धारण करने योग्य जो, कहलाता है धर्म ।
सबसे पहले देश है, समझें इसका मर्म ।।
जिसको अपने देश पर, होता ना अभिमान ।
कैसे उसको हम कहें, एक सजग इंसान ।।
हांड मांस के देह को, केवल मिट्टी जान ।
जन्म भूमि के धूल को, जीवन अपना मान ।।
सबसे पहले देश है, समझें इसका मर्म ।।
जिसको अपने देश पर, होता ना अभिमान ।
कैसे उसको हम कहें, एक सजग इंसान ।।
हांड मांस के देह को, केवल मिट्टी जान ।
जन्म भूमि के धूल को, जीवन अपना मान ।।
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