अभिनंदन है आपका, हे आगत नव वर्ष ।
मानव मन में हर्ष भर, करना नव उत्कर्ष ।।
करना नव उत्कर्ष, शांति दुनिया में होवे ।
मिटे सभी आतंक, पाप कोई ना बोवे ।।
अपना भारत देश, बने माथे का चंदन ।
हिन्दू मुस्लिम साथ, करे जब नव अभिनंदन ।।
...
मॉ
ध्वनि एक गुंजीत है, जैसे नभ ओंकार ।
जीव जीव निर्जीव में, माॅ माॅ की झंकार ।।
कलकल छलछल है किये, नदियों की जल धार ।
खेल रही माॅ गोद में, करती वह मनुहार ।।
कलकल की हर ध्वनि में, शब्द एक है सार ।
माॅ कण-कण में व्याप्त हो, बांट रही है प्यार ।।
कलरव की हर टेर में, शब्द वही है एक ।
खग नव चीं-चीं बोलती, माॅ भोली अरू...
भारत माॅं वीरों की धरा
भारत माॅं वीरों की धरा, जाने सकल जहान ।
मातृभूमि के लाड़ले, करते अर्पण प्राण ।
करते अर्पण प्राण, पुष्प सम शीश चढाये ।
बन शोला फौलाद, शत्रु दल पर चढ जाये।
पढ़ लो कहे ‘रमेश‘, देश में लिखे इबारत ।
इस धरती का नाम, पड़ा क्यों आखिर भारत ।।
-रमेश चौह...
गीता देती ज्ञान
देह जीव में भेद का, गीता देती ज्ञान ।सतत् कर्म संदेश का, रखो सदा तुम मान ।।
डाल डाल अरु पात में, जीव वही है एक ।रज अरू पाहन में बसे, जीव वही तो नेक ।।
मैं अरु मेरा जा कहे, पड़े हुये हैं मोह ।आत्मा आत्मा एक है, चाहे हो जिस खोह ।।
कर्ता कारक एक है, जो चाहे सो होय ।हम कठपुतली नाचते, नटवर चाहे जोय ।।
-रमेश चौहान...
हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला
हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला
हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
सबुरी के बेर जुठे, आप भोग लगाये ।
विदुरानी के छिलके, आपको सुहाये ।
प्रेम के भूखे प्रभु, प्रेम मतवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
केवट के सखा बने, छाती से लगाये ।
सुदामा के पांव धोये, नयन नीर छलकाये ।
दीनों के नाथ प्रभु, दीनन रखवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
श्रद्धा के भोग गहो, यहां तो आके...
मृत्यु का शोक क्यों ?
अटल नियम तो एक है, जो आये सो जाय ।
इसी नियम पर जीव तो, जीवन काया पाय ।।
नश्वर केवल देह है, जीव रहे भरमाय ।
देह जीव होते जुदा, हम तो समझ न पाय ।।
गीता के उस ज्ञान को, हम तो जाते भूल ।
अमर रहे आत्मा सदा, होते देह दुकूल ।।
देह देह को जानते, एक मात्र तो देह ।
जाने ना वह जीव को, जिससे करते नेह ।।
हम सब रोते मौत पर, कारण केवल एक ।
देह दिखे है आंख...
भजन- बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया तू धन्या , खूब बजती ।
लब लिपटी कान्हा के, मोहे जगती ।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
तू ताल छेड़े राग छेड़े, छेड़े रागनी ।
सुन सांझ जगे चांद जगे, जगे चांदनी ।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
पेड़ सुने, जंगल सुने, सुने बस्ती ।
कदम झूमे, युमना झूमे, झूमे कश्ती ।।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
कान्हा चले, ग्वालन छेड़े,...
कौन धर्म निरपेक्ष है
राजनीति के फेर में, बटे हुये हैं लोग ।
अपने अपने स्वार्थ में, बांट रहें हैं रोग ।।
कौन धर्म निरपेक्ष है, ढूंढ रहा है देश ।
वह लाॅबी इस्लाम का, यह हिन्दू का वेश ।।
वह हत्यारा सिक्ख का, जाने सारा देश ।
यह हत्यारा गोधरा, कैसे जाये क्लेश ।।
बने धर्मनिरपेक्ष वह, टोपी एक लगाय ।
दूजे को पूछे नही, नाम लेत शरमाय ।।
छाती छप्पन इंच...
श्रीमद्भागवत अवतार कथा
धर्म बचावन को जग में प्रभु,
ले अवतार सदा तुम आते ।
स्वर-प्रेम पटेल
रचना-रमेश चौहान
https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3RnAzbEp0NVItdHM/view?usp=shari...
श्रीरामरक्षा चालिसा
श्रीरामरक्षा चालिसा
स्वर-प्रेम पटेल
रचना- रमेश चौहान
स्रोत-श्रीरामरक्षाhttps://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3U0dJTDBkb2M4cWs/view?usp=sharing स्त्रो...
