‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

चिंतन के दोहे

शांत हुई ज्योति घट में, रहा न दीपक नाम ।

अमर तत्व निज पथ चला, अमर तत्व से काम ।।


धर्म कर्म धर्म, कर्म का सार है, कर्म धर्म का सार ।

करें मृत्‍यु पर्यन्‍त जग, धर्म-कर्म से प्‍यार ।।


दुनिया भर के ज्ञान से, मिलें नहीं संस्‍कार ।

अपने भीतर से जगे, मानवता उपकार ।।


डाली वह जिस पेड़ की, उससे उसकी बैर ।

लहरायेगी कब तलक, कबतक उसकी खैर ।


जाति मिटाने देश में, अजब विरोधाभास ।

जाति जाति के संगठन, करते पृथ्‍क विलास ।।


सकरी गलियां देखकर, शपथ लीजिये एक ।

 बेजाकब्‍जा छोड़कर, काम करेंगे नेक ।।


शिक्षक निजि स्कूल का, दीन-हीन है आज ।

भूखमरी की राह पर, चले चले चुपचाप ।।


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