टाॅपर बच्चे स्कूल के, नौकर हैं अधिकांश ।
पहले पुस्तक दास थे, अब मालिक के दास।।
अब मालिक के दास, शान शौकत दिखलाता ।
खुद का क्या पहचान, रौब अपना बतलाता ।।
मालिक बना रमेश, लिये शिक्षा जो सच्चे ।
सफल दिखे अधिकांश, नहीं है टाॅपर बच्चे ।।
-रमेश चौहान
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