‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

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गांव बने तब एक निराला

http://www.openbooksonline.com/xn/detail/5170231:BlogPost:799762 सौंधी सौंधी मिट्टी महकेचीं-चीं चिड़िया अम्बर चहके । बाँह भरे हैं जब धरा गगनबरगद पीपल जब हुये मगनगांव बने तब एक निरालादेख जिसे ईश्वर भी बहके । ऊँची कोठी एक न दिखतेपगडंडी पर कोल न लिखतेहै अमराई ताल तलैया,गोता खातीं जिसमें अहके । शोर शराबा जहां नही हैबतरावनि ही एक सही हैचाचा-चाची...

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