बोल बम्म के गूंज से, गूंज रहा है व्योम ।
जय जय भोलेनाथ जय, जय शिवशंकर ओम ।
आदि देव ओंकार शिव, सकल सृष्टि के कंत ।
जगत उपेक्षित जीव के, प्रियवर शिव भगवंत ।।
महाकाल अवलंब जग, जीवन शाश्वत सत्य ।
निराकार ओंकार शिव, रूप गूढ़ आनंत्य ।।
जटा सोम गंगा पुनित, आदि शक्ति अर्धांग ।
नील वर्ण ग्रीवा गरल, जग व्यापक धवलांग ।।
कंठ ब्याल अँग भस्म रज, हस्त बिच्छु विष डंक ।
संग भूत बेताल बहु, फिर भी भक्त निशंक ।।
आषुतोष शंकर सरल, अवघरदानी देव ।
श्रद्धा अरु विश्वास धर, भक्त करें हैं सेव ।।
चरण-शरण प्रभु लीजिये, हम माया आसक्त ।
पूजन विधि जाने नही, पर हैं तेरे भक्त ।।
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