प्रकाश पर्व
है गुरू नानक देव के, अति पावन उपदेश ।
मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।।
एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप ।
सृष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।।
तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप ।
सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।।
सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक ।
मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख ।
ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास ।
उनके प्रकाश...
चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।
चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।हाथ से हाथ जोड़, गीत सब मिलकर गायेंं ।
उनके हाथ कुदाल, और है टसला रापा ।
मिले सयाने चार, ढेर पर मारे छापा ।।करते नव आव्हान, चलो अब देश बनायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।
ऐसे ऐसे लोग, दिखे हैं कमर झुकाये ।जो जाने ना काम, काम ओ आज दिखाये ।बोल रहे वे बोल, चलो सब हाथ बटायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर...
ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल
करे दिखावा क्यों भला, ऐसे सारे लोग ।करते हैं जो गंदगी, खाकर छप्पन भोग।।
ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल ।कैसे मैं पैदा हुआ, जिस पर मचे बवाल ।।
मर्म सफाई के भला, जाने कितने लोग ।अंतरमन की बात है, जैसे कोई योग ।।
नेता अरू सरकार से, ये कारज ना होय ।जन जन समझे बात को, इसे हटाना जोय ।।
गांधी के इस देश में, साफ सफाई गौण ।
गांधी के उस विचार...
मचा रहे आतंक क्यों
मचा रहे आतंक क्यों, मिलकर इंसा चार ।
कट्टर अरू पाषाण हो, बने हुये हैं भार ।।
क्यों वह अपने सोच को, मान रहें हैं सार ।
भांति भांति के लोग हैं, सबके अलग विचार ।।
आतंकवाद के जनक, कट्टरता को जान ।
मानवता के शत्रु को, नही धर्म का ज्ञान ।।
सभी धर्म का सार है, मानव एक समान ।
चाहे पूजा भिन्न हो, करें खुदा का मान ।।
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प्यार होता है अंधा
कहते थे जो लोग, प्यार होता है अंधा ।
दंग रहा मैं देख, आज इसमें भी धंधा ।।
एक देव का हार, चढ़े दूजे प्रतिमा पर ।
पूजारन की चाह, मिले प्रसाद मुठ्ठी भर ।।
पत्थर का वह देव, कभी लगते त्रिपुरारी ।
कभी कभी वह होय, रास करते बनवारी ।।
सीता का वह राम, खोज ना पाये रावण ।
राधा बनी अधीर, प्यार लगते ना पावन ।।
...
दीवाली के चित्र
छन्न पकैया छन्न पकैया, बात बताऊं कैसे ।दीवाली में हमको भैया, चित्र दिखे हैं जैसे ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बेटा पूछे माॅं से ।कहते किसको उत्सव मैया, हमें बता दो जाॅं से ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, उनके घर रोशन क्यों ।रह रह कर तो आभा दमके, चमक रहे बिजली ज्यों ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथ माथ पर धर कर ।सोच रही थी भोली-भाली, क्या उत्तर दूं तन कर...
राजनीति के खेल में
राजनीति के खेल में, गूंजे एक सवाल ।
नैतिकता रख ताक पर, क्यों कर रहे बवाल ।।
बोटी बोटी नोच ले, बैठे शव पर बाज ।
जीवित मानव मांस को, मानव खाये आज ।।
कौन पखारे है चरण, कौन बने भगवान ।
तारक सम नेता करे, भोले जन का ध्यान ।।
राजनीति के खेल को, देखें आंखें खोल ।
शकुनि देत संकेत जब, पासा बोले बोल ।
कौरव दल के शोर में, भीष्म पितामह मौन ।
खड़ी धर्म की द्रोपदी,...
सीखें जीने की कला
सीखें जीने की कला, सिखा गयें हैं राम ।
कैसे हो संबंध सब, कैसे हो सब काम ।।
कैसे हो सब काम, गढ़े जो नव मर्यादा ।
नातों में अपनत्व, हृदय में नेक इरादा ।।
कर्म रचे संसार, कर्मफल एक सरीखे ।
मानवता है धर्म, मनुज बनना सब सीखें ।।
...
राम को जानें कैसे
कैसे हों संबंध सब, हमें दिखाये राम ।
तन की सीमा बंधकर, किये सभी हैं काम ।।
किये सभी हैं काम, मनुज जो तो कर पाये।
बेटा भाई मित्र, सभी संबंध निभाये ।
सुन लें कहे ‘रमेश‘, मनुज हो इनके जैसे ।
केवल पढ़कर राम, राम को जानें कैसे ।
...
तेरे नाम का, हमको है सहारा
1.
है नवरात
आस्था का महापर्व
जगमगात
ज्योति घट घट में
प्राणी प्राणी हर्शात ।।
2.
पापों का घेर,
मां भवानी तोडि़ये ।
सुनिये टेर,
स्नेह से प्रीत गूथ
इंसा इंसा जोडि़ये ।।
3.
तेरे नाम का
हमको है सहारा ।
भव सागर
एक अंधी डगर,
नही कोई हमारा ।।
4.
एक नजर
इधर भी देखिये ।
फैल रहें हैं,
भ्रश्टाचार की बेल,
मां इसे...
