‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

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राष्ट्र से जोड़े नाता

चलो चले उस राह, चले थे जिस पर बाबा ।
पूजें अपना देश, यही है काशी काबा ।
ओठों पर जय हिन्द, दिलों पर भारत माता ।
राष्ट्रधर्म ही एक, राष्ट्र से जोड़े नाता ।।

प्यार होता है अंधा

कहते थे जो लोग, प्यार होता है अंधा ।
दंग रहा मैं देख, आज इसमें भी धंधा ।।
एक देव का हार, चढ़े दूजे प्रतिमा पर ।
पूजारन की चाह, मिले प्रसाद मुठ्ठी भर ।।

पत्थर का वह देव, कभी लगते त्रिपुरारी ।
कभी कभी वह होय, रास करते बनवारी ।।
सीता का वह राम, खोज ना पाये रावण ।
राधा बनी अधीर, प्यार लगते ना पावन ।।

रहना तुम सचेत (रोला छंद)

मेरे अजीज दोस्त, अमर मै अकबर है तू ।
मै तो तेरे साथ, साथ तो हरपल है तू ।।
रहना तुम सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।

मेरे घर के खीर, सिवइयां तेरे घर के ।
खाते हैं हम साथ, बैठकर तो जी भर के ।।
इस भोजन का स्वाद, लोग वो जान न पाये ।
बैर बीज जो रोप, पेड़ दुश्‍मनी का लगाये ।। रहना तुम सचेत ....

यह तो भारत देश्‍ा, लगे उपवन फूलों का ।
माली न बने चोर,कष्‍ट दे जो श्‍ाूलों का ।।
रखना हमको ध्यान, बांट वो हमें न पावे ।
वो तो अपने स्वार्थ, आज तो आग लगावे ।। रहना तुम सचेत ....

तू जो करे अजान, करूं मै ईश्‍वर पूजा ।
ईश्‍वर अल्ला नाम, नही हो सकते दूजा ।।
करते हम सम्मान, एक दूजे को भाये ।
हमें मिले जो श्‍ाांति, और जन जान न पाये ।। रहना तुम सचेत ....


हाड़ मांस का देह, रक्त में भी है लाली ।
हिन्दू मुस्लिम पूर्व, रहे हम मानव खुश्‍ाहाली ।।
दिये हमारे बाप, सीख जो उसे निभायें ।
अब कौमी के गीत, साथ मिलकर हम गायें । रहना तुम सचेत ....

एक श्रमीक नारी (रोला छंद)

बैठी गिट्टी ढेर, एक श्रम थकीत नारी ।
माथे पर श्रम श्‍वेद, लस्त कुछ है बेचारी ।।
पानी बोतल हाथ, शांत करती वह तृष्‍णा ।
रापा टसला पास, जपे वह कृष्‍णा कृष्‍णा ।।

पी लेती हूॅ नीर, काम है बाकी करना ।
काम काम रे काम, रोज है जीना मरना ।।
मजदूरी से मान, कहो ना तुम लाचारी ।
मिलकर सारे बोझ, ढोय ना लगते भारी ।।

सवाल पापी पेट, कौन ले जिम्मेदारी ।
एक अकेले आप, खीच सकते हो गाड़ी ।।
मिलकर हम घर बार, चलायें साजन मेरे ।
अपना ये परिवार, कहां है केवल तेरे ।।


जीवन है संग्राम, जूझते संघर्षो से ।
सफल होय इंसान, वेद कहते वर्षो से ।।
अराधना है काम, काम ही ईश्‍वर भैय्या ।
पूजे जो निष्‍काम, पार हो जीवन नैय्या ।।

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