औकात नहीं है गैरों का, जो हमकों आँख दिखाये ।
ये तो घर के ही भेदी हैं, जो बैरी बनकर आये ।।
ये तो घर के ही भेदी हैं, जो बैरी बनकर आये ।।
भारत माता की जय कहना, जिसको है नही गवारा ।
आज निभायें कैसे उनसे, एकाकी भाईचारा ।।
आज निभायें कैसे उनसे, एकाकी भाईचारा ।।
भारतीय सेना पर बैरी, जब-तब पत्थर है मारे ।
सहन शक्ति की सीमा होती, इन्हें कहे कैसे प्यारे ।।
सहन शक्ति की सीमा होती, इन्हें कहे कैसे प्यारे ।।
जिन्हे तिरंगे पर मान नही, वह कैसे हिन्दुस्तानी ।
जो भारत को खण्डित करने, करते रहते शैतानी।।
जो भारत को खण्डित करने, करते रहते शैतानी।।
ऐसे शैतानों को पहले, अब सबक सिखाना होगा ।
पाक चीन से पहले इनको, औकात दिखाना होगा ।।
पाक चीन से पहले इनको, औकात दिखाना होगा ।।
पल रहें है जितनेे खटमल,अब उन्हें मसलना होगा ।
आस्तिन के सांपो के फन को, अब हमें कुचलना होगा ।
आस्तिन के सांपो के फन को, अब हमें कुचलना होगा ।
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