‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

सोच रखिये चिर-नूतन (नववर्ष की शुभकामना)

सोच रखिये चिर-नूतन
(कुण्‍डलियॉं)

नववर्ष की शुभकामना

 नित नव नूतन नवकिरण, दिनकर का उपहार ।

भीनी-भीनी भोर से, जाग उठा संसार ।।

जाग उठा संसार, खुशी नूतन मन भरने ।

नयन नयापन नाप, करे उद्यम दुख हरने ।।

सुन लो कहे ‘रमेश’, सोच रखिये चिर-नूतन ।

वही धरा नभ सूर्य, नहीं कुछ नित नव नूतन ।।


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