मां आदि भवानी है
हाइकू
एक पत्थर
भगवान हो गया
आस्था से रंगे ।
आशा विश्वास
श्रद्धा जगाये रखे
मिट्टी मूरत ।
मैं भक्त हूं
मां आदि भवानी है
सृष्टि रचक ।
मातु बिराजे
श्रद्धा के नवरात
कण-कण में ।
धर्म धारक
अधर्म विदारक
मातु भवानी ।
शक्ति दीजिये
जग में मानवता
अक्षुण रहे ।
-रमेश चौह...
जग जननी मां आइये ..
जग जननी मां आइये, मेरी कुटिया आज ।
मुझ निर्धन की टेर सुन, रखिये मेरी लाज ।।
निर्धन से तो है भला, कचरा तिनका घास ।
दीनता के अभिशाप से, दुखी आपका दास ।।
मानव सा माने नहीं, जग का सभ्य समाज ।। जग जननी मां आइये ...
बेटी बहना है दुखी, देख जगत व्यभिचार ।
लोक लाज अब मिट रहे, नवाचार की मार ।।
लोग यहां घर छोड़ के, दिखला रहे मिजाज । जग जननी मां आइये....
घर-घर...
अफसाना ये प्यार का
अफसाना ये प्यार का, जाने ना बेदर्द ।
हम हॅस हॅस सहते रहे, बांट रही वह दर्द।।
लम्हा लम्हा इष्क में, बहाते रहे अश्क ।
आशकीय है बेखुदी, इसमें कैसा रश्क ।।
वो तो खंजर घोपने, मौका लेती खोज ।
उनकी लंबी आयु की, करूं दुवा मैं रोज ।।
पत्थर पर भी फूल जो, चढ़ते हो हररोज ।
पत्थर भी भगवान तो, हो जाते इकरोज ।।
...
अति पावन मंतव्य
जन्म लिये इस देश में, मरना भी इस देश ।
रक्षा करने देश का, काम करें लवलेश ।।
केवल मरना मारना, राष्ट्र धर्म ना होय ।
राष्ट्र धर्म गंभीर है, समझे जी हर कोय ।।
सभी नागरिक जो करें, निज मौलिक कर्तव्य ।
राष्ट्र भक्त सच्चे वही, अति पावन मंतव्य ।।
खास आम हर कोय तो, जतलाते अधिकार ।
होते क्या कर्तव्य हैं, समझे ना संसार ।।
...
जय जय जय गणराज प्रभु....
जय जय जय गणराज प्रभु, जय गजबदन गणेश ।
विघ्न-हरण मंगल करण, हरें हमारे क्लेश।।
गिरिजा नंदन प्रिय परम, महादेव के लाल ।
सोहे गजमुख आपके, तिलक किये हैं भाल ।।
तीन भुवन अरू लोक के, एक आप अखिलेश । जय जय जय गणराज प्रभु....
मातु-पिता के आपने, परिक्रमा कर तीन ।
दिखा दियेे सब देेव को, कितने आप प्र्रवीन ।
मातुु धरा अरू नभ पिता, सबको दे संदेश ।। जय जय...
कवि बन रहे हजार
वाह वाह के फेर में, कवि बन रहे हजार ।
ऐसे कविवर पाय के, कविता है बीमार ।।
केवल तुकबंदी दिखे, दिखे ना काव्य तत्व ।
नही शिल्प व विधान है, ना ही इनके सत्व ।।
आत्म मुग्ध तो है सभी, पाकर झूठे मान ।
भले बुरे इस काव्य की, कौन करे पहचान ।।
पाठक स्रोता तो सभी, करते केवल वाह ।
अभ्यासी जन को यहां, कौन बतावें राह ।।
बतलाना चाहे अगर, कोई कभी कभार ।
बुरा...
अविचल अविरल है समय
अविचल अविरल है समय, प्रतिपल शाश्वत सत्य ।
दृष्टा प्रहरी वह सजग, हर सुख-दुख में रत्य ।।
पराभाव जाने नही, रचे साक्ष्य इतिहास ।
जीत हार के द्वंद में, रहे निर्लिप्त खास ।।
जड़ चेतन हर जीव में, जिसका है वैतत्य ।। अविचल अविरल है समय...
(वैतत्य-विस्तार)
चाहे ठहरे सूर्य नभ, चाहे ठहरे श्वास ।
उथल-पुथल हो सृष्टि में, चाहे होय विनाश ।।
इनकी गति चलती सहज, होते...
अपना शिक्षा तंत्र (शिक्षक दिवस पर)
पीडि़त असाध्य रोग से, अपना शिक्षा तंत्र ।
इसकी चिंता है किसे, अपना देश सुतंत्र ।।
हुये नही प्रयोग यहाॅं, जितने की विज्ञान ।
शिक्षा शास्त्री कर चुके, उससे अधिक निदान ।।
लगे पाक शाला यहां, सब सरकारी स्कूल ।
अक्षर वाचन छोड़ के, खाने में मशगूल ।।
कागज के घोड़े यहाॅं, दौड़े सरपट भाग ।
आॅफिर आॅफिस दौड़ के, जगा रहे अनुराम ।।
बिना परीक्षा पास सब, ऐसी...
