साथी पंक्ति एक जीवन है ।
दो जून पेट का ही भरना, दीनों का तीवन है ।
आजीविका ढूंढते यौवन, शिक्षा का सीवन है ।।
यक्ष प्रश्न आज पूछथे क्यों, धन बिन क्या जीवन है ।
आँख मूंद कर बैठे रहना, राजा का खीवन है ।।
(ठीवन-थूक, तीवन-पकवान, सीवन-सिलाई, खीवन-मतवालापन)