‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मातरम् मातरम् मातरम् मातरम (माँ भारती की आरती)

//माँ भारती की आरती//
(212    212    212     212)

स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम

हिन्द जैसी धरा और जग में कहां
विश्व कल्याण की कामना हो जहां
ज्ञान की यह धरा मेटती घोर तम
मातरम मातरम मातरम मातरम

स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम

श्याम की बांसुरी कर्म का नाद है
आचरण राम का नित्य संवाद है
हिन्द है वह धरा है जहां यह मरम
मातरम मातरम मातरम मातरम

स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम

जय जयतु भारती जय जयतु भारती
कर जोर कर नित्य ही हम करे आरती
मातु ये है हमारी व संतान हम
मातरम मातरम मातरम मातरम

स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम
मातरम मातरम मातरम मातरम

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