नित्य निरन्तर ध्येय पथ, पाद त्राण हो आपका ।
काव्य फलक के सूर्य सम, सम्य मान हो आपका ।।
काव्य फलक के सूर्य सम, सम्य मान हो आपका ।।
बुद्धि प्रखर अरु स्वस्थ हो, राष्ट्र प्रेम पीयूष से ।
काया कल्पित स्वस्थ हो, मनोभाव सह तूष से ।।
(तूष-संतोष)
काया कल्पित स्वस्थ हो, मनोभाव सह तूष से ।।
(तूष-संतोष)
प्रेम जगत का प्राप्य हो, प्रेम सुवासित बाँट कर ।
शान्ति नित्य शाश्वत रहे, तन-मन पीड़ा छाँट कर ।।
शान्ति नित्य शाश्वत रहे, तन-मन पीड़ा छाँट कर ।।
सुयश अमर हो आपका, चेतन होवे लेखनी ।
वर्ण शब्द अरु भाव से, व्यक्त काव्य हो पेखनी ।
(पेखनी-विशिष्ट तथ्य)
वर्ण शब्द अरु भाव से, व्यक्त काव्य हो पेखनी ।
(पेखनी-विशिष्ट तथ्य)
अपनों को भूले नहीं, मिट्टी रखें सम्हाल कर ।
चाहे हों धरती फलक, चाहे हों अट्टाल पर ।
-रमेश चौहान
चाहे हों धरती फलक, चाहे हों अट्टाल पर ।
-रमेश चौहान
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