सोच रखिये चिर-नूतन
(कुण्डलियॉं)
नववर्ष की शुभकामना
नित नव नूतन नवकिरण, दिनकर का उपहार ।
भीनी-भीनी भोर से, जाग उठा संसार ।।
जाग उठा संसार, खुशी नूतन मन भरने ।
नयन नयापन नाप, करे उद्यम दुख हरने ।।
सुन लो कहे ‘रमेश’, सोच रखिये चिर-नूतन ।
वही धरा नभ सूर्य, नहीं कुछ नित नव नूतन ।।
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