पीडि़त असाध्य रोग से, अपना शिक्षा तंत्र ।
इसकी चिंता है किसे, अपना देश सुतंत्र ।।
हुये नही प्रयोग यहाॅं, जितने की विज्ञान ।
शिक्षा शास्त्री कर चुके, उससे अधिक निदान ।।
लगे पाक शाला यहां, सब सरकारी स्कूल ।
अक्षर वाचन छोड़ के, खाने में मशगूल ।।
कागज के घोड़े यहाॅं, दौड़े सरपट भाग ।
आॅफिर आॅफिस दौड़ के, जगा रहे अनुराम ।।
बिना परीक्षा पास सब, ऐसी अपनी नीति ।
नकल करें हैं शान से, लगते कहां कुरीति ।।
वर्ण एक जाने नही, हुये परीक्षा पास ।
ऐसा अपना तंत्र हैं, कैसे आय उजास ।।
शिक्षा के इस क्षेत्र में, नैतिकता की माॅंग ।
पूरा करते हैं सभी, केवल फोटो टाॅंग ।। टाॅंग -लटका कर
केवल नेता ही लगे, एक मात्र आदर्श ।
त्याग तपस्या अन्य के, लिखे नही प्रादर्श ।।
हुये एक शिक्षक यहां, देश के प्रेसिडेंट ।
मना रहे शिक्षक दिवस, तब से यहां स्टुडेंट ।।
सारे शिक्षक साथ में, करें व्यवस्था देख ।
आज मनाने यह दिवस, नेता आये एक ।।
पाना हो सम्मान जब, आपको अपने देश ।
छोड़-छाड़ हर काम को, धर नेता का वेश ।।
इसकी चिंता है किसे, अपना देश सुतंत्र ।।
हुये नही प्रयोग यहाॅं, जितने की विज्ञान ।
शिक्षा शास्त्री कर चुके, उससे अधिक निदान ।।
लगे पाक शाला यहां, सब सरकारी स्कूल ।
अक्षर वाचन छोड़ के, खाने में मशगूल ।।
कागज के घोड़े यहाॅं, दौड़े सरपट भाग ।
आॅफिर आॅफिस दौड़ के, जगा रहे अनुराम ।।
बिना परीक्षा पास सब, ऐसी अपनी नीति ।
नकल करें हैं शान से, लगते कहां कुरीति ।।
वर्ण एक जाने नही, हुये परीक्षा पास ।
ऐसा अपना तंत्र हैं, कैसे आय उजास ।।
शिक्षा के इस क्षेत्र में, नैतिकता की माॅंग ।
पूरा करते हैं सभी, केवल फोटो टाॅंग ।। टाॅंग -लटका कर
केवल नेता ही लगे, एक मात्र आदर्श ।
त्याग तपस्या अन्य के, लिखे नही प्रादर्श ।।
हुये एक शिक्षक यहां, देश के प्रेसिडेंट ।
मना रहे शिक्षक दिवस, तब से यहां स्टुडेंट ।।
सारे शिक्षक साथ में, करें व्यवस्था देख ।
आज मनाने यह दिवस, नेता आये एक ।।
पाना हो सम्मान जब, आपको अपने देश ।
छोड़-छाड़ हर काम को, धर नेता का वेश ।।
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