‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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अँकुश व्‍यपारी पर नहीं

 जनता मेरे देश का, दिखे विवश लाचार ।अँकुश व्‍यपारी पर नहीं, सौ का लिए हजार ।।सौ का लिए हजार, सभी लघु दीर्घ व्‍यपारी ।लाभ नीति हो एक, देश में अब सरकारी ।।कितना लागत मूल्‍य,  बिक्री का कितना तेरे ।ध्‍यान रखें सरकार,  विवश हैं जनता मेरे ।।&nb...

सोच रखिये चिर-नूतन (नववर्ष की शुभकामना)

सोच रखिये चिर-नूतन(कुण्‍डलियॉं) नववर्ष की शुभकामना नित नव नूतन नवकिरण, दिनकर का उपहार ।भीनी-भीनी भोर से, जाग उठा संसार ।।जाग उठा संसार, खुशी नूतन मन भरने ।नयन नयापन नाप, करे उद्यम दुख हरने ।।सुन लो कहे ‘रमेश’, सोच रखिये चिर-नूतन ।वही धरा नभ सूर्य, नहीं कुछ नित नव नूतन...

दीप पर्व की शुभकामनाएं

धनतेरस (कुण्‍डलियां छंद) आयुष प्रभु धनवंतरी, हमें दीजिए स्वास्थ्य  ।आज जन्मदिन आपका,   दिवस परम परमार्थ ।।दिवस परम परमार्थ,  पर्व यह धनतेरस का ।असली धन स्वास्थ्य, दीजिए वर सेहत का ।।धन से बड़ा "रमेश", स्वास्थ्य पावन पीयुष ।आयुर्वेद का पर्व, आज बांटे हैं आयुष...

बच्चे समझ न पाय, दर्द जो मन हैं मेरे

मेरे घर संस्कार का,  टूट रहा दीवार ।छद्म सोच के अस्त्र से, करे बच्चे प्रतिकार ।।करे बच्चे प्रतिकार, कुपथ का बन सहचारी  ।मौज मस्ती के नाम, बने ना कुछ व्यवहारी।।हृदय रक्त रंजीत, कुसंस्कारों के घेरे ।बच्चे समझ न पाय, दर्द जो मन हैं  मेरे ।।-रमेश चौ...

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