इतिहास में दबे पड़े हैं
काले हीरे मोती
अखण्ड़ भारत का खण्डित होना
किया जिसने स्वीकार
महत्वकांक्षा के ढोल पीट कर
करते रहे प्रचार
आजादी के हम जनक हैं
सत्ता हमारी बापोती
धर्मनिरपेक्षता को संविधान का
जब गढ़ा गया था प्राण
बड़े वस्त्र को काट-काट कर
क्यों बुना फिर परिधान
पैजामा तो हरपल साथ रहा पर
उपेक्षित रह गया धोती
जात-पात, भाषा मजहब में
फहराया गया था तिरंगा
क्यों कर देष में होता रहा
फिर अबतक मजहबी दंगा
वोट बैंक के कलम लिये
करते रह गये लीपा-पोती
आरक्षण अनुदान समता की सीढ़ी
बना गया एक हथियार
दीन-हीनों के हिस्से के दाने
खाते रह गये होषियार
भूल सफलता की कुंजी है
करें स्वीकार चुनौती
-रमेशकुमार सिंह चौहान
काले हीरे मोती
अखण्ड़ भारत का खण्डित होना
किया जिसने स्वीकार
महत्वकांक्षा के ढोल पीट कर
करते रहे प्रचार
आजादी के हम जनक हैं
सत्ता हमारी बापोती
धर्मनिरपेक्षता को संविधान का
जब गढ़ा गया था प्राण
बड़े वस्त्र को काट-काट कर
क्यों बुना फिर परिधान
पैजामा तो हरपल साथ रहा पर
उपेक्षित रह गया धोती
जात-पात, भाषा मजहब में
फहराया गया था तिरंगा
क्यों कर देष में होता रहा
फिर अबतक मजहबी दंगा
वोट बैंक के कलम लिये
करते रह गये लीपा-पोती
आरक्षण अनुदान समता की सीढ़ी
बना गया एक हथियार
दीन-हीनों के हिस्से के दाने
खाते रह गये होषियार
भूल सफलता की कुंजी है
करें स्वीकार चुनौती
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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