हवा में, पानी में
भारत के
राजधानी में
घूम रहा है ‘करयुग‘ का कर्म
श्यामल-श्यामल रूप धर कर
यमराज के साथ चित्रगुप्त
स्याह खाते को बाँह भर कर
बचपने में, बुढ़ापे में
कर रहा हिसाब
भरी जवानी में
जग का कण-कण बंधा है
अपने कर्मो के डोर से
सूर्य अस्त होता नही
राहू-केतू के शोर से
भरे हाट में, सुने बाट में
छोड़ देता है
पद चिन्ह हर जुबानी में
पाप की रेखा लंबी...
लाल भयो, लाल भयो, लाल भयो रे
ब्रज के गोकुल में, ढोल मृदंग बाजे
घर घर हर गलीयन में, खुशीयां है छाजे ।।
लाल भयो, लाल भयो, लाल भयो रे,
नदं बाबा को आज, तो लाल भयो रे ।
गोप है आये, ग्वालिन है आये
नंद के द्वारे में, सब लोगन हर्षाये
लाला को देखने, देखो आकाश में,
सूर्य तारे संग, सब देवन है राजे । ।।
ब्रज के गोकुल में, ढोल मृदंग बाजे
घर घर हर गलीयन में, खुश्ीयां है छाजे ।।
लाल भयो,...
क्यों तुम अब मजबूर हो
तुम समझते हो तुम मुझ से दूर हो ।
जाकर वहां अपने में ही चूर हो ।।
तुम ये लिखे हो कैसे पाती मुझे,
समझा रहे क्यों तुम अब मजबूर हो ।।
...
लफंगे
काया कपड़े विहीन नंगे होते हैं ।
झगड़ा कारण रहीत दंगे होते हैं।।
जिनके हो सोच विचार ओछे दैत्यों सा
ऐसे इंसा ही तो लफंगे होते हैं ।।
...
पौन हो तुम
कहो ना कहो ना मुझे कौन हो तुम ,
सता कर सता कर मुझे मौन हो तुम ।
कभी भी कहीं का किसी का न छोड़े,
करे लोग काना फुसी पौन हो तुम ।।
(पौन-प्राण )
...
साये नजर आते नहीं
क्रोध में जो कापता, कोई उसे भाते नही ।
हो नदी ऊफान पर, कोई निकट जाते नही ।
कौन अच्छा औ बुरा को जांच पाये होश खो
हो घनेरी रात तो साये नजर आते नहीं।
...
एक नूतन सबेरा आयेगा
अंधियारा को चीर, एक नूतन सबेरा आयेगा ।
राह बुनता चल तो सही तू, तेरा बसेरा आयेगा ।।
हौसला के ले पर, उडान जो तू भरेगा नीले नभ ।
देख लेना कदमो तले वही नभ जठेरा आयेगा ।
...
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