‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

दंभ भरे है तंत्र

खड़े रहे हम पंक्ति, देखने नोट गुलाबी । वह अपने घर बैठ, दिखाते रहे खराबी ।। पाले स्वप्न नवीन, पीर झेले अधनंगे । कोशिश किये हजार, कराने वह तो दंगे । जिसने घोला है जहर, रग में भ्रष्टाचार का । दंभ भरे है तंत्र वह, अपने हर व्यवहार का ...

/त्रिष्टुप छंद//

(111 212 212 11) विरह पीर से गोपियां व्रजडगर जोहती श्यामनी तटनयन ढूंढती श्याम का पथअधर श्याम है श्याम है घट -रमेश चौहान...

गीत

सेठों को देखा नही, हमने किसी कतार में   फुदक-फुदक कर यहां-वहां जब चिड़िया तिनका जोड़े बाज झपट्टा मार-मार कर उनकी आशा तोड़े   जीवन जीना है कठिन, दुनिया के दुस्वार में   जहां आम जन चप्पल घिसते दफ्तर-दफ्तर मारे । काम एक भी सधा नही है रूके हुयें हैं सारे   कौन कहे कुछ बात है, दफ्तर उनके द्वार म...

पंक्ति एक जीवन है

पंक्ति एक जीवन है साथी पंक्ति एक जीवन है । निर्धन यहाँ पंक्ति का कैदी, धरती का ठीवन है ।। दो जून पेट का ही भरना, दीनों का तीवन है । आजीविका ढूंढते यौवन, शिक्षा का सीवन है ।। यक्ष प्रश्न आज पूछथे क्यों, धन बिन क्या जीवन है । आँख मूंद कर बैठे रहना, राजा का खीवन है ।। ---------------------- (ठीवन-थूक, तीवन-पकवान, सीवन-सिलाई, खीवन-मतवालापन) पंक्ति...

एक ही है धर्म जग में

एक ही है धर्म जग में,  जीवन कला सकाम एक ईश्वर सृष्टि कारी प्रति कण बसे अनाम । आदमी में भेद कैसा,  प्राणी एक समान । करे पूजा भले कोई, चाहे करे अजान...

प्यार होता कहां अंधा

प्यार होता कहां अंधा, जाने नही जवान । कौन माँ को देख कर के,  आया गर्भ जहान । छांटते फिर रहे प्रियसी, जस एक परिधान । साथ रहकर किसी से भी, करते प्रेम महान ...

गीता ज्ञान

शोभन मौत सदा सच है फिर भी, डरे क्यों मन प्राण । जीवन जीने का होता, उसे क्यों अभियान ।। कर्म सार है जीवन का, बांटे कृष्ण ज्ञान । मानवता एक धर्म ही, इसका सार जान ...

यही सत्य ही सत्य है

मानों या न मानो यारों यही सत्य ही सत्य है केवल प्यार ही प्यार है प्यार देखता नही कभी मजहब न लड़का न लड़की समझे इसका मतलब प्यार लिंग भेद में है नही यह तो वासना है यारों कभी किसी ने सोचा है केवल युवक और युवती क्यों करते फिरते रहते प्यार, प्यार इस जगती प्यार कैद में होता नही यह तो स्वार्थ है यारों प्यार के दुहाई देने वाले जग के प्यार भूल बैठे हैं जनक...

प्रदूषण

प्रकृति और मानव में मचा हुआ क्यों होड़ है धरती अम्बर मातु-पिता बन जब करते रखवारी हाड़-मांस का यह पुतला तब बनती देह हमारी मानव मन में जन्म से वायु-धूल का जोड़ है मानव मस्तिष्क नवाचारी नित नूतन पथ गढ़ता अपनी सारी सोच वही फिर गगन धरा पर मढ़ता ऐसी सारी सोच की अभी नही तो तोड़ है माँ के आँचल दाग मले वह शान दिखा कर झूठे अपने मुख पर कालिख पाकर पिता पुत्र...

भारत के राजधानी में

हवा में, पानी में भारत के राजधानी में घूम रहा है ‘करयुग‘ का कर्म श्यामल-श्यामल रूप धर कर यमराज के साथ चित्रगुप्त स्याह खाते को बाँह भर कर बचपने में, बुढ़ापे में कर रहा हिसाब भरी जवानी में जग का कण-कण बंधा है अपने कर्मो के डोर से सूर्य अस्त होता नही राहू-केतू के शोर से भरे हाट में, सुने बाट में छोड़ देता है पद चिन्ह हर जुबानी में पाप की रेखा लंबी...

लाल भयो, लाल भयो, लाल भयो रे

ब्रज के गोकुल में, ढोल मृदंग बाजे घर घर हर गलीयन में, खुशीयां है छाजे ।। लाल भयो, लाल भयो, लाल भयो रे, नदं बाबा को आज, तो लाल भयो रे । गोप है आये, ग्वालिन है आये नंद के द्वारे में, सब लोगन हर्षाये लाला को देखने, देखो आकाश में, सूर्य तारे संग, सब देवन है राजे । ।। ब्रज के गोकुल में, ढोल मृदंग बाजे घर घर हर गलीयन में, खुश्ीयां है छाजे ।। लाल भयो,...

