-मत्सर हंता ।। है गज मुख पावन, शोक नशावन, दिव्य रूप इकदंता । है मूषक वाहन, परम सुहावन, सकल सृष्टि उपगंता ।। हे गौरी नंदन, तुझको वंदन, टेर सुनो अब मोरी । जाऊँ बलिहारी, हे...

जन-मन विमल करो माँ

हे आदि भवानी, जग कल्याणी, जन मन के हितकारी । माँ तेरी ममता, सब पर समता, जन मन को अति प्यारी ।। हे पाप नाशनी, दुख विनाशनी, जग से पीर हरो माँ । आतंकी दानव, है क्यों मानव, जन-मन विमल करो माँ ...

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