आजादी रण शेष है, हैं हम अभी गुलाम ।
आंग्ल मुगल के सोच से, करे प्रशासन काम ।।
मुगलों की भाषा लिखे, पटवारी तहसील ।
आंग्लों की भाषा रटे, अफसर सब तफसील ।।
लोकतंत्र में देश का, अपना क्या है काम ।
भाषा अरू ये कायदे, सभी शत्रु के नाम ।।
ना अपनी भाषा लिये, ना ही अपनी सोच ।
आक्रांताओं के जुठन, रखे यथा आलोच ।।
लाओं क्रांति विचार में, बनकर तुम फौलाद ।
निज चिंतन संस्कार ही, करे हमें आजाद ।
आंग्ल मुगल के सोच से, करे प्रशासन काम ।।
मुगलों की भाषा लिखे, पटवारी तहसील ।
आंग्लों की भाषा रटे, अफसर सब तफसील ।।
लोकतंत्र में देश का, अपना क्या है काम ।
भाषा अरू ये कायदे, सभी शत्रु के नाम ।।
ना अपनी भाषा लिये, ना ही अपनी सोच ।
आक्रांताओं के जुठन, रखे यथा आलोच ।।
लाओं क्रांति विचार में, बनकर तुम फौलाद ।
निज चिंतन संस्कार ही, करे हमें आजाद ।
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