प्रेमी पागल एक सा, जैसे होते भक्त ।
होकर जगत निशक्त वह, प्रेमी पर आसक्त ।।
चंदन तरु सम प्रेम है, जिसका अचल सुगंध ।
गरल विरह की वेदना, सुधा मिलन अनुबंध ।।
होकर जगत निशक्त वह, प्रेमी पर आसक्त ।।
चंदन तरु सम प्रेम है, जिसका अचल सुगंध ।
गरल विरह की वेदना, सुधा मिलन अनुबंध ।।
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