‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

रस छंद अलंकार

/रस/

पढ़न श्रवण या दरश से, मिलते जो आनंद ।

नाम उसी का रस कहे, काव्य मनीषी चंद ।।

/छंद/

यति गति तुक जिस काव्य में, अरु हो मात्रा भार ।

अथवा मात्रा भार हो, बनते छंद विचार ।

/अलंकार/

आभूषण जो काव्य का, अलंकार है नाम ।

वर्ण शब्द अरु अर्थ से, काव्य सजाना काम ।।

-रमेश चौहान

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