बैरी बाहर है नहीं, घर अंदर है चोर ।
मानवता के नाम पर, राष्ट्र द्रोह ना थोर ।।
राष्ट्र द्रोह ना थोर, शत्रु को पनाह देना ।
गढ़कर पत्थरबाज, साथ उनके हो लेना ।।
राजनीति का स्वार्थ, कहां है अब अनगैरी ।
सैनिक का अपमान, मौन हो देखे बैरी ।।
मानवता के नाम पर, राष्ट्र द्रोह ना थोर ।।
राष्ट्र द्रोह ना थोर, शत्रु को पनाह देना ।
गढ़कर पत्थरबाज, साथ उनके हो लेना ।।
राजनीति का स्वार्थ, कहां है अब अनगैरी ।
सैनिक का अपमान, मौन हो देखे बैरी ।।
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