मानों या न मानो यारों
यही सत्य ही सत्य है
केवल प्यार ही प्यार है
प्यार देखता नही कभी मजहब
न लड़का न लड़की
समझे इसका मतलब
प्यार लिंग भेद में है नही
यह तो वासना है यारों
कभी किसी ने सोचा है
केवल युवक और युवती
क्यों करते फिरते रहते
प्यार, प्यार इस जगती
प्यार कैद में होता नही
यह तो स्वार्थ है यारों
प्यार के दुहाई देने वाले
जग के प्यार भूल बैठे हैं
जनक जननी को छोड़ खड़े
अपने मैं ऐठे ऐठे है
प्यार हत्यारा होता नहीं
यह तो पागलपन है यारों
मानों या न मानों यारों
यही सत्य ही सत्य है
-रमेश चौहान
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