क्यों तुम अब मजबूर हो

तुम समझते हो तुम मुझ से दूर हो । जाकर वहां अपने में ही चूर हो ।। तुम ये लिखे हो कैसे पाती मुझे, समझा रहे क्यों तुम अब मजबूर हो ।। ...

लफंगे

काया कपड़े विहीन नंगे होते हैं । झगड़ा कारण रहीत दंगे होते हैं।। जिनके हो सोच विचार ओछे दैत्यों सा ऐसे इंसा ही तो लफंगे होते हैं ।। ...

पौन हो तुम

कहो ना कहो ना मुझे कौन हो तुम , सता कर  सता कर  मुझे मौन हो तुम । कभी भी कहीं का किसी का न छोड़े, करे लोग काना फुसी पौन हो तुम ।। (पौन-प्राण ) ...

साये नजर आते नहीं

क्रोध में जो कापता, कोई उसे भाते नही । हो नदी ऊफान पर, कोई निकट जाते नही । कौन अच्छा औ बुरा को जांच पाये होश खो हो घनेरी रात तो साये नजर आते नहीं। ...

एक नूतन सबेरा आयेगा

अंधियारा को चीर, एक नूतन सबेरा आयेगा । राह बुनता चल तो सही तू, तेरा बसेरा आयेगा ।। हौसला के ले पर, उडान जो तू भरेगा नीले नभ । देख लेना कदमो तले वही नभ जठेरा आयेगा । ...

हाथ में रंग आयेगा

पीसो जो मेंहदी तो, हाथ में रंग आयेगा । बोये जो धान खतपतवार तो संग आयेगा । है दस्तुर इस जहां में सिक्के के होते दो पहलू दुख सहने से तुम्हे तो जीने का ढंग आयेगा ।। ...

घुला हुआ है वायु में, मीठा-सा विष गंध (नवगीत,)

घुला हुआ है वायु में, मीठा-सा  विष गंध जहां रात-दिन धू-धू जलते, राजनीति के चूल्हे बाराती को ढूंढ रहे  हैं, घूम-घूम कर दूल्हे बाँह पसारे स्वार्थ के करने को अनुबंध भेड़-बकरे करते जिनके, माथ झुका कर पहुँनाई बोटी -  बोटी करने वह तो सुना रहा शहनाई मिथ्या- मिथ्या प्रेम से बांध रखे इक बंध हिम सम उनके सारे वादे हाथ रखे सब पानी चेरी,  चेरी...

सावन सूखा रह गया

सावन सूखा रह गया, सूखे भादो मास विरहन प्यासी धरती कब से, पथ तक कर हार गई पनघट पूछे बाँह पसारे, बदरा क्यों मार गई पनिहारिन भी पोछती अपना अंजन-सार रक्त तप्त अभिसप्त गगन यह, निगल रहा फसलों को बूँद-बूँद कर जल को निगले, क्या दें हम नसलों को धू-धू कर अब जल रही हम सबकी अँकवार कब तक रूठी रहेगी हमसे, अपना मुँह यूॅं फेरे हम तो तेरे द्वार खड़े हैं हृदय हाथ...

शब्दभेदी बाण-3

25.10.16 एक मंत्र है तंत्र का, खटमल बनकर चूस। झोली बोरी छोड़कर, बोरा भरकर ठूस ।। दंग हुआ यह देख कर, रंगे उनके हाथ । मूक बधिर बन आप ही, जिनको देते साथ ।। ...

शब्द भेदी बाण-2

घाल मेल के रोग से,  हिन्दी है बीमार । अँग्रेजी आतंक से, कौन उबारे यार ।। हिन्दी की आत्मा यहाँ, तड़प रही दिन रात । देश हुये आजाद है,  या है झूठी बात ।। -रमेश चौह...

// शब्द भेदी बाण-1//

तोड़ें उसके दंभ को, दिखा रहा जो चीन । चीनी हमें न चाहिये, खा लेंगे नमकीन ।। राष्ट्र प्रेम के तीर से, करना हमें शिकार । बचे नही रिपु एक भी, करना ऐसे वार ।। - रमेश चौह...

बोल रहा है चीन

सुनो सुनो ये भारतवासी, बोल रहा है चीन । भारतीय बस हल्ला करते, होतें हैं बल हीन ।। कहां भारतीयों में दम है, जो कर सके बवाल । घर-घर तो में अटा-पड़ा है, चीनी का हर माल ।। कहां हमारे टक्कर में है, भारतीय उत्पाद । वो तो केवल बाते करते, गढ़े बिना बुनियाद ।। कमर कसो अब वीर सपूतो, देने उसे जवाब । अपना तो अपना होता है, छोड़ो पर का ख्वाब ।। नही खरीदेंगे हम...