हे मनमोहना

ले
मुख
बासुरी
हो सम्मुख
मनमोहना
देकर सुख
हर लीजिये दुख ।।
..........................
हो
तुम
हमारे
सर्वस्व ही
अर्पण तुम्हें
तन मन धन
गुण अवगुण सारे ।।
...
अष्ट दोहे
1
रोटी में होेते नहीं, ढूंढे जो तुम स्वाद ।
होय स्वाद तो भूख में, दिखे नही अपवाद ।।
2
बातें तो हम हैं करें, करें कहां है काम ।
बैठे बैठे चाहते, जग में होवे नाम ।।
3
ज्ञानी हम सब आज है, अज्ञानी ना कोय ।
ज्ञान खजाना हाथ में, फिर भी काहे रोय ।।
4
चिडि़यां बुनती घोसला, तिनका तिनका जोर ।
दुर्बल हो काया भले, मन कोे रखे सजोर ।।
5
चिटी चढ़े दीवार पर,...
कुछ दोहे
कल की बातें छोड़ दे, बीत गया सो बीत ।
बीते दिन बहुरे नहीं, यही जगत की रीत ।।
चले चलो निज राह तू, करना नही विश्राम ।
तेरी मंजिल दूर है, रखो काम से काम ।।
जीत हार में एक ही, अंतर होते सार ।
मंजिल पाना सार है, बाकी सब बेकार ।।
जान बूझ कर लोग क्यूं, चल पड़ते उस राह ।
तन मन करते खाक जो, करके उसकी चाह ।।
जग में भागम भाग है, भागें हैं हर कोय ।
कोई...
कैसे हम आजाद हैं...
कैसे हम आजाद हैं, है विचार परतंत्र ।अपने पन की भावना, दिखती नहीं स्वतंत्र ।।
भारतीयता कैद में, होकर भी आजाद ।अपनों को हम भूल कर, करते उनको याद ।छुटे नही हैं छूटते, उनके सारेे मंत्र । कैसे हम आजाद हैं....
मुगल आक्रांत को सहे, सहे आंग्ल उपहास ।भूले निज पहचान हम, पढ़ इनके इतिहास ।।चाटुकार इनके हुये, रचे हुये हैं तंत्र । कैसे हम आजाद हैं...
निज...
झूमे बच्चे हिन्द के, लिये तिरंगा हाथ
झूमे बच्चे हिन्द के,
लिये तिरंगा हाथ ।
हम भारत के लाल है, करते इसे सलाम ।
पहले अपना देश है, फिर हिन्दू इस्लाम ।।
देश धर्म ही सार है, बाकी सभी अकाथ । झूमे......
यहां वहां देख लो, करते सब यशगान ।।
आंच आय ना देष को, करे शपथ सम्मान ।।
मातृृभूमि के हेतु हम , अर्पण करते माथ । झूमे......
भारत मां के पूत हम, भारतीय है नाम ।
मातृभूमि के हेतु ही, करते सारे...
वीर शहीदो को नमन
वीर शहीदो को नमन, कर लो देव समान ।
जिनके कारण आपका, हुआ मान सम्मान ।।
सीमा पर जो हैं डटे, रखेे हथेली प्राण ।
याद करो उनको भला, देकर थोड़ा मान ।।
अंत समय जय हिन्द के, मंत्र लिये जो बोल ।
उनके निज परिवार का, ध्यान रखो दिल खोल ।।
.हर मजहब से है बड़ा, देश भक्ति का धर्म ।
आन बान तो देश है, समझों इसका मर्म ।।
आजादी के यज्ञ में, किये लोग जो होम...
शर्मसार है धर्म
अपना दामन छोड़ कर, देखे सकल जहान ।
दर्शक होते लोग ये, बनते नही महान ।।
उपदेशक सब लोग है, सुने कौन उपदेश ।
मुखशोभा उपदेश है, चाहे कहे ‘रमेश‘ ।।
परिभाषा है धर्म का, धारण करने योग्य ।
मन वाणी अरू कर्म से, सदा रहे जो भोग्य ।।
धरे धर्म के मर्म को, मानस पटल समेट ।
प्राणी प्राणी एक सा, सबके दुख तू मेट ।।
भेड़ बने वे लोग क्यों, चले एक ही राह ।
आस्था...
नौ दोहे
1.
शोर शोर का शोर है, शोर करे है कौन ।
काम काज के वक्त जो, बैठे रहते मौन ।।
2.
पक्ष और विपक्ष उभय, संसद के हैं अंग ।
वाक युद्ध अब छोड़ कर, काम करे मिल संग ।।
3.
स्वस्थ सुखद जीवन रहे, होवें आप शतायु ।
सुयश कीर्ति हो आपका, अजर अमर जग जायु ।।
4.
घुमड़ घुमड़...
