चलो नई शुरुआत करें हम । गम को तज मन खुशी भरें हम
चलिए बाधा दौड़ लगाएं । हर बाधा को धूल चटाएं
संघर्ष विहिन जीवन कैसा । पथ पर पाहन जड़वत जैसा
छल-छल कल-कल नदियां बहती । क्या वह कोई बाधा ना सहती
ज्ञानवान हो बुद्धिमान हो । हे मानव तुम तो सुजान हो
घोर निशा में दीप जलाए । तुमने ही तम घोर भगाए
जीवन बाधा से क्यों घबराएं । समय बिते पर क्यों पछताएं
चलो उठें कुछ कर दिखलाएं । अपने सपनों को हम सहलाएं
आंख खोलकर स्वप्न सजाएं । उन सपनों का महल बनाएं
महल बने वह सुंदर न्यारा । मन को भाए जो अति प्यारा
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें