‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भूमि अतिक्रमण का मार


नदियों पर ही बस गये, कुछ स्वार्थी इंसान ।
नदियां बस्ती में बही, रखने निज सम्मान ।।

जल संकट के मूल में, केवल हैं इंसान ।
जल के सारे स्रोत को, निगल रहे नादान ।।

कहीं बाढ़ सूखा कहीं, कारण केवल एक ।
अतिक्रमण तो भूमि पर, लगते हमको नेक ।।

गोचर गलियां गुम हुई, चोरी भय जल स्रोत ।
चोर पुलिस जब एक हो, कौन लगावे रोक ।।

जंगल नदियों से छिन रहे, हम उनके पहचान को ।
ये भी अब बदला ले रहे, तोड़ रहें इंसान को ।।

-रमेश चौहान

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