‘मुरली से कोई बचे न बचे‘

मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं-प्रेम पटेल ‘मुरली से कोई बचे न बच...

‘हे गौरी नंदन‘

मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं -प्रेम पटेल ‘हे गौरी नंदन...

‘आदि देवी मातु तेरो आदि देव है पिता‘

मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं -प्रेम पटेल ‘आदि देवी मातु तेरो आदि देव है पिता...

‘धर्म बचावन को जग में‘

मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं -प्रेम पटेल ‘धर्म बचावन को जग मे...

‘लाल भयो, लाल भयो‘ (डांडिया)

मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं -प्रेम पटेल ‘लाल भयो, लाल भयो‘ (डांडिया...

‘राम रक्षा चालिसा‘

‘राम रक्षा चालिसा‘ मेरे इस गीत को स्वर दिये हैं -प्रेम पट...

करें राम को याद

विजयादशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं विजयादशमी पर्व पर, कर लें विजयी नाद । गढ़ने निज व्यवहार को,  करें राम को याद ।। करें राम को याद, बने हम कैसे मानव । मानवता पथ छोड़, बने क्यों रे हम दानव । रक्षा करने धर्म, लीजिये कसमा-कसमी । सार्थक तब तो होय, पर्व यह विजयादशमी ।। -रमेश चौह...

जय जय सेना हिन्द की

जय भारत जय भारती, जय जय भारत देश । जय जय सेना हिन्द की, जय जय हिन्द नरेश ।। जय जय हिन्द नरेश, किये पूरन अभिलाषा । जाने सारा विश्व, हिन्द की यह परिभाषा ।। मित्रों के हम मित्र, शत्रु दल के संघारक । मिटे सभी आतंक, घोष सुन जय जय भारत ।। ।। ...

जन-मन विमल करो माँ

हे आदि भवानी, जग कल्याणी, जन मन के हितकारी । माँ तेरी ममता, सब पर समता, जन मन को अति प्यारी ।। हे पाप नाशनी, दुख विनाशनी, जग से पीर हरो माँ । आतंकी दानव, है क्यों मानव, जन-मन विमल करो माँ ...

हिन्दी दिवस

भाषा यह हिन्दी, बनकर बिन्दी, भारत माँ के, माथ भरे । जन-मन की आशा, हिन्दी भाषा, जाति धर्म को, एक करे ।। कोयल की बानी, देव जुबानी, संस्कृत तनया, पूज्य बने । क्यों पर्व मनायें,क्यों न बतायें, हिन्दी निशदिन, कंठ सने ...

गांव बने तब एक निराला

http://www.openbooksonline.com/xn/detail/5170231:BlogPost:799762 सौंधी सौंधी मिट्टी महकेचीं-चीं चिड़िया अम्बर चहके । बाँह भरे हैं जब धरा गगनबरगद पीपल जब हुये मगनगांव बने तब एक निरालादेख जिसे ईश्वर भी बहके । ऊँची कोठी एक न दिखतेपगडंडी पर कोल न लिखतेहै अमराई ताल तलैया,गोता खातीं जिसमें अहके । शोर शराबा जहां नही हैबतरावनि ही एक सही हैचाचा-चाची...

खाक करे है देह को

खाक करे है देह को, मन का एक तनाव । हँसना केवल औषधी, पार करे जो नाव ।। फूहड़ता के हास्य से, मन में होते रोग । करें हास परिहास जब, ध्यान रखें सब लोग ।। बातचीत सबसे करे, बनकर बरगद छाँव। कोयल वाणी बोलिये, तजें कर्ककश काँव ।। धान्य बड़ा संतोष का, जलन बड़ा है रोग । परहित सा सेवा नही, नहीं स्वार्थ सा भोग ।। डोर प्रेम विश्वास का, सबल सदा तो होय । टूटे से...

कार्बन क्रोड़ प्रतिरोध निर्धारण हेतु दोहे

//विज्ञान के विद्यार्थीयों के लिये// कार्बन क्रोड़ प्रतिरोध निर्धारण हेतु दोहे- (B.B. ROY of Great Bharat has Very Good Wife) काला भूरा लाल है, वा नारंगी पीत । हरित नील अरू बैगनी, स्लेटी सादा शीत ।। दिखे रंग जब सुनहरा, पांच होय है ढंग । चांदी के दस होय है, बीस होय बिन...

हे गौरी नंदन

त्रिभंगी छंद हे गौरी नंदन, प्रभु सुख कंदन, हे विघ्न हरण, भगवंता । गजबदन विनायक, शुभ मति दायक, हे प्रथम पूज्य, इक दंता ।। हे आदि अनंता, प्रिय भगवंता, रिद्धी सिद्धी , प्रिय कंता । हे देव गणेषा, मेटो क्लेषा, शोक विनाषक, दुख हंता ।। हे भाग्य विधाता, मंगल दाता, हे प्रभु भक्तन, हितकारी । तेरे चरण पड़े, सब भक्त खड़े, करते तेरो, बलिहारी ।। हे बुद्धि प्रदाता,...