चंद दोहे
नये पुराने लोग मिल, खोले अपने राज ।कहां बुरा था दौर ओ, कहां बुरा है आज ।।
वही चांद सूरज वही, वही धरा आकाश ।जीवन के सुख-दुख वही, करें आप विश्वास ।।
लोक लाज मरजाद के, धागे एक महीन ।सोच समझ कर रख कदम, टूटे ना अबिछीन ।।
-रमेश चौहा...
देश भक्त कलाम
तोड़े सरहद धर्म के, सिखा गये जो धर्म ।फसे मजहबी फेर जो, समझे ना यह मर्म ।।समझे ना यह मर्म, समाये कैसे मन में ।महान पुरूष कलाम, हुये कैसे प्रिय जन में ।।देश भक्ति इक धर्म, देश से नाता जोड़े ।छोड़ गये संदेश, कुपथ से नाता तोड़े ।।-रमेश चौह...
कलाम को सलाम

महामना उस जीव को, करते सभी सलाम ।
भारत माॅ के लाल वो, जिनके नाम कलाम ।।
स्वप्न देखने की विधा, जिनसे हम सब पाय ।
किये साकार स्वप्न को, लाख युवा हर्षाय ।।
सफर फर्श से अर्श तक, देखे सकल जहांन ।
कैसे बने कलामजी, सबके लिये महान ।।
देश भक्ति के भाव से, किये सभी वो काज ।
नश्वर...
कुछ दोहे
1. रह रह कर मैं सोचता, बैठे बैठे मौन ।
करे खोखला देश को, आखिर है वह कौन ।।
2 .देश भक्ति का राग सुन, मैं रहता हूॅ मुग्ध ।
दशा देख कर देश की, हो जाता हूॅॅ क्षुब्ध ।।
3 .तुुम सा ही हूॅ मैं यहां, रखे हाथ पर हाथ ।
बैठा साधे मौन हूॅ, देते उनको साथ ।।
4 .ढोल रखे संस्कार का, बजा रहा है कौन ।
सुन कर तेरे शोर को, वह क्यों बैठा मौन ।।
5. परम्परा की...
समय
मंगल पर डाले नजर, रखे कदम जो चांद ।
वही समय को कभी भी, घेर सके ना मांद ।।
घेर सके ना मांद, समय से ओ सब हारे ।
दिये चुनौती सृष्टि, खड़े हैं जो मतवारे ।।
समय बड़ा बलवान, फसे ना वह तो दंगल ।
चले समय के साथ, समय करते हैं मंगल ।।
...
नारी नर एक समान
नारी तेरे कितनेे रूप, सभी रूप में तू अद्भूत ।मां बहना पुत्री हुई, हुई पत्नि अवधूूत ।।
पिता बन कर लालन किये, पति बन कर पालन किये ।हे पुरूष तुम संतान दे, नारी को नारी कियेे ।।
सृष्टि मेंं नर नारी का,सत्ता सदा समान है।नर से नारी का और नारी से नर का सम्मान है ।।
पूूरक एक दूूसरेे के, बंधे एक दूसरे से ।अस्ितत्व नही है, किसी तीसरे से ।।
एक महिमा मंडित...
झूला-गीत
बांधे अमुवा डार, लिये रेशम की डोरी ।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन ।
डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।।
अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन ।
सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये
बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये ।
हवा चले झकझोर, बदन...
सावन झूला-गीत

रेशम की इक डोर से, बांधे अमुवा डार ।
सावन झूला झूलती, संग सहेली चार ।।
सरर सरर झूला चले, उड़ती आॅचल कोर ।
अंग अंग में छाय है, पुरवाही चितचोर ।।
रोम रोम में है भरे, खुशियां लाख हजार ।
सावन झूला झूलती, संग सहेली चार ।।
नव नवेली बेटियां, फिर आई है गांव ।
बाबुल का वह द्वार...
ये अंधा कानून है,
ये अंधा कानून है,
कहतें हैं सब लोग ।
न्यायालय तो ढूंढती, साक्षी करने न्याय ।
आंच लगे हैं सांच को, हॅसता है अन्याय ।।
धनी गुणी तो खेलते, निर्धन रहते भोग । ये....
तुला लिये जो हाथ में, लेती समता तौल ।
आंखों पर पट्टी बंधी, बन समदर्शी कौल ।।
कहां यहां पर है दिखे, ऐसा कोई योग । ये...
दोषी बाहर घूमते, कैद पड़े...
बाजारवाद
फसे बाजारवाद में, देखो अपने लोग ।
लोभ पले इस राह में, बनकर उभरे रोग ।।
दो पौसे के माल को, बेचे रूपया एक ।
रीत यही व्यवसाय का, लगते सबको नेक ।
टोटा कर दो माल का, रखकर निज गोदाम ।
तब जाके तुम बेचना, खूब मिलेंगे दाम ।।
असल नकल के भेद को, जान सके ना कोय ।
तेरे सारे माल में, असल मिलावट होय ।।
टैक्स चुराने की कला, पहले जाके सीख ।
वरना इस व्यवसाय में,...
