डगर जोहती श्यामनी तट
नयन ढूंढती श्याम का पथ
अधर श्याम है श्याम है घट
Ramesh Kumar Chauhan
विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।
Manwata kaha hai ?
AAPNI AAKHO SE DEKHO
MAI DESH KA ..
सेठों को
देखा नही,
हमने किसी कतार में
फुदक-फुदक कर यहां-वहां जब
चिड़िया तिनका जोड़े
बाज झपट्टा मार-मार कर
उनकी आशा तोड़े
जीवन जीना है कठिन,
दुनिया के दुस्वार में
जहां आम जन चप्पल घिसते
दफ्तर-दफ्तर मारे ।
काम एक भी सधा नही है
रूके हुयें हैं सारे
कौन कहे कुछ बात है,
दफ्तर उनके द्वार में
एक ही है धर्म जग में, जीवन कला सकाम
एक ईश्वर सृष्टि कारी प्रति कण बसे अनाम ।
आदमी में भेद कैसा, प्राणी एक समान ।
करे पूजा भले कोई, चाहे करे अजान ।
प्यार होता कहां अंधा, जाने नही जवान ।
कौन माँ को देख कर के, आया गर्भ जहान ।
छांटते फिर रहे प्रियसी, जस एक परिधान ।
साथ रहकर किसी से भी, करते प्रेम महान ।।
शोभन
मौत सदा सच है फिर भी, डरे क्यों मन प्राण ।
जीवन जीने का होता, उसे क्यों अभियान ।।
कर्म सार है जीवन का, बांटे कृष्ण ज्ञान ।
मानवता एक धर्म ही, इसका सार जान ।।
मानों या न मानो यारों
यही सत्य ही सत्य है
केवल प्यार ही प्यार है
प्यार देखता नही कभी मजहब
न लड़का न लड़की
समझे इसका मतलब
प्यार लिंग भेद में है नही
यह तो वासना है यारों
कभी किसी ने सोचा है
केवल युवक और युवती
क्यों करते फिरते रहते
प्यार, प्यार इस जगती
प्यार कैद में होता नही
यह तो स्वार्थ है यारों
प्यार के दुहाई देने वाले
जग के प्यार भूल बैठे हैं
जनक जननी को छोड़ खड़े
अपने मैं ऐठे ऐठे है
प्यार हत्यारा होता नहीं
यह तो पागलपन है यारों
मानों या न मानों यारों
यही सत्य ही सत्य है
-रमेश चौहान
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...