मेरी बाहो में आओ

नीले नभ से उदित हुई तुम, नूतन किरणों सी छाई।ओठो पर मुस्कान समेटे,सुधा कलश तुम छलकाई ।। निर्मल निश्चल निर्विकार तुम, परम शांति को बगराओ ।बाहों में तुम खुशियां भरकर, मेरी बाहो में आओ।। -रमेश चौहान...

मेरी बाहो में आओ

नीले नभ से उदित हुई तुम,  नूतन किरणों सी छाई। ओठो पर मुस्कान समेटे, सुधा कलश तुम छलकाई ।। निर्मल निश्चल निर्विकार तुम,  परम शांति को बगराओ । बाहों में तुम खुशियां भरकर,  मेरी बाहो में आओ।। -रमेश चौहान...

कुलषित संस्कृति हावी तुम पर

कुलषित संस्कृति हावी तुम पर, बांह पकड़ नाच नचाये । लोक-लाज शरम-हया तुमसे, बरबस ही नयन चुराये ।। किये पराये अपनो को तुम, गैरों से हाथ मिलाये । भौतिकता के फेर फसे तुम, अपने घर आग लगाये ।। मैकाले के जाल फसे हो, समझ नही तुझको आयेे । अपनी संस्कृति अपनी माटी, तुझे फुटी आँख न भाये ।। दुग्ध पान को श्रेष्ठ जान कर, मदिरा को क्यो अपनाये । पियुष बूॅद गहे नही...

पीपल औघड़ देव सम

पीपल औघड़ देव सम, मिल जाते हर ठौर पर । प्राण वायु को बांटते, हर प्राणी पर गौर कर ।। आंगन छत दीवार पर, नन्हा पीपल झांकता । धरे जहां वह भीम रूप, अम्बर को ही मापता । कांव कांव कौआ करे, नीड़ बुने उस डाल पर । स्नेह पूर्ण छाया मिले, पीपल के जिस छाल पर ।। छाया पीपल पेड़ का, ज्ञान शांति दे आत्म का । बोधि दिये सिद्धार्थ को, संज्ञा बौद्ध परमात्म...

यही देश अभिमान है

आजादी का पर्व यह, सब पर्वो से है बड़ा । बलिदान के नींव पर, देश हमारा है खड़ा ।। अंग्रेजो से जो लड़े, बांध शीष पर वह कफन । किये मजबूर छोड़ने, सह कर उनके हर दमन ।। रहे लक्ष्य अंग्रेज तब, निकालना था देश से । अभी लक्ष्य अंग्रेजियत, निकालना दिल वेश से। आजादी तो आपसे, सद्चरित्र है चाहता । छोड़ो भ्रष्टाचार को, विकास पथ यह काटता ।। काम नही सरकार का, गढ़ना चरित्र...

गूॅंज रहे हैं व्योम

हर शिव हर शिव शिव शिव हर हर, शंभु सदाशिव ओम । हर हर महादेव शिव शंकर, गूॅंज रहे हैं व्योम ।। परम सुहावन सावन आये, भक्त करे जयकार । साजे काॅवर कांधे पर ले, भक्त चले शिव द्वार ।। दुग्ध शर्करा गंगा जल से, भक्त करे परिषेक । बेल पत्र अरू कनक पुष्प से, करे भक्त अभिषेक । आदिदेव को भक्त मनावे, करते आयुष्होम । हर हर महादेव... अंग भभूती चंदन मल कर, करते...

गौ माता

गाय को न जीव मात्र, मानिये महानुभाव हमने सदैव इसे, माॅं समान माना है । धरती की कामधेनु, धरती का कल्पवृक्ष भव तरण तारणी, गौ माॅं को ही जाना है । गौ माता के रोम-रोम, कोटि कोटि है देवता ब्रम्हा बिष्णु शिव सभी, गौ पर विराजते। धर्म सनातन कहे, गौ गंगा अरू गीता को जो करे मन अर्पण, मुक्ति पथ साजते ।। विज्ञान की कसौटी से, परख कर जाना है गौ मूत्र अरू गोबर...

अस्पताल में

गुंज रहीं हैं सिसकियां रूदन, क्रन्दन, आहें मरीजो के रोगो से जुझते हुये अस्पताल में । अट्हास कर रहा है, मौत अपने बाहों में भरने बेताब हर किसी को, हर पल अस्पताल में । किसी कोने पर दुबकी बैठी है जिंदगी एक टिमटिमाते लौ की तरह अस्पताल में । द्वंद चल रहा है जीवन और मौत में आशा और निराशा में घने अंधेरे को चिर सकता है धैर्य का मंद दीपक अस्पताल में । धैर्य...