अगर है तेरी हिम्मत
तेरी हिम्मत देख कर, हुये लोग सब दंग ।
लड़ गैरों के साथ में, करते कितने तंग ।।
करते कितने तंग, जरा सी गलती देखे ।
दौड़े दांतें चाब, डंड हाथों में लेके ।
अपनी बारी देख, आपकी क्या है किम्मत ।
अपनी गलती देख, अगर है तेरी हिम्मत ।।
...
नश्वर इस संसार में
नश्वर इस संसार में, नाशवान हर कोय ।
अपनी बारी भूल कर, लोग जगत में खोय ।।
जन्म लिये जो इस जगत, जायेंगे जग छोड़ ।
जग माया में खोय जो, जायेंगे मुख मोड़ ।।
सार जगत में है बचे, यश अपयश अरू नाम ।
सोच समझ कर रीत को, कर लो अपना काम ।।
...
आॅंख खोल कर देख लो
रोजगार की चाह में, बने हुये परतंत्र ।
अंग्रेजी के दास हो, चला रहे हैं तंत्र ।।
अपनी भाषा भूल कर, क्या समझोगे मर्म ।
अंग्रेजी में बात कर, करे कहां कुछ शर्म ।।
है भाषा यह विश्व की, मान गये हम बात ।
पर अपनो के मध्य में, बनते क्यों बेजात ।।
आॅंख खोल कर देख लो, चीन देश का काम ।
अपनी बोली में बढ़े, किये जगत में नाम ।।
हिन्दी भाषी भी यहां, देवनागरी छोड़...
रोमन लिखते आप क्यों
रोमन लिखते आप क्यों, देवनागरी छोड़
अपनी भाषा और लिपि, जगा रही झकझोर ।।
जगा रही झकझोर, याद पुरखो का कर लो ।
जिसने खोई जान, सीख उनकी तुम धर लो ।।
रहना नही गुलाम, रहो चाहे तुम जोगन ।
हुये आजाद आप, लिखे क्यो अबतक रोमन ।...
चिंतन के दोहे
आतंकी करतूत से, सहमा है संसार ।
मिल कर करे मुकाबला, कट्टरता को मार ।।
कट्टरता क्यों धर्म में, सोचो ठेकेदार ।
मर्म धर्म का यही है, मानव बने उदार ।।
खुदा बने खुद आदमी, खुदा रहे बन बूत ।
करें खुदा के नाम पर, वह ओछी करतूत ।।
छिड़ा व्यर्थ का वाद है, कौन धर्म है श्रेष्ठ ।
सार एक सब धर्म का, सार ग्र्रहे सो ज्येष्ठ ...
विश्व सिकल सेल दिवस पर कुण्डलिया
बड़ दुखदायी रोग है, नाम है सिकल सेल ।
खून करे हॅसिया बरन, दर्द का करे खेल ।।
दर्द का करे खेल, जोड़ में फॅसकर हॅसिया ।
नहीं इसका इलाज, दर्द झेले दिन रतिया।।
फोलिक एसिड़ संग, खूब पानी फलदायी ।
शादी में रख ध्यान, रोग है बड़ दुखदायी ।।
...
योग दिवस पर दोहे
योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार ।
भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।।
गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय ।
अपने ही इस देश में, विरोध काहे होय ।।
अटल रहे निज धर्म में, दूजे का कर मान ।
जीवन शैली योग है, कर लें सब सम्मान ।।
जिसकी जैसी चाह हो, करले अपना काम ।
पर हो कौमी एकता, रखें जरूर सब ध्यान ।।
...
भ्रष्टाचार पर दोहे
मानवता हो पंगु जब, करे कौन आचार ।
नैतिकता हो सुप्त जब, जागे भ्रष्टाचार ।।
प्रथा कमीशन घूस हैे, छूट करे सरकार ।
नैतिकता के पाठ का, है ज्यादा दरकार ।।
जनता नेता भ्रष्ट है, भ्रष्ट लगे सब तंत्र ।
नेत्रहीन कानून है, दिखे कहां षडयंत्र ।।
अपने समाज देश का, करो व्याधि पहचान ।
जनक व्याधि के आप ही, आपहि वैद्य महान ।।
रिश्वत देना रोग है, रिश्वत...
चरण पखारे शिष्य के (कुण्डलिया)
चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज ।
शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।।
गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते ।
पढ़ना-लिखना छोड़, शिष्य तो दावत छकते ।।
कागज का सब खेल, देख लो मन को मारे ।
हुये शिष्य सब पास, चलो अब चरण पखारे ।।
...
घोर-घोर रानी (चौपाई छंद)
काली-काली बरखा आई । हरी-हरी हरियाली लाई
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी । नम पुरवाही चले सुहानी
बितत बिते पतझड़ दुखदायी । पुष्प-पत्र पल्लव हर्षाई
वन उपवन अब लगे मुस्काने । खग-मृग मानव गाये गाने
इंद्रधनुश नभ पर बन आये । देख-देख बच्चे हर्षाये
रंग बै जा नी ह पी ना ला । बच्चे पढ़े थे पाठशाला
तडि़त जब लाल आॅंख दिखाये । बादल भी नगाड़ा बजाये
रण-भेरी को...
