‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

ओम

भोले बाबा शंभु हर,  हर-हर शंकर ओम ।बोल बम्ब की नाद से, गूंज रहा है व्योम ।।गूंज रहा है व्योम, बम्ब भोले का नारा ।बोल बम्ब जयकार, लगे भक्तों को प्यारा ।।कांवर लेकर कांध,  राह पर भगतन बोले ।करें कामना पूर्ण, शंभु शिव बाबा भोले...

आग लगी पेट्रोल पर (दोहागीत)

आग लगी पेट्रोल पर, धधक रहा है देश ।राज्य, केन्द्र सरकार को, तनिक नहीं है क्लेश ।।मँहगाई छूये गगन, जमीदोज है आय ।जनता अपनी पीर को, कैसे किसे बताय ।।राज व्यपारी का दिखे, नेता भी अलकेश ।आग लगी पेट्रोल पर, धधक रहा है देश ।(अलकेश-कुबेर)राज्य कहे है केन्द से, और केन्द्र तो राज्य ।कंदुक के इस खेल का, केवल दिखे सम्राज्य ।।इसका करें निदान अब, तज नाहक उपदेश...

अँकुश व्‍यपारी पर नहीं

 जनता मेरे देश का, दिखे विवश लाचार ।अँकुश व्‍यपारी पर नहीं, सौ का लिए हजार ।।सौ का लिए हजार, सभी लघु दीर्घ व्‍यपारी ।लाभ नीति हो एक, देश में अब सरकारी ।।कितना लागत मूल्‍य,  बिक्री का कितना तेरे ।ध्‍यान रखें सरकार,  विवश हैं जनता मेरे ।।&nb...

सजनी तेरे प्यार का, मोल नहीं संसार में

आज करवा चौथ पर अपनी अर्धांगिनी के प्रति उद्गार- सजनी तेरे प्यार का, मोल नहीं संसार में ।जिनगी तेरी खप गई, केवल मेरे प्यार में ।।जब से आई ब्याह कर, मुझ पर मरती रह गई।जीवन कष्टों को प्रिये, हॅंसते -हॅंसते सह गई ।।शक्कर जैसे घुल गई, तू मेरे परिवार में ।सजनी तेरे प्यार...

नारी का बहू रूप

 नारी का बहू रूपनारी नाना रूप में, बहू रूप में सार । मां तो बस संतान की, पत्नी का पति प्यार । पत्नी का पति प्यार, मात्र पति को घर जाने । बेटी पन का भाव, मायका बस को माने ।। सास-ससुर परिवार, बहू करती रखवारी । बहू मूल आधार, समझ लो हर नर नारी ।।नर के सारे काम में, दक्ष हुई अब नार ।नारी के हर काम को, करने नर तैयार ।।करने नर तैयार, काम में अंतर कैसे...

जनता जनार्दन !

जनता जनार्दन !वाह करतेवाह करते है लोगनेताओं परजब कटाक्ष होवेव्यवस्थाओं कीकलाई खोली जाएवही जनता बंद कर लेते हैंआँख, कान व मुॅंहअपनी गलती मेंक्या ऐ जनताव्यवस्था का अंग है?लोकतंत्र मेंनेताओं का जनक?खुद सुधरेंगेव्यवस्था सुधरेगीखुद से प्रश्नपूछिए भला आपभ्रष्टाचार लौधधकाया नहीं हैआहुति डालनियम खूंटी टांगकाम नहीं किए होसेंध लगाएसरकारी योजनानहीं डकारेसकरी...

मन की आकांक्षा

मन की आकांक्षा(चौपाई)अधिकारों से कर्तव्य बड़ा । जिस पर जड़ चेतन जीव खड़ाधर्म नहीं हर कर्म अमर है । मौत क्या यह जीवन समर हैजीवन को हम सरल बनायें । चुनौतियों को विरल बनायेंनयनों में क्यों नीर बहायें । दृग को पहरेदार बनायेदेह नहीं मन को दुख होता । नयन नहीं अंतस ही रोतामन चाहे तो दुख...

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