//चित्र से काव्य तक//

बंदर दल वन छोड़ कर, घूम रहे हर गांव । छप्पर छप्पर कूद कर, तोड़ रहे हर ठांव । तोड़ रहे हर ठांव, परेशानी में मानव । रामा दल के मित्र, हमें लगते क्यों दानव ।। अर्जी दिया ‘रमेंश‘, समेटे पीर समंदर । पढ़े वानरी पत्र, साथ में नन्हा बंदर ।। पढ़ कर चिठ्ठी वानरी,, मन ही मन मुस्काय । अनाचार...

काया कैसे देश की, माने अपनी खैर

जाति जाति के अंग से, एक कहाये देह । काम करे सब साथ में, देह जगाये नेह । हाथ पैर का शत्रु हो, पीठ पेट में बैर । काया कैसे देश की, माने अपनी खैर ।। पंड़ित वह काश्मीर का, पूछ रहा है प्रश्न । टूटे मेरे घोसले, उनके घर क्यों जश्न ।। हिन्दू हिन्दी देश में, लगते हैं असहाय । दूर देश की धूल को, जब जन माथ लगाय ।। ‘कैराना‘ इस देश का, बता रहा पहचान...

जागो हिन्दू अब तो जागो

कौन सुने हिन्दू की बातें, गैर हुये कुछ अपने । कुछ गहरी निद्रा में सोये, देख रहें हैं सपने ।। गढ़ सेक्यूलर की दीवारे, अपने हुये पराये । हिन्दूओं की बातें छोड़ो, हिन्दू जिसे न भाये ।। धर्म निरपेक्ष का चोला धर, बनते उदारवादी । राजनीति में माहिर वो तो, केवल अवसरवादी ।। उनको माने सोने चांदी, हमको सिक्के खोटे । उनके जुकाम भारी लगते, घाव हमारे...

मैंने गढ़ा है (चोका)

मैं प्रकृति हूॅं, अपने अनुकूल,मैंने गढ़ा है,एक वातावरणएक सिद्धांतसाहचर्य नियम शाश्वत सत्यजल,थल, आकाशसहयोगी हैंएक एक घटकएक दूजे केसहज अनुकूल ।मैंने गढ़ा हैजग का सृष्टि चक्रजीव निर्जिवमृत्यु, जीवन चक्रधरा निरालीजीवन अनुकूलघने जंगलऊंचे ऊंचे पर्वतगहरी खाईअथाह रत्नगर्भामहासागरअविरल नदियांन जाने क्या क्यासभी घटकपरस्पर पूरक ।मैंने गढ़ा हैभांति भांति...

नही है मुश्किल भारी

मुश्किल भारी है नही, देख तराजू तौल । आसमान की दूरियां, अब है नही अतौल ।। अब है नही अतौल, नीर जितने सागर में । लिये हौसले हाथ, समेटे हैं गागर में ।। कहे बात चौहान, हौसला है बनवारी । रखें आप विश्वास, नही है मुश्किल भारी ।। ...

माॅं को नमन

मेरा मन है पूछता, मुझसे एक सवाल ।दिवस एक क्यों चाहिये, दिखने माॅं का लाल ।।दिखने माॅं का लाल, खोजता क्यों है अवसर ।रग पर माॅं का दूध, भूल जाता क्यों अक्सर ।।सुनकर मन की बात, हटा जग से अंधेरा ।करे सुबह अरू शाम, नमन माॅं को मन मेरा ...

श्रमिक

श्रम को पूजा सब कहे, पूजा करे न कोय ।श्रम की पूजा होय जो, श्रमिक काहे रोय ।।श्रमिक काहे रोय, मेहनत दिन भर करके ।भरे नहीं क्यों पेट, करे जब श्रम जीभर के ।शोषण अत्याचार, कभी भी मिटे न यह क्रम ।चिंता सारे छोड़, करे श्रमिक केवल श्रम ...

जलूं क्यों आखिर घिर कर

घिर कर चारों ओर से, ढूंढ रहा हूॅ राह । शीश छुपाने की जगह, पाने की है चाह ।। पाने की है चाह, कहीं पर एक ठिकाना । लगी आग चहुं ओर, मौत को है अब आना ।। मनुज नही यह देह, कहे वह छाती चिर कर । मैं जंगल का पूत, जलूं क्यों आखिर घिर कर ।। -रमेश चौहा...

ममता

ममता ममता होत है, नर पशु खग में एक । खग के बच्चे कह रहे, मातु हमारी नेक । मातु हमारी नेक, रोज दाना है लाती । अपने पंख पसार, मधुर लोरी भी गाती । वह मुख से मुख जोड़, हमें सिखलाती समता । जीवन के हर राह, काम आती है ममता ।। ...

मांगे बिन भी दे रहे

मांगे बिन भी दे रहे, माता पिता दहेज । स्टेटस मोनो मान कर, करे कहां परहेज ।। करे कहां परहेज, दिये भौतिक संसाधन । सिखलाये अधिकार, आत्म रक्षा के साधन । अनुशासन कर्तव्य, रखे अपने घर टांगे । दिये नही संस्कार, बेटियों को बिन मांगे ।। ...