कुछ दोहे
उनको थोड़ा दर्द हो, होती मुझको पीर ।
यूं ही मेरी अंखिया, छलका देती नीर ।।
मेरा मेरा सब कहे, किसका है संसार ।
छोड़ इसे पर लोग क्यों, जाये बेड़ापार ।।
करना धरना कुछ नहीं, केवल करते शोर ।
भज ले रे मन राम तू, कहते खुद को छोड़ ।।
रूप रंग जिसके नही, ना ही जिसके मोल ।
खास आम सब मांगते, पानी पानी बोल ।।
पानी से ही प्राण है, पानी से ही सृष्टि ।
पंचतत्व...
दस दोहे
1.
चूड़ी मुझसे पूछती, जाऊं किसके हाथ ।
छोड़ सुहागन जा रही, अब तो मेरा साथ ।
2.
रखे अपेक्षा पुत्र से, निश्चित इक बाप ।
नेक राह पर पुत्र हो, देवे ना संताप ।।
3.
सच का पथ जग में कठिन, चले कौन उस राह ।
सच्चा झूठा कौन है, करे कौन परवाह ।।
4.
खड़े हुये हैं रेल में, लिये बेटवा बांह ।
झूला जैसे झूलते, बेटा करते वाह ।।
5.
बांटे से कम होत है, हृदय घनेरी...
कान्हा तेरी बासुरी (दोहे)

कान्हा मुख पर बासुरी, बोल रही सब राग ।
चेतन की क्या बात है, जड़ में है अनुराग ।।
कान्हा तेरी बासुरी, जादू क्यों फैलाय ।
सुध-बुध अब खुद की नही, नही मुझेे कुछ भाय ।।
कदम डाल तो झूमते, यमुना जल बलखाय ।
नाच रही है धूल कण, कान्हा पद परघाय ।।
पुष्प डाल तब नाचती,...
दिखें ना बिखरे-बिखरे (कुण्डलि)
बिखरे-बिखरे पुष्प चुन, बुनिये सुंदर हार ।
तिनका-तिनका बांध कर, गढि़ये इक उपहार ।।
गढि़ये इक उपहार, समेटे जो संदेशा ।
करें इसे स्वीकार, छोड़ कर सब अंदेशा ।
हम दोनों है पुष्प, प्यार धागा जो निखरे ।
रहें सदा हम साथ, दिखें ना बिखरे-बिखरे ।।
...
भूकंप की मार से
वहां घोर भूकंप की मार से ।।
बहे आदमी अश्रु की धार से ।
घरौंदे जहां तो गये हैं बिखर ।
जहां पर बचे ही न ऊॅंचे शिखर ।।
सड़क पर बिलख रोय मासूम दो।
घरौंदा व माॅ-बाप को खोय जो ।।
दिखे आसरा ना कहीं पर अभी ।
परस्पर समेटे भुजा पर तभी ।।
डरी और सहमी बहुत है बहन ।
हुये स्तब्ध भाई करे दुख सहन ।।
नही धीर को धीरता शेष है ।
नहीं क्लेष को होे रहे क्लेष है ।।
रूठे...
चार मुक्तक
1.बड़े बड़े महल अटारी और मोटर गाड़ी उसके पास
यहां वहां दुकान दारी और खेती बाड़ी उसके पास ।
बिछा सके कही बिछौना इतना पैसा गिनते अपने हाथ,
नही कही सुकुन हथेली, चिंता कुल्हाड़ी उसके पास ।।
2.तुझे जाना कहां है जानता भी है ।
चरण रख तू डगर को मापता भी है ।।
वहां बैठे हुये क्यों बुन रहे सपने,
निकल कर ख्वाब से तू जागता भी है ।
3.कोई सुने ना सुने राग...
अपेक्षा (शक्ति छंद)
अपेक्षा नही है किसी से मुझे ।
खुदा भी नही मुफ्त देते तुझे ।।
भजन जो करेगा सुनेगा खुदा ।
चखे कर्म फल हो न हो नाखुदा ।।
पड़े लोभ में लोेग सारे यहां ।
मदद खुद किसी की करे ना जहां ।।
अपेक्षा रखे दूसरों से वही ।
भरोसा उसे क्या कुुवत पर नही ।।
मदद जोे करे दूसरो का कहीं ।
अभी भी बची आदमीयत वहीं ।
कभी सांच को आंच आवे नही ।
कुहासा सुरूज को...
सच को आय न आंच (कुण्डलियां)
दुनिया के बाजार में, झूठ लगे अनमोल ।
चमक दमक को देख कर, जन जन लेते मोल ।।
जन जन लेते मोल, परख ना जाने सोना ।
पारखी करे मोल, सत्य है सच का होना ।।
कह ‘रमेश्ा‘ कविराय, सत्य है इक निरगुनिया ।
सच को आय न आंच, तपा कर परखे दुनिया ।।
साॅचा साॅचा होय है, नही साॅच को आॅच।
आंख खोल कर देख लो, जगत बचें हैं साॅच ।।
जगत बचें हैं साॅच, पार कर हर बाधा को ।
नही...
