‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

अँकुश व्‍यपारी पर नहीं

 जनता मेरे देश का, दिखे विवश लाचार ।

अँकुश व्‍यपारी पर नहीं, सौ का लिए हजार ।।

सौ का लिए हजार, सभी लघु दीर्घ व्‍यपारी ।

लाभ नीति हो एक, देश में अब सरकारी ।।

कितना लागत मूल्‍य,  बिक्री का कितना तेरे ।

ध्‍यान रखें सरकार,  विवश हैं जनता मेरे ।। 


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