मरना चाहे देश पर, करता है वह बात ।
हिंदी रोमन में लिखे, कैसा है जज्बात ।।
कैसा है जज्बात, नहीं जिसमें अपनापन ।
देश प्रेम का शर्त, देश से हो अपनापन।।
करने सबको एक, राष्ट्र भाषा को भर ना ।।
जीना केवल देश, इसे भी मानें मरना ।।
हिंदी रोमन में लिखे, कैसा है जज्बात ।।
कैसा है जज्बात, नहीं जिसमें अपनापन ।
देश प्रेम का शर्त, देश से हो अपनापन।।
करने सबको एक, राष्ट्र भाषा को भर ना ।।
जीना केवल देश, इसे भी मानें मरना ।।
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