मैं अंगूठा छाप हूॅं, दो पैसे से काम ।
रोजी-रोटी चाहिये, नहीं चाहिये नाम ।
नहीं चाहिये नाम, देश पर जो हो भारी ।
जीना मुझको देश, छोड़कर हर लाचारी ।।
समरथ को नहि दोष, करे जो काम अनूठा ।
दिखा न पाऊॅ आज, देश को मैं अंगूठा ।।
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चलो चलें हम
चलो चलें हम साथ में, देशप्रेम की राह ।
डगर कठिन कोई नही, जब मन में हो चाह ।
जब मन में, चाह जगे तब, नभ झुक जाये ।
पथ कंटक को, चुन-चुन छांटें,जो दुख ढाये । ।
भरकर हुँकार, शत्रु को मार, बढ़े चलें हम ।
देशप्रेम की, गाथा गढने, चलो चलें हम ।...
बचे न कोई एक
मारो मारो घेर कर, बचे न कोई एक ।
जितने आतंकी खड़े, मारो सबको छेक ।।
मारो सबको, छेक-छेक कर, बचे न कोई ।
बचे न कोई, ये आतंकी, इज्जत खोई ।
इज्जत खोई, हुये शहीद हैं, कितनों यारोंं ।
खोज-खोज कर, अब चुन-चुन कर, सबको मारो ।...
कट्टरता
कारण केवल एक है, राष्ट्रद्रोह के मूल ।
कट्टरता स्वीकारना, बड़ी हमारी भूल ।।
बड़ी हमारी भूल, बढ़ावा इनको देना ।
राजनीति के स्वार्थ, बांटना इन्हें चबेना ।।
जाति धर्म सब नेक, बुरा कट्टरता धारण ।
कट्टरता का बीज, एक है केवल कारण ।...
हिंदी रोमन में लिखें
मरना चाहे देश पर, करता है वह बात ।
हिंदी रोमन में लिखे, कैसा है जज्बात ।।
कैसा है जज्बात, नहीं जिसमें अपनापन ।
देश प्रेम का शर्त, देश से हो अपनापन।।
करने सबको एक, राष्ट्र भाषा को भर ना ।।
जीना केवल देश, इसे भी मानें मरना ।।...
आस्तिन के सांपो को अब कुचलना होगा
औकात नहीं है गैरों का, जो हमकों आँख दिखाये ।
ये तो घर के ही भेदी हैं, जो बैरी बनकर आये ।।
भारत माता की जय कहना, जिसको है नही गवारा ।
आज निभायें कैसे उनसे, एकाकी भाईचारा ।।
भारतीय सेना पर बैरी, जब-तब पत्थर है मारे ।
सहन शक्ति की सीमा होती, इन्हें कहे कैसे प्यारे ।।
जिन्हे तिरंगे पर मान नही, वह कैसे हिन्दुस्तानी ।
जो भारत को खण्डित करने,...
देश मेरा, मैं देश का
देश मेरा भक्ति मेरी, भक्ति का मैं धर्म हूँ ।
राष्ट्र मेरा कर्म मेरा, कर्म का मैं मर्म हूँ ।।
भूमि मेरी मातु मेरी, मातु का मैं लाल हूँ ।
लोग मेरे देश मेरा, देश का मैं ढाल हूँ ।।
है नही ये देश मुझ से, मैं यहां हूँ देश से ।
देह मेरी सोच मेरा,, प्राणपन है देश से ।।
राष्ट्र सेवा मंत्र मेरा, मंत्र का मैं वर्ण हूँ ।
देश मेरा वृक्ष बरगद, वृक्ष का मैं...
मातरम् मातरम् मातरम् मातरम (माँ भारती की आरती)
//माँ भारती की आरती//
(212 212 212 212)
स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम
हिन्द जैसी धरा और जग में कहां
विश्व कल्याण की कामना हो जहां
ज्ञान की यह धरा मेटती घोर तम
मातरम मातरम मातरम मातरम
स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम
श्याम की बांसुरी...
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में
( उल्लाल छंद)
देश हमारा हम देश के, देश हमारा मान है ।
मातृभूमि ऊंचा स्वर्ग से, भारत का यश गान है ।।
देश एक है सागर गगन एक रहे हर हाल में ।
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में ।।
धर्म हमारा हम धर्म के, जिस पर हमें गुमान है ।
धर्म-कर्म जीवन में दिखे,जो खुद प्रकाशवान है ।।
फंसे रहेंगे कब तलक हम, पाखंडियों के जाल में ।
देश भक्ति...
राष्ट्रवाद
धर्मवाद के फेर में, राष्ट्रवाद है फेल ।
खेलें हैं जब धर्म पर, राजनीति का खेल ।
राजनीति में मान कर, जाति धर्म में भेद ।
मतदाता को बांटना, लोकतंत्र का छेद ।।
आन-बान इस देश का, जो रखते सम्हाल ।
जीते रहते देश पर, लिये मौत का ढाल ।।
राष्ट्रवाद पर प्रश्न क्यों, खड़ा किये हैं लोग ।
जिसके कारण आज तो, दिखे देश में रोग ।।
निज मौलिक कर्तव्य है, राष्ट्रवाद...
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