रखें संतुलित सृष्टि

सूर्य ताप से ये धरा, झुलस रही है तप्त ।गर्म तवे पर तल रहे, जीव जीव अभिसप्त ।।जीव जीव अभिसप्त, कर्म गति भोगे अपना ।सृष्टि चक्र को छेड़, देख मनमानी सपना ।हाथ जोड़ चौहान, निवेदन करे आप से ।रखें संतुलित सृष्टि, बचे इस सूर्य ताप से ।।- रमेश चौह...

पीर का तौल नही है

तौल नही है पीर का, नहीं किलो अरु ग्राम । प्रेमी माने पीर को, जीवन का स्वर-ग्राम ।। जीवन का स्वर-ग्राम, प्रीत की यह तो भगनी । अतिसय प्रिय है प्रीत, कृष्ण की जो है सजनी ।। प्रीत त्याग का नाम, गोपियां कौल कहीं है ।। प्राण प्रिया है पीऱ, पीर का तौल नही है । ...

भजते तब तब राम

भौतिक सुख में  हो मगन, माना कब  भगवान । अब तक तुम कहते रहे, ईश्वर शिला समान । ईश्वर शिला समान, पूजते नाहक पाहन । घेरे तन को कष्ट, लगे करने अवगाहन ।। औषध करे न काम, दुआ करते तब कौतिक । भजते तब तब राम, छोड़ सुख सारे भौतिक ।। ...

आॅखों की भाषा समझ

आॅखों की भाषा समझ, आखें खोईं होश । चंचल आखें मौन हो, झूम रहीं मदहोश । झूम रहीं मदहोश, मूंद कर अपनी पलकें । स्वर्ग परी वह एक, समेटे अपनी अलकें ।। हुई कली जब फूल, खिली मन में अभिलाषा । । मन में भरे उमंग,समझ आॅखों की भाषा ।। -रमेश चैह...

उलचे कितने नीर

      पानी के हर स्रोत को, रखिये आप सहेज ।       व्यर्थ बहे ना बूॅद भी, करें आप परहेज ।।             वर्षा जल को रोकिये, कुॅआ नदी तालाब ।       इन स्रोतो पर ध्यान दें, तज नल कूप जनाब ।।         कुॅआ बावली खो गया, गुम पोखर तालाब ।      ...

मुक्त करो जल स्रोत

पानी के हर बूंद को, गटक रहा मुॅह खोल । टपक टपक हर बूॅंद भी, खोल रहा है पोल।। खोल रहा है पोल, किये जो गलती मानव । एक एक जल स्रोत, किये भक्षण बन दानव ।। कुॅआ नदी तालाब, शहर निगले मनमानी । मुक्त करो जल स्रोत, मिले तब सबको पानी ।। ...

भीमराव अम्बेड़कर के संदेश

भीमराव अम्बेड़कर, दिये अमर संदेश । भेद भाव को छोड़ कर, एक रहे यह देश ।। उनकी आत्मा आज तो, पूछे एक सवाल । जाति धर्म के नाम पर, क्यों हो रहा बवाल ।। सेक्यूलर के नाम पर, नेता किये प्रपंच । मां अरू मौसी मान कर, करते केवल लंच ।। तड़प रहा है आज तो, संविधान का प्राण । पंथ जाति निरपेक्ष नही, नही राष्ट्र सम्मान ।। संविधान इतना कठिन, समझ सके ना देश । श्याम...

कीजिये रक्षा माता

माता की जयकार से, गूंजे है दरबार । माता तेरी भक्ति में, झूमे है संसार ।। झूमे है संसार, भेट श्रद्धा के लाये । रखे भक्त उपवास, मनौती तुझे सुनाये।। बढ़े असुर दल आज, पाप अब सहा न जाता । दुष्ट बचे ना एक, कीजिये रक्षा माता ।। ...

पानी हमको चाहिये

पानी हमको चाहिये, पानी से है प्राण । पानी में पानी गयो, जीवन मरण समान ।। जीवन मरण समान, कहे ना कोई नेता । सूखे की यह मार, दिखें हैं केवल रेता ।। ढ़ूंढ़ घूट भर नीर, दरारों में दिलजानी । मांगे हैं नर नार, दीजिये हमको पानी ।। ...

स्वर्ग

सास बहू साथ में, करतीं मिलकर काम । काम खेत में कर रहें, लखन संग तो राम । राम राज परिवार में, कुटिया लागे स्वर्ग । स्वर्ग शांति का नाम है, मिले जगत निसर्ग ।। ...

नित्य ध्येय पथ पर चलें....

नित्य ध्येय पथ पर चलें, जैसे चलते काल ।सुख दुख एक पड़ाव है, जीना है हर हाल ।। रूके नही पल भर समय, नित्य चले है राह ।रखे नही मन में कभी, भले बुरे की चाह ।पथ पथ है मंजिल नही, फॅसे नही जंजाल ।नित्य ध्येय पथ पर चलें.... जन्म मृत्यु के मध्य में, जीवन पथ है एक ।धर्म कर्म के कर्म से, होते जीवन नेक ।।सतत कर्म अपना करें, रूके बिना अनुकाल ।नित्य ध्येय...

