‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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भूकंप की मार से

वहां घोर भूकंप की मार से ।। बहे आदमी अश्रु की धार से । घरौंदे जहां तो गये हैं बिखर । जहां पर बचे ही न ऊॅंचे शिखर ।। सड़क पर बिलख रोय मासूम दो। घरौंदा व माॅ-बाप को खोय जो ।। दिखे आसरा ना कहीं पर अभी । परस्पर समेटे भुजा पर तभी ।। डरी और सहमी बहुत है बहन । हुये स्तब्ध भाई करे दुख सहन ।। नही धीर को धीरता शेष है । नहीं क्लेष को होे रहे क्लेष है ।। रूठे...

अपेक्षा (शक्ति छंद)

अपेक्षा नही है किसी से मुझे । खुदा भी नही मुफ्त देते तुझे ।। भजन जो करेगा सुनेगा खुदा । चखे कर्म फल हो न हो नाखुदा ।। पड़े लोभ में लोेग सारे यहां । मदद खुद किसी की करे ना जहां ।। अपेक्षा रखे दूसरों से वही । भरोसा उसे क्या कुुवत पर नही ।। मदद जोे करे दूसरो का कहीं । अभी भी बची आदमीयत वहीं । कभी सांच को आंच आवे नही । कुहासा सुरूज को...

बसे प्राण तो गांव के खेत में (शक्ति छंद)

शहर के किनारे इमारत जड़े । हरे पेड़ हैं ढेर सारे खड़े । सटे खेत हैं नीर से जो भरे । कृषाक कुछ जहां काम तो हैं करे ।। हमें दे रहा द्श्य संदेश है । गगन पर उड़े ना हमें क्लेश है । जमी मूल है जी तुम्हारा सहीं । तुम्हें देख जीना व मरना यहीं ।। करें काज अपने चमन के...

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