दुनियाभर की हर खुशी, तुझे मिले लोकेश ।
सुत ! सपनों का आस हो, कहते पिता रमेश ।।
कहते पिता रमेश, आदमी पहले बनना ।
धैर्य शौर्य रख साथ, संकटों पर तुम तनना ।।
देश और परिवार, प्रेम पावन अंतस भर ।
करके काम विशेष, नाम करना दुनियाभर ।।
सुत ! सपनों का आस हो, कहते पिता रमेश ।।
कहते पिता रमेश, आदमी पहले बनना ।
धैर्य शौर्य रख साथ, संकटों पर तुम तनना ।।
देश और परिवार, प्रेम पावन अंतस भर ।
करके काम विशेष, नाम करना दुनियाभर ।।
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