भारती भारत की जय

जय जय जय मां भारती, जय जय भारत देश । हिन्दू मुस्लिम एक हों, छोड़ सभी विद्वेष ।। छोड़ सभी विद्वेष, धर्मगत जो तुम पाले । राष्ट्र धर्म हों एक, वतन के हों रखवाले ।। बढ़े प्रेम विश्वास, तजें अपने मन का भय । बोलें मिलकर साथ, भारती भारत की जय ।। ...

भींज रहा मन तरबतर

अधर शांत खामोश है, नैन रहें हैं बोल । मन की तृष्णा लालसा, जा बैठे चषचोल ।। (चशचोल-पलक) नैनों की भाषाा समझ, नैनों ने की बात । प्रेम पयोधर घुमड़ कर, किये प्रेम बरसात ।। भींज रहा मन तरबतर, रोम रोम पर नेह । हृदय छोड़ मन बावरा, किये नैन को गेह ।। भान देह का ना रहे, बोले जब जब नैन । नैन नैन में गुॅथ गया, पलक न बोले बैन ।। खड़ी हुई हे बूत सी, हांड मांस...

मोहन प्यारे

मोहन प्यारे हो कहां, ढ़ूढ़ रहा मन चैन । रात दिवस सब एक सा, लगे श्याम बिन रैन । लगे श्याम बिन रैन, कहे ग्वालन कर जोरे। जैसे जल बिन मीन, दशा मन की है मोरे । बांध रखे हो आप, किये हम पर सम्मोहन । अब आ जाओ पास, कहां हो प्यारे मोहन...

सत्य को ग्रहण लगा है

कितने झूठे लोग हैं, झूठ रहे इठलाय । न्याय खोजता सत्य को, सत्य कौन बतलाय । सत्य कौन बतलाय, सत्य को ग्रहण लगा है । आंखे पट्टी बांध, न्याय भी आज ठगा है । एक चांद ही सत्य, झूठ तो तारे जितने । धनी बली है मुक्त, बंद निर्धन हैं कितने...

इंसा सारे सोय हैं

सैनिक सीमा पर खड़े, देखे अपना देश । भीतर भी दुश्मन अड़ा, धर भाई का वेष ।। कोयल कागा साथ में, बैठे हैं इक डाल । काग शिकारी से मिला, कोयल है बेहाल ।। पाले खतपतवार को, छोड़ फसल की मोह । खेत बचे ना जब यहां, तब करना तुम द्रोह ।। बाजे है थोथा चना, घना बाजरा मौन । पुलिस चोर के साथ है, हमें बचावे कौन ।। जाग रहे उल्लू यहां, उड़ उड़ कर हर डाल । इंसा सारे...

होली

1. ये रंग बदन रंगा नही श्वेत हैं वस्त्र रंग गया मन प्रीत के रंग लिये । 2.मैं होली उमंग शरारत मेरे दामन हैं बांटने आई हूॅ हॅसी, खुशी, एकता । ...

होली तो है यार

माने काहे हो बुरा, होली तो है यार । आज नही तो कब करूं, मस्ती का इजहार ।। मस्ती का इजहार, करूं बाहों में भरकर । माथे तिलक गुलाल, रंग से काया तर कर ।। मैं हूॅं तेरा यार, तुझे रब मेरा जाने । रंग इसे तो आज, प्रीत का बंधन माने ।। ...

आई होली आई होली

आई होली आई होली, मस्ती भर कर लाई ।झूम झूम कर बच्चे सारे, करते हैं अगुवाई । देखे बच्चे दीदी भैया, कैसे रंग उड़ाये ।रंग अबीर लिये हाथों में, मुख पर मलते जाये ।देख देख कर नाच रहे हैं, बजा बजा कर ताली ।रंगो इनको जमकर भैया, मुखड़ा रहे न खाली ।इक दूजे को रंग रहें हैं, दिखा दिखा चतुराई ।आई होली आई होली....... गली गली में बच्चे सारे, ऊधम खूब मचाये...

पिता ना कमतर माॅ से

मां से कमतर है कहां, देख पिता का प्यार । लालन पालन साथ में, हमसे करे दुलार । हमसे करे दुलार, पीर अपने शिश मढ़ते । मातु गढ़े है देह, पिता भी मन को गढ़ते ।। बनकर मेरे ढाल, रखे हैं मुझको जाॅ से । पूर्ण करे हर चाह, पिता ना कमतर मां से।। ...

धूप

घृणित विचारो से घिरे, जैसे मेढक कूप । कूप भरे निज सोच से, छाय कोहरा घूप ।। घूप छटे कैसे वहां, बंद रखें हैं द्वार । द्वार पार कैसे करे, देश प्रेम का धूप ।। देश द्रोह विष गंध है, अंधकार का रूप । रूप बिगाड़े देश का, बना रहे मरू-कूप ।। कूप पड़ा है बंद क्यो, खोल दीजिये द्वार । द्वार खड़ा रवि प्रेम का, देने को निज धूप ।...

