‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

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दीप पर्व की शुभकामनाएं

धनतेरस (कुण्‍डलियां छंद)

आयुष प्रभु धनवंतरी, हमें दीजिए स्वास्थ्य  ।

आज जन्मदिन आपका,   दिवस परम परमार्थ ।।

दिवस परम परमार्थ,  पर्व यह धनतेरस का ।

असली धन स्वास्थ्य, दीजिए वर सेहत का ।।

धन से बड़ा "रमेश", स्वास्थ्य पावन पीयुष ।

आयुर्वेद का पर्व, आज बांटे हैं आयुष ।।



दीप (रूपमाला छंद)

दीप की शुभ ज्‍योति पावन,  पाप तम को  मेट ।

अंधियारा को हरे है,  ज्‍यों करे आखेट ।

ज्ञान लौ से दीप्‍त होकर,  ही करे आलोक ।

आत्‍म आत्‍मा प्राण प्राणी,  एक सम भूलोक ।।


-रमेश चौहान

हम मजदूर

रूपमाला छंद

राम जाने राम जाने, कौन लाया रोग ।
हो गया है बंद दुनिया, कष्ट भोगे लोग ।।
चीन दोषी चीन दोषी, राग छेडे ट्रंप ।
तेज गति से तेज दौड़े, ले करोना जंप ।।

लाॅक डाउन लाॅक डाउन, बंद चारों खंद ।
काम धंधा बंद है जी, चार पैसा बंद ।।
पेट मांगे भात दे दो, आज हम मजबूर ।
हाथ मांगे काम दे दो, लोग हम मजदूर ।

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