मन का दर्पण आॅंख है (दोहे)
आंख बहुत वाचाल है, बोले नाना भाव ।
सुख-दुख गुस्सा प्रेम को, रखती अपने ठांव ।।
नयनों में वात्सल्य है, देख नयन न अघाय ।
इक दूजे को देख कर, नयनन नयन समाय ।।
उलझन आंखों में लिये, करती कैसे बात ।
मुख रहती खामोश पर, नयन देत सौगात ।।
आंख तरेरे आंख जब, नयन नीर छलकाय ।
प्रेम अश्रु जल धार में, नयनन ही बह जाय ।।
मन का दर्पण आॅंख है, देती बिम्ब उकेर।
झूठ...
पंच दोहे
धोते तन की गंदगी, मन को क्यों ना धोय ।
धोये नर मन को अगर, मानवता क्यो रोय ।।
देह प्राण के मेल का, अजब गजब संयोग ।
इक इक पर अंतर्निहित, सह ना सके वियोग ।।
सोचे कागा बैठ कर, एक पेड़ के डाल ।
पेड़ चखे हैं खुद कहां , कैसे लगे रसाल ।।
पूछ रहे हो क्यों भला, हुई कौन-सी बात ।
देख सको तो देख लो, नयन छुपी सौगात ।।
सूख गया पोखर कुॅंआ, बचा नदी में रेत ।
बोल...
अटल नियम है सृष्टि की
अटल नियम है सृष्टि की, देखें आंखे खोल ।
प्राणी प्राणी एक है, आदमी पिटे ढोल ।।
इंसानी संबंध में, अब आ रही दरार ।
साखा अपने मूल से, करते जो तकरार ।।
खग-मृग पक्षी पेड़ के, होते अपने वंश ।
तोड़ रहे परिवार को, इंशा देते दंश ।।
कई जाति अरू वर्ण के, फूल खिले है बाग ।
मिलकर सब पैदा करे, इक नवीन अनुराग ।।
वजूद बगिया के बचे, हो यदि नाना फूल...
भूकंप

कांप रही धरती नही, कांप रहे इंसान ।
झटके खाकर भूकंप के, संकट में है प्राण ।।
कितने बेघर हैं हुये, कितने खोये जान ।
मृत आत्माओं को मिले, परम श्ाांति भगवान ।।
संकट के इस क्षण में, हम हैं उनके साथ ।
जो बिछुड़े परिवार से, जो हो गये अनाथ ।।
कंधे कंधे जोड़ कर, उठा रहे...
ये कैसा प्रतिकार

हुआ मौत भी खेल क्यों, ये कैसा प्रतिकार ।
उस गजेन्द्र के मौत का, दिखे न जिम्मेवार ।।
दिखे न जिम्मेवार, सोच कर आये रोना ।
मौसम का वह मार, फसल का चौपट होना ।।
बेसुध वह सरकार, विरोधी लाये बिनुआ ।पोलिस नेता भीड़, रहे फिर क्यों मौत हुआ ।।
...
प्यार हुआ व्यपार (दोहे)
लगता है अब प्यार भी, हुआ है इक व्यपार ।
नाप तौल के कर रहे, छोरा छोरी प्यार ।।
छोरा देखे रूप को, सुंदर तन की चाह ।
जेब परख कर छोकरी, भरती ठंडी आह ।।
राधा मीरा ना बने, बने नही है राम ।
गोपी सारी छोकरी, छोकरा बने श्याम ।।
पहले कहते लोग थे, मत हो बेकारार ।
प्यार किया जाता नही , हो जाता है प्यार ।।
करने से होता नही, जब किसी को प्यार...
बसे प्राण तो गांव के खेत में (शक्ति छंद)

शहर के किनारे इमारत जड़े ।
हरे पेड़ हैं ढेर सारे खड़े ।
सटे खेत हैं नीर से जो भरे ।
कृषाक कुछ जहां काम तो हैं करे ।।
हमें दे रहा द्श्य संदेश है ।
गगन पर उड़े ना हमें क्लेश है ।
जमी मूल है जी तुम्हारा सहीं ।
तुम्हें देख जीना व मरना यहीं ।।
करें काज अपने चमन के...
बढ़ायें धरा धाम के शान को (शक्ति छंद)
कई लोग पढ़ लिख दिखावा करे ।जमी काज ना कर छलावा करे ।।मिले तृप्ति ना तो बिना अन्न के ।रखे क्यो अटारी बना धन्न के ।।
भरे पेट बैठे महल में कभी ।मिले अन्न खेती किये हैं तभी ।।सभी छोड़ते जा रहे काम को ।मिले हैं न मजदूर भी नाम को ।।
न सोचे करे कौन इस काज को ।झुका कर कमर भेद दें राज को ।।चलें आज हम रोपने धान को ।बढ़ायें धरा धाम के शान को ।...
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