//माहिया//

रंग मले जब होलीमुझको ना भायेजब हो ना हमजोली । रंग गुलाल न भायेभाये ना होलीजब साजन तड़पाये । -रमेश चौहान...

नारी नर अनुहार

बढ़ें पढ़ें सब बेटियां, रखें देश का मान । बेटा से कमतर नही, इन पर हमें गुमान ।। नारी नर का आत्म बल, धरती का श्रृंगार । नारी से ही है बना, अपना यह संसार ।। जग का ऐसा काज क्या, करे न जिसको नार । जल थल नभ में रख कदम, दिखा रहीं संसार ।। प्रश्न उठे ना एक भी, कर लेंती सब काम । अवसर की दरकार है, करने को निज नाम ।। हे नर हॅस कर दीजिये, नारी का अधिकार...

जय जय कैलासी

जय जय कैलासी, घट घट वासी, पाशविमोचन, भगवंता । जय जय नटनागर, करूणा सागर, जय विघ्नेश्वर, प्रिय कंता ।। जय जय त्रिपुरारी, जय कामारी, जय गंगाधर, शिवशंकर । जय उमा महेश्वर, जय विश्वेष्वर, जय शशिशेखर, आढ्यंकर ।। (आढ्यंकर- निर्धनो को दान देकर धनी करने वाला ) ...

एक प्रश्न अंतस खड़ा

पंथ पंथ में बट गया, आज सनातन धर्म ।दृष्टि दृष्टि का फेर है, अटल सत्य है मर्म ।। परम तत्व अद्वैत है, सार ग्रंथ है वेद । द्वैत किये हैं पंथ सब, इसी बात का खेद ।। मेरा मनका श्रेष्ठ है, बाकी सब बेकार । गुरुवर कहते पंथ के, समझो बेटा सार ।। जिसे दिखाना सूर्य है, दिखा रहे निज तेज । मुक्त कराना छोड़ कर, बांध रखे बंधेज ।। मैं मूरख यह सोचता, गुरु से बड़ा...

गलत गलत है मान लो

गलत गलत है मान लो, रखे नियत क्यो खोट । तेरे इस व्यवहार से, लगा देश को चोट ।। वैचारिक मतभेद से, हमें नही कुछ क्लेष । पर क्यो इसके नाम पर, बांट रहे हो देश ।। माँ को गाली जो दिये,  लिये शत्रु को साथ । कैसे उनके साथ हो, बनकर उनके नाथ ।। तुष्टिकरण के पौध को, सींच रहें जो नीर । आज नही तो कल सही, पा़येंगे वो पीर ।। अंधों से कमतर नही, मूंद रहे जो आंख...

प्रश्न लियें हैं एक

मातृभूमि के पूत सब, प्रश्न लियें हैं एक ।देश प्रेम क्यों क्षीण है, बात नही यह नेक ।। नंगा दंगा क्यों करे, किसका इसमें हाथ ।किसको क्या है फायदा, जो देतें हैं साथ ।।किसे मनाने लोग ये, किये रक्त अभिषेक । मातृभूमि के पूत सब आतंकी करतूत को, मिलते ना क्यों दण्ड ।नेता नेता ही यहां, बटे हुये क्यों खण्ड़ ।।न्याय न्याय ना लगे, बात रहे सब सेक । मातृभूमि...

सज्जन

नम्र अमीरी में रहें, जैसे रहते दीन ।धनी दीनता में रखें, उदारता शालीन ।रूख हवा का देख कर, बदले ना जो राह ।सज्जन उसको जानिये, निश्चित चिरकालीन ।। -रमेश चौहान...

देश पर जीते मरते

कण कण मेरे देश का, ईश खुदा का रूप । खास आम कोई नही, जन जन प्रति जन भूप ।। जन जन प्रति जन भूप, प्राण हैं अर्पण करते । सभी सिपाही देश, देश पर जीते मरते ।। फसे शत्रु के फेर, लोग कुछ हारे तन मन । उन्हें लाओं राह, पुकारे पावन कण कण ।। ...

शिक्षा नीति परीख

शिक्षा सबको चाहिये, मिले सभी को सीख । सीख रोग से मुक्त हो, बने नही यह बीख ।। बीख बोय कुछ लोग हैं, घृणा किये निज देश । देश प्रेम हो मूल में, शिक्षा नीति परीख । ...

गढ़ें जन मन सौहार्द

माँ शारद के पूत हो, धरो लेखनी हाथ । मानवता के गीत लिख, दीन हीन के साथ ।। दीन हीन के साथ, शब्द सागर छलकाओ । हर मुख पर मुस्कान, नीर सम तुम बरसाओ ।। सत्य सुपथ के शब्द, गढ़ें जन मन सोहारद । भुलना नहीं ‘रमेश‘, मातु तेरी माॅ शारद ।। *सोहारद-सौहार्द ...

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